पंचकोशी परिक्रमा यात्रा का भव्य शुभारंभ, अहिल्या धाम में उमड़ा आस्था का जनसैलाब
त्रेता युग की स्मृतियों को पुनर्जीवित करते हुए रविवार को ऐतिहासिक पंचकोशी परिक्रमा यात्रा का शुभारंभ आस्था, श्रद्धा और भक्ति के अद्भुत संगम के रूप में हुआ। यह यात्रा भगवान श्रीराम और लक्ष्मण जी के सिद्धाश्रम आगमन की पौराणिक स्मृति में आयोजित की जाती है। सुबह-सुबह रामरेखा घाट पर गंगा पूजन और आरती के साथ इस यात्रा की शुरुआत हुई। साधु-संतों, श्रद्धालुओं और स्थानीय नागरिकों ने गंगा स्नान कर इस पावन यात्रा में भागीदारी निभाई। पूरा वातावरण “जय श्रीराम” और “हर हर गंगे” के जयकारों से गुंजायमान हो उठा।

केटी न्यूज/बक्सर
त्रेता युग की स्मृतियों को पुनर्जीवित करते हुए रविवार को ऐतिहासिक पंचकोशी परिक्रमा यात्रा का शुभारंभ आस्था, श्रद्धा और भक्ति के अद्भुत संगम के रूप में हुआ। यह यात्रा भगवान श्रीराम और लक्ष्मण जी के सिद्धाश्रम आगमन की पौराणिक स्मृति में आयोजित की जाती है। सुबह-सुबह रामरेखा घाट पर गंगा पूजन और आरती के साथ इस यात्रा की शुरुआत हुई। साधु-संतों, श्रद्धालुओं और स्थानीय नागरिकों ने गंगा स्नान कर इस पावन यात्रा में भागीदारी निभाई। पूरा वातावरण “जय श्रीराम” और “हर हर गंगे” के जयकारों से गुंजायमान हो उठा।

-- अहिल्या धाम में हुआ पहला पड़ाव, दीप प्रज्वलन और पूजा-अर्चना से पवित्र हुई भूमि
पंचकोशी यात्रा का पहला पड़ाव अहिरौली गांव रहा, जहां श्रद्धालुओं ने मां अहिल्या मंदिर और ऋषि गौतम आश्रम में पूजा-अर्चना की। पौराणिक मान्यता है कि यहीं भगवान श्रीराम ने अपने चरणों से गौतम ऋषि की पत्नी अहिल्या को पत्थर के रूप से नारी स्वरूप में परिवर्तित कर श्रापमुक्त किया था। इस चमत्कारी प्रसंग की स्मृति में आज भी अहिरौली स्थित यह मंदिर श्रद्धा और भक्ति का केंद्र बना हुआ है।

अहिल्या धाम में साधु-संतों ने वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच दीप प्रज्वलन किया और यात्रियों के कल्याण की कामना की। महिलाओं ने पारंपरिक ‘लौंडा नाच’ की परंपरा का पालन करते हुए अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए विशेष पूजा-अर्चना की। पुआ-पूड़ी और अन्य प्रसाद का वितरण हुआ, जिसे ग्रहण करने के लिए श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लगी रहीं।

-- मेले जैसा माहौल, हर चेहरे पर उत्साह और श्रद्धा का संगम
पूरे अहिरौली गांव का माहौल रविवार को पूर्णतः उत्सवमय बना रहा। मंदिर परिसर और आसपास की गलियों में सैकड़ों अस्थायी दुकानें सजीं, जिनमें पूजा सामग्री, खिलौने, श्रृंगार वस्तुएं और पारंपरिक मिठाइयाँ बिकती रहीं।बच्चों के लिए झूले, गुब्बारे और खेलकूद के साधनों ने मेले की रौनक को और बढ़ा दिया। वहीं, गुढ़ही जलेबी, लिट्टी-चोखा और अन्य देसी व्यंजनों की महक ने यात्रियों को अपनी ओर आकर्षित किया। महिलाओं ने घर-गृहस्थी की वस्तुओं और श्रृंगार सामग्री की जमकर खरीदारी की।

-- पौराणिक महत्व और आध्यात्मिक ऊर्जा से ओत-प्रोत पंचकोशी मार्ग
यह पंचकोशी मार्ग बक्सर के धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक वैभव का प्रतीक है। मान्यता है कि इसी पथ पर प्रभु श्रीराम ने तप, साधना, चरित्र निर्माण और लोकधर्म की स्थापना का संस्कार किया था। यही कारण है कि इस यात्रा को आत्मशुद्धि, संयम, भक्ति और लोकधर्म का प्रतीक माना जाता है।संत श्री लक्ष्मीनारायण त्रिदंडी स्वामी गंगा पुत्र ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि यह भूमि केवल धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि अध्यात्म और ऊर्जा का संगम स्थल है, जहां आकर मन की शुद्धि और आत्मिक शांति की अनुभूति होती है।

-- अगले पड़ावों पर सामूहिक लिट्टी-चोखा और लोक-एकता का उत्सव
आयोजकों के अनुसार, पंचकोशी यात्रा के आगामी पड़ाव 10 नवंबर (सोमवार) को नदांव में नारद कुंड परिक्रमा कर श्रद्धालु खिचड़ी चोखा का प्रसाद ग्रहण कर रात्रि विश्राम करेंगे। 11 नवंबर ( मंगलवार) को भभुअर, 12 नवंबर (बुधवार) को बड़का नुआंव तथा 13 नवंबर (गुरूवार) को चरित्रवन में अंतिम दिन सामूहिक लिट्टी-चोखा का आयोजन होगा।यह सामूहिक भोज लोक-एकता, सामाजिक समरसता और बंधुत्व की अनूठी परंपरा के रूप में मनाया जाता है। प्रत्येक स्थल पर श्रद्धालु रात्रि विश्राम कर अगले दिन की परिक्रमा के लिए प्रस्थान करेंगे।

-- प्रशासन की सतर्कता, सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
बक्सर एसडीएम अविनाश कुमार ने बताया कि चुनाव आचार संहिता लागू होने के कारण इस वर्ष यात्रा पूरी तरह धार्मिक और सांस्कृतिक स्वरूप में आयोजित की जा रही है। किसी भी प्रकार का राजनीतिक प्रचार, मंचन या बैनर पूरी तरह प्रतिबंधित है।भीड़ प्रबंधन, रोड सेफ्टी, ट्रैफिक नियंत्रण, जल-प्रबंधन और साफ-सफाई के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं। उन्होंने श्रद्धालुओं से शांति, अनुशासन, स्वच्छता और पवित्रता बनाए रखने की अपील की और आश्वस्त किया कि पूरा प्रशासन इस आयोजन को सुगम और सुरक्षित बनाने के लिए तत्पर है।

-- आस्था और लोक परंपरा का संगम
पहले दिन अहिल्या धाम से आरंभ हुई पंचकोशी परिक्रमा यात्रा ने बक्सर को फिर से अपने धार्मिक और सांस्कृतिक गौरव की याद दिला दी है। लाखों श्रद्धालुओं की भागीदारी ने यह प्रमाणित कर दिया कि यह यात्रा केवल परिक्रमा नहीं, बल्कि लोक-एकता, आस्था और भारतीय संस्कृति का जीवंत उत्सव है।
