अंग्रेज चले गए अंग्रेजी छोड़ गए
यह कहावत काफी हद तक सही साबित ना हो शायद इसलिए हिंदी दिवस का जन्म हुआ तो चलिए जानते हैं हिंदी दिवस के बारे में हिंदी दिवस क्यों मनाया जाता है
केटी न्यूज़/दिल्ली
आप में से बहुत सारे लोगों ने बड़े बुजुर्गों से यह कहावत जरूर सुनी होगी कि "अंग्रेज चले गए लेकिन अंग्रेजी छोड़ गए" यह कहावत काफी हद तक सही साबित ना हो शायद इसलिए हिंदी दिवस का जन्म हुआ तो चलिए जानते हैं हिंदी दिवस के बारे में हिंदी दिवस क्यों मनाया जाता है और हिंदी भाषा की महत्वता के बारे में भी आज हम आपको बताएंगे
हिंदी दिवस का इतिहास भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के शुरुआती दिनों से जुड़ा है।वर्ष 1918 में हिंदी के विद्वानों के एक समूह ने राष्ट्र में हिंदी के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए हिंदी साहित्य सम्मेलन का गठन किया।इस सम्मेलन ने हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषा के रूप में अपनाने में प्रमुख भूमिका निभाई।स्वतंत्रता के बाद भारत की संविधान सभा ने 14 सितंबर, 1949 को देवनागरी लिपि में लिखी हिंदी को आधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकार किया।इसके बाद 14 सितंबर, 1953 को आधिकारिक रूप से पहली बार राष्ट्रीय हिंदी दिवस मनाया गया।तब से अब हर साल हिंदी दिवस मनाया जाता है।यह हिंदी भाषा का प्रचार करने के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है।
हिंदी देश की एकता और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है। संविधान में हिंदी को प्रमुख स्थान दिया गया है और इसके प्रचार-प्रसार को बढ़ावा देने की बात कही गई है। हिंदी देश के विभिन्न हिस्सों में लोगों के बीच बात चीत करने की प्रमुख भाषा है।हिंदी के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाना और नई पीढ़ी को अपनी मातृभाषा के प्रति गर्व महसूस कराना है। सरकारी और गैर-सरकारी संस्थानों में इस दिन विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इसमें हिंदी साहित्य, कविता, और निबंध प्रतियोगिताओं का आयोजन होता है।
यह दिवस हमें हिंदी की विरासत की याद दिलाता है। भारत में हिंदी साहित्य का भी बहुत बड़ा योगदान है। प्राचीन काल से लेकर आधुनिक समय तक हिंदी साहित्य ने समाज को दिशा दी है। कबीर, तुलसीदास, प्रेमचंद, महादेवी वर्मा और अन्य लेखकों और कवियों ने हिंदी साहित्य को समृद्ध किया है।हिंदी दिवस का उद्देश्य इसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाना है। युवाओं को हिंदी के महत्व और उसके साहित्य से परिचित कराना है। हिंदी के माध्यम से भारतीय संस्कृति और परंपराओं की रक्षा करना है।
हिंदी इतनी खूबसूरत भाषा होने के बाद भी आजकल की युवा पीढ़ियों का दुर्भाग्य है कि वह इंग्लिश बोलने में अपनी शान समझते हैं ।हिंदी में बोलचाल भाषा को वह शर्म तरीके से महसूस करते हैं।जबकि भारत के अलावा मॉरीशस, फिजी, सूरीनाम, गुयाना, त्रिनिदाद, टोबैगो और नेपाल जैसे देशों की एक बड़ी आबादी हिंदी बोलती है।दुनिया में तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा हिंदी ही है। इसी कारण हिंदी दिवस का प्रचार प्रसार हमें भी करना चाहिए। हिंदी दिवस को बढ़ावा देना चाहिए। हिंदी बोलने में हमें शर्म नहीं अपनी शान महसूस करनी चाहिए और राष्ट्रीय स्तर पर भी हिंदी भाषा को एक अलग पहचान दिलानी चाहिए।