रेल हादसों पर लालू का सवाल, आख़िर ज़िम्मेदार कौन, जानिए कब कब हुए हादसे
पिछले साल ओडिशा के बालासोर में भी ऐसा ही एक बड़ा हादसा हुआ था, जब कोरोमंडल एक्सप्रेस पटरी पर खड़ी मालगाड़ी से टकरा गई थी, जिसमें लगभग तीन सौ लोगों की मौत हो गई थी। इस साल का यह अब तक का सबसे बड़ा रेल हादसा है।
केटी न्यूज़, ऑनलाइन डेस्क: पश्चिम बंगाल के न्यू जलपाईगुड़ी में सोमवार सुबह एक बड़ा हादसा हो गया, जब एक मालगाड़ी ने कंचनजंगा एक्सप्रेस को टक्कर मार दी। इस हादसे में अब तक 8 लोगों की मौत हो गई और 50 से ज्यादा लोग घायल हो गए। हादसे के समय कंचनजंगा एक्सप्रेस अगरतला से सियालदाह जा रही थी। रेलवे बोर्ड की चेयरमैन जया वर्मा सिन्हा ने बताया कि मालगाड़ी के ड्राइवर (लोको पायलट) ने सिग्नल को पूरी तरह से अनदेखा किया था, जिसके परिणामस्वरूप यह दुर्घटना हुई। इस हादसे में ड्राइवर और ट्रेन के गार्ड की भी मौत हो गई है।
पिछले साल ओडिशा के बालासोर में भी ऐसा ही एक बड़ा हादसा हुआ था, जब कोरोमंडल एक्सप्रेस पटरी पर खड़ी मालगाड़ी से टकरा गई थी, जिसमें लगभग तीन सौ लोगों की मौत हो गई थी। इस साल का यह अब तक का सबसे बड़ा रेल हादसा है।
हर साल कितने हादसे?
सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, 2004 से 2014 के बीच हर साल औसतन 171 रेल हादसे होते थे, जबकि 2014 से 2023 के बीच सालाना औसतन 71 रेल हादसे हुए। 1960-61 से 1970-71 के बीच के दस सालों में 14,769 ट्रेन हादसे हुए थे। वहीं, 2004-05 से 2014-15 के बीच 1,844 दुर्घटनाएं हुईं और 2015-16 से 2021-22 के बीच छह सालों में 449 ट्रेन हादसे हुए।
हादसों में मौतें
रेलवे की 2021-22 की ईयर बुक के अनुसार, 2017-18 से 2021-22 के बीच पांच साल में 53 लोगों की मौत हुई और 390 लोग घायल हुए। 2019-20 और 2020-21 में ट्रेन हादसों में कोई भी मौत नहीं हुई, क्योंकि यह वह समय था जब कोविड महामारी के कारण कुछ महीनों तक ट्रेनें भी बंद रही थीं। 2021-22 में कुल 34 ट्रेन हादसे हुए, जिनमें से 20 हादसों की वजह रेलवे स्टाफ था और चार हादसे इक्विपमेंट फेल होने के कारण हुए थे।
ट्रेन हादसों में मारे गए या घायल लोगों के परिजनों को रेलवे की तरफ से मुआवजा भी दिया जाता है। पांच साल में रेलवे ने लगभग 14 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया है। 2021-22 में रेलवे ने 85 लाख रुपये से ज्यादा मुआवजा दिया था। रेल हादसों में मौत होने पर 5 लाख, गंभीर रूप से घायल होने पर 2.5 लाख और सामान्य घायल होने पर 50 हजार रुपये का मुआवजा दिया जाता है।
सरकार क्या कर रही?
रेलवे भारत की लाइफलाइन है, जहां हर दिन ढाई करोड़ से ज्यादा यात्री ट्रेन से सफर करते हैं और 28 लाख टन से ज्यादा की माल ढुलाई होती है। अमेरिका, रूस और चीन के बाद दुनिया का चौथा सबसे लंबा रेल नेटवर्क भारत का ही है। ऐसे में हादसों को रोकने के लिए सरकार ने 'कवच' सिस्टम शुरू किया है, जो एक ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम है। यह इंजन और पटरियों में लगी डिवाइस से ट्रेन की स्पीड को कंट्रोल करता है और खतरे का अंदेशा होने पर अपने आप ब्रेक लगा देता है। अगर दो इंजनों में कवच सिस्टम लगा है, तो उनकी टक्कर नहीं होगी।
इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम भी है, जो सिग्नल, ट्रैक और प्वॉइंट के साथ मिलकर काम करता है। यह सिस्टम एरर प्रूफ और फेल सेफ है। 31 मई 2023 तक 6,427 स्टेशनों में इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम लगाया जा चुका है। इस प्रकार के उपायों से रेलवे हादसों को कम करने के प्रयास कर रही है, लेकिन अभी भी कई चुनौतियाँ बनी हुई हैं।