जिले में शीतलहर का कहर, 9 डिग्री पर पहुंचा पारा, गरीबों की बढ़ी मुश्किलें

बक्सर जिले में शीतलहर ने अपना प्रचंड रूप दिखाना शुरू कर दिया है। बीते दो दिनों में तापमान में लगातार गिरावट दर्ज की गई है। रविवार को न्यूनतम तापमान 9 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया, जिससे आम जनजीवन पूरी तरह प्रभावित हो गया। पूरे दिन सूर्य के दर्शन नहीं होने और पछुआ हवा की तीखी कनकनी ने ठंड की मार को और बढ़ा दिया है।

जिले में शीतलहर का कहर, 9 डिग्री पर पहुंचा पारा, गरीबों की बढ़ी मुश्किलें

-- पूरे दिन नहीं निकली धूप, अलाव और कंबल के अभाव में असहाय ठिठुरने को मजबूर

केटी न्यूज/डुमरांव 

बक्सर जिले में शीतलहर ने अपना प्रचंड रूप दिखाना शुरू कर दिया है। बीते दो दिनों में तापमान में लगातार गिरावट दर्ज की गई है। रविवार को न्यूनतम तापमान 9 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया, जिससे आम जनजीवन पूरी तरह प्रभावित हो गया। पूरे दिन सूर्य के दर्शन नहीं होने और पछुआ हवा की तीखी कनकनी ने ठंड की मार को और बढ़ा दिया है।शीतलहर के प्रकोप से सबसे अधिक परेशानी गरीब, असहाय और बेघर लोगों को उठानी पड़ रही है। मजबूरी में गरीब परिवार और सड़क किनारे रहने वाले लोग किसी तरह ठंड में रातें गुजार रहे हैं।ठंड का असर दिन-रात समान रूप से महसूस किया जा रहा है।

रात के समय गर्म कपड़े पहनने के बावजूद सर्दी से राहत नहीं मिल पा रही है।लगातार गिरते तापमान के कारण लोगों की दिनचर्या पूरी तरह बदल गई है। सुबह के समय ठंड इतनी ज्यादा होती है कि लोग घरों से निकलने में हिचक रहे हैं। कामकाजी लोग देर से बाहर निकल रहे हैं, जबकि महिलाएं और बुजुर्ग सबसे अधिक परेशान नजर आ रहे हैं। बच्चे भी ठंड के कारण घरों में दुबके रहने को मजबूर हैं। बाजारों और सार्वजनिक स्थलों पर भी चहल-पहल कम हो गई है।दिन में कुछ समय के लिए धूप जरूर निकली, लेकिन उसकी तपिश नाकाफी रही।शाम ढलते ही ठंड और बढ़ गई, जिसके चलते लोग जहां-तहां अलाव जलाकर खुद को गर्म करने की कोशिश करते दिखे।

कई जगहों पर लोग लकड़ी, कचरा और पत्तियां जलाकर ठंड से बचाव करते नजर आए। हालांकि, यह व्यवस्था नाकाफी साबित हो रही है।मौसम की इस बेरुखी के बीच नगर परिषद और स्थानीय प्रशासन की निष्क्रियता भी लोगों में नाराजगी का कारण बन रही है। शीतलहर से बचाव के लिए अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए जाने से लोगों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। उधर, आपदा प्रबंधन विभाग ने ठंड से बचाव को लेकर एहतियाती निर्देश जारी किए हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर राहत कार्यों की सख्त जरूरत महसूस की जा रही है। अगर जल्द ही अलाव और कंबल वितरण की व्यवस्था नहीं की गई, तो शीतलहर का यह प्रकोप और गंभीर रूप ले सकता है।