जीवउत्पुत्रिका व्रत को लेकर उठे भ्रम का निपटा फैसला, 14 सितंबर को होगा व्रत, 15 को पारण
सावन-भादो के पर्व-त्योहारों में तिथि की उलझन अक्सर आमजन को असमंजस में डाल देती है। ऐसा ही हाल इस बार जीवउत्पुत्रिका व्रत को लेकर देखा गया। कुछ विद्वानों की अलग-अलग राय के चलते महिलाओं और श्रद्धालुओं के बीच संशय गहराने लगा था।

केटी न्यूज/डुमरांव
सावन-भादो के पर्व-त्योहारों में तिथि की उलझन अक्सर आमजन को असमंजस में डाल देती है। ऐसा ही हाल इस बार जीवउत्पुत्रिका व्रत को लेकर देखा गया। कुछ विद्वानों की अलग-अलग राय के चलते महिलाओं और श्रद्धालुओं के बीच संशय गहराने लगा था। यहां तक कि सोशल मीडिया पर विद्वत समाज को लेकर अभद्र टिप्पणियां तक होने लगीं। इसी विवाद को सुलझाने के लिए शनिवार 6 सितंबर को शाहाबाद रेंज के प्रमुख विद्वानों की एक अहम बैठक सिमरी स्थित काल रात्रि मंदिर प्रांगण में बुलाई गई।
बैठक में सर्वसम्मति से स्पष्ट किया गया कि जीवउत्पुत्रिका व्रत चंद्रव्यापी ब्रत है। नियम के अनुसार इसमें अष्टमी तिथि की संध्या और पारण के समय नवमी तिथि का होना आवश्यक है। इसी आधार पर यह निर्णय लिया गया कि जीवउत्पुत्रिका व्रत 14 सितंबर, रविवार को रखा जाएगा और पारण 15 सितंबर, सोमवार को सुबह 6 बजकर 26 मिनट के बाद किया जाएगा। विद्वानों ने कहा कि हृषिकेष पंचांग, महावीर पंचांग सहित सभी प्रमुख पंचांगों में भी यही तिथि दर्ज है, इसलिए किसी तरह का भ्रम नहीं रहना चाहिए।
बैठक में उपस्थित विद्वानों ने यह भी अपील की कि धार्मिक विषयों पर बिना पूरी जानकारी के टिप्पणी करना समाज और संस्कृति दोनों के लिए हानिकारक है। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि शास्त्र और परंपरा की मर्यादा बनाए रखें और पाखंड फैलाने वाले तत्वों से बचें।
इस निर्णय के बाद अब श्रद्धालुओं के बीच व्याप्त उलझन दूर हो गई है। बैठक में पंडित प्रो. मुक्तश्वर शास्त्री, पंडित पवित्र कुमार दूबे, पंडित अरुण चौबे, आचार्य धनजी चौबे, पंडित गणेश ओझा, पंडित अभयानंद पांडेय, पंडित विजयानंद पांडेय, पंडित राधेश्याम दूबे, पंडित संजय ओझा, पंडित कामतानाथ ओझा, पंडित सत्रुंजय ओझा सहित बड़ी संख्या में विद्वान मौजूद रहे।
अब महिलाओं में यह संतोष है कि परंपरागत आस्था का पर्व सही तिथि पर विधिवत रूप से संपन्न होगा। धार्मिक आचार्य मानते हैं कि यह व्रत संतान की लंबी आयु और सुख-समृद्धि का प्रतीक है और इसकी महत्ता पीढ़ियों से अक्षुण्ण बनी हुई है।