व्यासपीठ के पूजन के साथ 9 दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा की हुई शुरुआत

व्यासपीठ के पूजन के साथ 9 दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा की हुई शुरुआत
व्यासपीठ की पूजा करते आश्रम के महंत व अन्य

केटी न्यूज/बक्सर

पूज्य श्री खाकी बाबा सरकार की पुण्य स्मृति में आयोजित होने वाले 53वें श्री सीताराम विवाह महोत्सव का भव्य शुभारंभ सोमवार को नया बाजार स्थित आश्रम में हुआ। महोत्सव को लेकर पूरे आश्रम परिसर की विशेष साज सज्जा की गई है। साथ ही, मुख्य कार्यक्रम के लिए विशाल पण्डाल का निर्माण किया गया है। प्रातः काल से ही आश्रम में विभिन्न धार्मिक आयोजन प्रारंभ हो गए। आश्रम  के परिकरों द्वारा सर्वप्रथम श्री रामचरितमानस जी नवाह पारायण पाठ किया गया। तत्पश्चात दामोह की संकीर्तन मण्डली के द्वारा नव दिवसीय अखण्ड अष्टांग हरिकीर्तन प्रारंभ हुआ। वृंदावन के राम शर्मा एवं कुंजबिहारी शर्मा के निर्देशन में रासलीला के तहत माखनचोर प्रसंग का मंचन किया गया।

पूजन कार्यक्रम में शामिल साधु, संत व महंतगण

श्रीसीताराम विवाह महोत्सव के पहले दिन व्यासपीठ का वैदिक मंत्रोचार के पूजन के साथ 9 दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का शुभारंभ हुआ। बसांव पीठाधीश्वर श्री अच्युत प्रपन्नाचार्य जी महाराज, श्री सीताराम विवाह महोत्सव आश्रम के महंत श्री राजाराम शरण जी महाराज के कर कमलों द्वारा व्यासपीठ का पूजन कर कथा की विधिवत शुरुआत की गई। पहले दिन की कथा करते हुए प्रख्यात कथावाचक भागवत मर्मज्ञ श्रीइंद्रेश उपाध्याय जी ने भागवत महात्मा की व्याख्या करते हुए कहा कि श्रीमद्भागवत की कथा मनुष्य को चार पुरुषार्थ  की प्राप्ति नहीं कराती है और जो मनुष्य इस भाव से कथा का श्रवण करते हैं, वह चूक जाते हैं। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत की कथा साक्षात भगवत को प्राप्त करने का मार्ग है। श्रीमद्भागवत की कथा के श्रवण से भगवान की प्राप्ति होती है। उन्होंने कहा कि भगवान के तीन रूप है सत्य, चीत्त और आनंद जबकि स्वरूप अनेक है रूप और स्वरूप में यही अंतर है कि जो हम दुनिया के लिए रखते हैं वह स्वरूप होता है और जो अपनों के लिए रखते हैं वह रूप होता है। श्री इंद्रेश जी ने कहा गुरु की आज्ञा का पालन बिना विचार किए हुए करना चाहिए। गुरु की आज्ञा पर विचार करना दुर्भाग्य का लक्षण है। रात्रि में रामलीला में श्री गौरीशंकर विवाह लीला का मंचन किया गया।