न्याय का उत्सव, लोक अदालत में एक ही दिन निपटे 1909 मामले
न्याय को सुलभ और त्वरित बनाने के उद्देश्य से आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत ने शनिवार को बक्सर में न्याय के उत्सव का रूप ले लिया। जिला विधिक सेवा प्राधिकार, बक्सर के तत्वावधान में हुई इस तृतीय राष्ट्रीय लोक अदालत में महज एक ही दिन में 1909 मामलों का निपटारा कराया गया। खास बात यह रही कि 04 करोड़ 76 लाख 42 हजार 903 रुपए की समझौता राशि पर पक्षकारों ने सुलह समझौते से विवाद खत्म किया।

-- सुलह से सजा समाधान का रास्ता, करोड़ों की राशि पर हुआ समझौता
केटी न्यूज/बक्सर
न्याय को सुलभ और त्वरित बनाने के उद्देश्य से आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत ने शनिवार को बक्सर में न्याय के उत्सव का रूप ले लिया। जिला विधिक सेवा प्राधिकार, बक्सर के तत्वावधान में हुई इस तृतीय राष्ट्रीय लोक अदालत में महज एक ही दिन में 1909 मामलों का निपटारा कराया गया। खास बात यह रही कि 04 करोड़ 76 लाख 42 हजार 903 रुपए की समझौता राशि पर पक्षकारों ने सुलह समझौते से विवाद खत्म किया।
लोक अदालत का उद्घाटन प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश-सह-अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकार, बक्सर, हर्षित सिंह ने किया। उनके साथ मंच पर प्रथम प्रधान न्यायाधीश, कुटुंब न्यायालय, मनोज कुमार, अवर जिलाधिकारी, अवर पुलिस अधीक्षक, सचिव जिला प्राधिकार, नेहा दयाल और अन्य गणमान्य पदाधिकारी मौजूद रहे। दीप प्रज्ज्वलन कर विधिवत शुभारंभ के बाद कार्यक्रम का संचालन मुंसिफ द्वितीय नेहा त्रिपाठी ने किया। इस अवसर पर अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष बबन ओझा, सचिव बिंदेश्वरी पांडेय सहित जिले के न्यायिक पदाधिकारी और अधिवक्ता भी मौजूद थे।
-- न्यायाधीश का संदेश, यहां हार-जीत नहीं, केवल जीत
अपने संबोधन में प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश हर्षित सिंह ने लोक अदालत को “दोनों पक्षों की जीत” वाला मंच बताया। उन्होंने कहा, “यहां न कोई हारता है, न कोई जीतता है। दोनों पक्ष सुलह के आधार पर समाधान पाते हैं और यही इसकी विशेषता है। उन्होंने लोगों से अपील की कि वर्षों तक अदालतों के चक्कर लगाने के बजाय वे लोक अदालत का सहारा लें और एक ही दिन में मुकदमों का निपटारा कराएं।
-- जनता की अदालत है लोक अदालत
सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकार नेहा दयाल ने कहा कि राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकार, नई दिल्ली के निर्देश पर लोक अदालत को राष्ट्रीय पर्व की तरह मनाया जाता है। उन्होंने बताया कि लोक अदालत का उद्देश्य अदालतों पर बोझ कम करना और जनता को सुलभ न्याय उपलब्ध कराना है। यहां निर्णय केवल पक्षकारों की सहमति से होता है और दोनों की संतुष्टि के बाद ही “अवार्ड” जारी किया जाता है।
-- मुकदमों की श्रेणियां और समझौता राशि
इस लोक अदालत में कुल 12 बेंच बनाए गए थे। इनमें विभिन्न तरह के वादों का निपटारा किया गया। बैंक के 567 वाद के 2 करोड़ 56 लाख 98 हजार 120 रुपए की राशि पर समझौता। यातायात से जुड़े 620 मामले, आपराधिक 175 मामले, विद्युत विवाद के 352 मामले, वैवाहिक वाद के 8 मुकदमे, परिवहन विभाग के 4 मामले, एनआई एक्ट के 2 मुकदमे सिर्फ बैंक रिकवरी से जुड़े 181 मामलों में 02 करोड़ 6 लाख 17 हजार 149 रुपए की राशि पर सुलह समझौता हुआ।
-- स्वास्थ्य जांच शिविर बना आकर्षण
लोक अदालत के अवसर पर जिला स्वास्थ्य विभाग की ओर से निःशुल्क चिकित्सीय जांच शिविर भी लगाया गया। मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. शिवकुमार प्रसाद चक्रवर्ती की टीम में यूरोलॉजिस्ट डॉ. शशि प्रकाश, फिजिशियन डॉ. प्रकाश चंद्र राय, सर्जन डॉ. सुमित मिश्रा, डॉ. अमलेश कुमार, क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट कुमारी अनुराधा, नेत्र सहायक संतोष कुमार और अन्य स्वास्थ्यकर्मी मौजूद थे। उन्होंने उपस्थित लोगों की जांच की और गंभीर बीमारियों से बचाव के उपाय भी बताए।
-- विधि और व्यवस्था की सशक्त भागीदारी
कार्यक्रम में जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश संजीत कुमार सिंह, मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी, विभिन्न न्यायिक पदाधिकारी और अधिवक्ता पैनल मौजूद रहे। पारा विधिक स्वयंसेवक, न्यायालय कर्मचारी और प्रशासनिक अधिकारी भी सक्रिय रहे। दिनभर चली लोक अदालत ने साबित कर दिया कि यदि पक्षकार चाहें तो वर्षों पुराने मुकदमों को भी पलभर में सुलझाया जा सकता है। जहां अदालतों में वर्षों लगते हैं, वहीं लोक अदालत में एक ही दिन में समझौते से न्याय संभव है। यही कारण है कि इसे जनता की अदालत कहा जाता है।
बक्सर की यह तृतीय राष्ट्रीय लोक अदालत न्याय व्यवस्था की पारदर्शिता और संवेदनशीलता का सशक्त उदाहरण बनी। यहां एक ही दिन में लगभग दो हजार मामले निपटाना अपने आप में बड़ी उपलब्धि है। करोड़ों की समझौता राशि और पक्षकारों की सहमति इस बात का प्रमाण है कि लोक अदालत सचमुच न्याय का उत्सव है।