बिहार के शिक्षा क्षेत्र में अमूल चूल परिवर्तन की है जरूरत - प्रो. एके दूबे
- बक्सर के रामरेखा घाट पर प्रतियोगी छात्रों के लिए शीघ्र शुरू होगा टेस्ट परीक्षा
केटी न्यूज/डुमरांव
मैं यहां सिर्फ चुनाव लड़ने नहीं आया हूं। बक्सर मेरी जन्मभूमि है। मैं बक्सर को बिहार का मॉडल जिला बनाने तथा शिक्षा की अलख जगाने आया हूं। उक्त बातें दिल्ली विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास विभाग के प्रोफेसर व अनुमंडल के सिमरी प्रखंड के दुबौली गांव निवासी डा. अखिलेश दूबे ने कही। वे सोमवार को डुमरांव में पत्रकारों को संबोधित कर रहे थे।
भाजपा व संघ परिवार से जुड़े डा. दूबे नेे कहा कि बक्सर ऋषि महर्षियों की तपोस्थली व ज्ञान का केन्द्र रहा है। यहां शिक्षा ग्रहण करने के लिए प्रभु श्रीराम को आना पड़ा था। उन्होंने कहा कि बिहार की शिक्षा व्यवस्था में आमूल चूल परिवर्तन की आवश्यकता है। यहां के छात्र मेधावी है, लेकिन उनके पास विजन का अभाव है। सही मेंटर नहीं मिलने के कारण मेधावी छात्र भी अपने मार्ग से भटक रहे है।
बक्सर प्रवास तथा यहां के गांवों घुमने के बाद मुझे इसका अनुभव हुआ। उन्होंने कहा कि वे इसी मिट्टी में पले बढ़े है तथा इस मिट्टी से अटूट लगाव है। इस कारण वे बक्सर को मॉडल जिला के रूप में विकसित करने की सोंच लेकर आए है। यदि यहां प्रतिनिधत्व करने का मौका मिला तो पहले पांच साल में ही मैं बक्सर को बदल कर दिखा दूंगा। उन्होंने कहा कि वे बहुत जल्द प्रतियोगी छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी तथा
उन्हें विजन देने के लिए सप्ताहिक टेस्ट की शुरूआत करने जा रहे है। इसकी शुरूआत महर्षि विश्वामित्र के तपोस्थली व भगवान श्रीराम के शिक्षा स्थली रामरेखा घाट से किया जाएगा। रामरेखा घाट की सीढ़ियों पर बैठा प्रतियोगी छात्रों का अनुभवी शिक्षकों, अधिकारियों द्वारा सप्ताहिक टेस्ट लिया जाएगा। इस दौरान छात्रों को कॉपी, कलम व जलपान की व्यवस्था की जाएगी। उन्होंने कहा कि उनका उदेश्य छात्रों की बेरोजगारी को दूर करना है।
प्रो. दूबे ने बताया कि टेस्ट सीरिज के बाद अगली कड़ी में प्रतियोगी छात्रों के बीच ग्रुप डिस्कशन करा उनके झिझक को दूर किया जाएगा। जबकि 35 से 40 आयु वर्ग के शिक्षित बेरोजगार युवाओं के लिए रोजगार का सृजन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि शिक्षा के साथ ही स्वास्थ्य व टैªफिक व्यवस्था में सुधार कराना उनकी पहली प्राथमिकता है। प्रेस वार्ता के दौरान रामबच्चन दूबे, रमेश पाठक, विजय प्रताप सिंह आदि मौजूद थे।