मांगलिक आयोजनों में बदलती परंपराएं: मांसाहार और शराब परोसना बना प्रतिष्ठा का मुद्दा
मऊ। पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव और खुद को आधुनिक दिखाने की होड़ ने हमारे समाज और परिवार पर गहरा असर डाला है। खाने-पीने की परंपराएं भी बदल गई हैं।
केटी न्यूज़/ मऊ
मऊ। पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव और खुद को आधुनिक दिखाने की होड़ ने हमारे समाज और परिवार पर गहरा असर डाला है। खाने-पीने की परंपराएं भी बदल गई हैं। पहले वैदिक परंपरा के अनुसार, शादी या तिलक जैसे मांगलिक आयोजनों के हफ्तों पहले से ही घरों में सिर्फ शाकाहारी भोजन बनाया और खाया जाता था, भले ही वहां मांसाहार वर्जित न हो। लेकिन अब यह परंपरा तेजी से बदल रही है।
आजकल कई परिवारों में शादी और अन्य आयोजनों में मेहमानों को मांसाहार परोसना प्रतिष्ठा का विषय बन गया है। साथ ही, आयोजनों में मेहमानों को ठंडा पानी गर्म तासीर वाला देने की बात भी आम हो गई है। कई बार इन आयोजनों में मांस या शराब की व्यवस्था न होने पर मेहमानों और आयोजकों के बीच बहस और मारपीट की घटनाएं भी सामने आने लगी हैं।