शिक्षक उग्र बीपीएसी भर्ती का करेगें विरोध पहले विधायक फिर विधानसभा का करेगें घेराव,बोले शिक्षक नेता - नीतीश-तेजस्वी बेईमान व चोर
केटी न्यूज/ पटना
बिहार में नई शिक्षा नियमावली के खिलाफ शिक्षकों को गुस्सा शांत होने बजाया और बढ़ता ही जा रहा है। शिक्षक नेताओं के द्वारा बीपीएससी से होने वाली शिक्षक भर्ती प्रकिया को लेकर आंदोलन तेज हो गया है। इसे लेकर पटना के आईएमए हॉल में शिक्षकों का महासम्मेलन आयोजन किया गया। इसमें तय किया गया कि पहले विधायकों को घेराव करेंगे, अगर मांग पूरी नहीं हुई तो विधानसभा घेरेंगे। सम्मेलन में शिक्षकों द्वारा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के खिलाफ जमकर गुस्सा निकाला। इस दौरान शिक्षकों ने नीतीश-तेजस्वी को चेतावनी दी कि उनकी मांगे पूरी नहीं की गई तो समय आने पर बता देंगे। जाति गणना की वजह से शिक्षकों के आंदोलन में कमी देखी गई थी। परन्तु हाईकोर्ट के द्वारा रोक के बाद शिक्षकों के आंदोलन में एक बार फिर तेजी आ गई है। यह लड़ाई नियोजित शिक्षकों और राज्य सरकार की है। आंदोलन को महागठबंधन की पार्टी भाकपा माले का खुला समर्थन मिल रहा है। शिक्षक संघों के नेता और माले विधायक दल के नेता महबूब आलम के साथ पाली से माले विधायक संदीप सौरभ भी थे।
शिक्षक संघों ने संदीप सौरभ को बिहार शिक्षक संघर्ष मोर्चा का संरक्षक बनाया है। शिक्षकों के द्वारा इससे पहले धरना, प्रदर्शन से लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को मेमोरेंडम देकर सार्वजनिक रुप से नई शिक्षक नियमावली कर विरोध कर चुके है। साथ ही साथ इसमें संसोधन की मांग भी की है। परन्तु कोई सुनवाई अब तक नही हुई है। जिसके बाद शिक्षक मोर्चा ने सरकार व विधायकों को घेरने की तैयारी शुरू कर दी है। शिक्षकों द्वारा आयोजित सम्मेलन में राज्य के विभिन्न जिलों से शिक्षकों ने भाग लिया। शिक्षक नेताओं की आवाज मंच पर काफी बुलंद थी। आगे की लड़ाई एकजुट होकर लड़ने पर तो जोर रहा ही। शिक्षक नेताओं ने यह भी कहा गया कि मौका मिला तो हम बता देंगे। नीतीश-तेजस्वी! से अब नफरत करने लगे हैं। शिक्षक इतने गुस्से में दिखे कि सरकार को बेईमान के साथ चोर भी कहा गया। काफी दिनों बाद शिक्षक संघ उग्र तेवर में है।
सरकार को घेरने की तैयारी में जारी प्लान
- 14 मई को सूबे के सभी विधायकों का होगा घेराव।
- 20 से 31 मई तक सूबे के सभी जिलों में शिक्षक कन्वेंशन किया जाएगा।
- जुलाई के प्रथम सप्ताह में विधानसभा के समक्ष घेरा डालो, डेरा डालो आंदोलन होगा।
- मांगे नहीं मानी गई तो शिक्षक महाहड़ताल करेंगे।
शिक्षक संघर्ष मोर्चा की 4 बड़ी मांग
- बिना शर्त शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा दे सरकार।
-नियमित शिक्षकों की तरह पूर्ण वेतनमान और सेवाशर्त नियोजित शिक्षकों को मिले।
- एक विद्यालय, एक संवर्ग हो।
- एक ही विद्यालय में शिक्षकों के अलग-अलग संवर्ग नहीं बनाए सरकार।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के समक्ष रखी गई पांच मांगे
- शिक्षकों को राज्य कर्मी का दर्जा देने की मांग महागठबंधन सरकार के घोषणा-पत्र में शामिल रहा है। अब इसमें आयोग की परीक्षा उत्तीर्णता की शर्त के कारण नियोजित शिक्षकों के मन में सरकार और विभाग के प्रति तीव्र आक्रोश होगा और उनके निरंतर संघर्ष से शैक्षणिक माहौल पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।
- जो शिक्षक पिछले दो दशकों से, पहली से पांचवी तक के बच्चों को पढ़ा रहे हैं या जो शिक्षक किसी कक्षा विशेष को किसी खास विषय (जिसका सिलेबस तय होता है) पढ़ा रहे हैं उनसे आयोग की परीक्षा में बैठने को कहना उनके लिए ज्यादती है। अगर वे अपने विषय और कक्षाओं के पाठ्यक्रमों को पढ़ाने में दक्ष भी हैं, तब भी इसकी काफी संभावना है कि वे आयोग की परीक्षा उत्तीर्ण नहीं कर सकें। ऐसे में ये अपमानित महसूस करेंगे।
- आयोग की परीक्षा में जो शिक्षक असफल होंगे, वे गुणवत्ताहीन शिक्षक कहे और समझे जाएंगे। तब भी वे विद्यालयों में अध्यापन कार्य करेंगे। क्या सरकार इन कथित रूप से गुणवत्ताहीन शिक्षकों से बच्चों को पढ़ावाएगी।
- जब शिक्षकों की कई श्रेणियां हो जाएंगी तो विद्यालय में लोकतंत्र और शैक्षणिक कार्य को प्रभावित करेंगी। साथ ही बिहार में शिक्षकों के लिए अलग-अलग नियमावली के कारण विभागीय नियंत्रण और सुचारू प्रक्रियाओं के संचालन में भी काफी कठिनाइयां उत्पन्न होंगी।