चौसा उपद्रव: ग्रामीणों की पिटाई के बाद शुरू हुई सियासत भाजपा नेताओं ने पीड़ित परिजनों से की मुलाकात

चौसा उपद्रव: ग्रामीणों की पिटाई के बाद शुरू हुई सियासत भाजपा नेताओं ने पीड़ित परिजनों से की मुलाकात

           

- सस्पेंड नहीं बर्खाश्त होने चाहिए किसानों और महिलाओं पर लाठी बरसाने वाले पुलिसकर्मी - सम्राट चौधरी

- सिर्फ थानाध्यक्ष ही नहीं वरीय पदाधिकारियों पर भी हो कार्रवाई - अमरेन्द्र प्रताप

- उच्च स्तरीय कमिटी करें मामले की जांच- राघवेन्द्र

केटी न्यूज/डुमरांव

चौसा के बनारपुर में पुलिस द्वारा आधी रात घर में घुस आंदोलनकारी किसानों के परिजनों की पिटाई का मामला अब तूल पकड़ने लगा है। एक तरफ बुधवार को इस घटना के प्रतिशोध में बनारपुर के ग्रामीणों ने जमकर बवाल काटा था तो दूसरी तरफ अब इस पर सियासत भी शुरू हो गई है। गुरूवार को भाजपा का एक प्रतिनिधिमंडल बनारपुर पहुंच पुलिस पिटाई से पीड़ित परिवारों से मिल घटना की जानकारी ली। इस टीम का नेतृत्व विधान परिषद में विपक्ष के नेता तथा बिहार भाजपा के कद्दावर नेता सम्राट चौधरी कर रहे थे। टीम में उनके साथ पूर्व कृषि मंत्री अमरेन्द्र प्रताप सिंह, बड़हरा विधायक सह पूर्व मंत्री राघवेन्द्र प्रताप सिंह, भाजा पंचायती राज प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक ओमप्रकाश भुवन तथा भाजपा बक्सर की जिलाध्यक्ष माधुरी कुंवर समेत कई अन्य नेता शामिल थे। सबसे पहले गांव में पहुंच भाजपा नेताओं ने बारी बारी से करीब एक दर्जन परिवारों में गए तथा उनसे इस घटना की विस्तृत जानकारी ली। इस दौरान ग्रामीणों ने पुलिस की बर्बर कार्रवाई की पूरी दास्तांन सुनाने के साथ ही उनके जायज मांगों के प्रति प्रशासनिक उदासीनता तथा कंपनी प्रशासन से मिलीभगत कर किसानों को पिछले तीन महीने से प्रताड़ित करने की बातें बताई। पीड़ितों ने रात के अंधेरे में घर में घुस पुलिस द्वारा महिलाओं, युवतियों को पीटे जाने का वीडियो भी दिखाया। जिसे देख नेता प्रतिपक्ष गंभीर हो गए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के इशारे पर किसानों के आंदोलन को बलपूर्व दबाया जा रहा है। 

पूरी प्रशासनिक टीम की जाए बर्खाश्त

ग्रामीणों से घटना की जानकारी लेने के बाद विप में विपक्ष के नेता सम्राट चौधरी ने कहा कि स्थानीय प्रशासन बर्बर तरीके से ग्रामीणों पर हमले करने वाले पुलिसकर्मियों को बचा रही है। सिर्फ थानाध्यक्ष व कुछ पुलिसकर्मियों को सस्पेंड किया गया है। जबकि थानाध्यक्ष के साथ ही ग्रामीणों ने बक्सर एसडीओ, एएसडीओ समेत कई अन्य वरीय पदाधिकारियों की भूमिका को भी संदिग्ध बताया है तथा आरोप लगाया है कि पूरी प्रशासनिक इकाई एलएनटी कंपनी प्रशासन से मिल ग्रामीणों की हकमारी कर रही है। उन्होंने कहा कि पूरी प्रशासनिक टीम को बर्खाश्त किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि महागठबंधन की सरकार बनने के बाद से ही बिहार भर में किसानों पर अत्याचार बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि बनारपुर के किसानों की मांग जायज है। भले ही जमीन का अधिग्रहण पहले हुआ है लेकिन जब पैसा आज मिल रहा है तो आज के रेट से मुआबजा मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इस मामले को जानबूझकर लटकाना चाह रही है। उन्होंने कहा कि यदि राज्य सरकार पहल करें तो हम केन्द्र से आज के रेट में मुआबजा दिलवाएंगे। इसके अलावे उन्होंने कहा कि ग्रुप डी के पदों पर स्थानीय लोगों को प्राथमिकता मिलनी चाहिए। इसके लिए कंपनी प्रशासन और राज्य सरकार से बात किया जाएगा। 

सिर्फ थानाध्यक्ष ही नहीं वरीय पदाधिकारियों पर भी हो कार्रवाई

वही पूर्व कृषि मंत्री अमरेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि इस घटना के बाद प्रशासन लिपापोती में जुट गया है। सिर्फ थानाध्यक्ष को सस्पेंड किया गया है। अमरेन्द्र प्रताप ने कहा कि निरीह ग्रामीणों पर लाठियां बरसाने वाले पूरी पुलिस टीम के साथ ही इस साजिश में शामिल वरीय पदाधिकारियों को बर्खाश्त किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि दोषियों पर कड़ी कार्रवाई नहीं होने पर भाजपा सड़क से लेकर सदन तक आंदोलन करेगी।

उच्च स्तरीय कमेटि बना हो मामले की जांच - राघवेन्द्र

वही बड़हरा विधायक तथा पूर्व मंत्री राघवेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि इस मामले की जांच के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को एक उच्च स्तरीय कमिटि बनानी चाहिए। कमिटि के रिपोर्ट के आधार पर थानाध्यक्ष, वरीय पदाधिकारियों तथा अन्य दोषियों पर कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पुलिस के अत्याचार तथा निरीह ग्रामीणों की बेरहमी से पिटाई के कारण ही वे हिंसक आंदोलन को बाध्य हुए है। उन्होंने कहा कि भाजपा पीड़ित किसानों के साथ खड़ी है। उनके हक को लाठी के बल पर दबाया जा रहा है। लेकिन ऐसा नहीं होने दिया जाएगा।

पुलिस की अदूरदर्शिता से भड़का आक्रोश - भुवन

वही भाजपा पंचायती राज मंत्र के प्रदेश संयोजक ओमप्रकाश भुवन ने कहा कि बुधवार की घटना पुलिस तथा स्थानीय प्रशासन की अदूरदर्शिता की उपज है। उन्होंने कहा कि मंगलवार की रात पुलिस किसानों के घर में घुस उनके परिजनों पर लाठियां बरसाई थी। इस दौरान पुलिस ने महिलाओं, युवतियों और बुजुर्गो को भी नहीं छोड़ा था। जबकि किसानों का कसूर सिर्फ इतना ही था कि वे अपने हक के लिए लोकतांत्रिक तरीके से आंदोलन कर रहे थे। भुवन ने कहा कि महागठबंधन सरकार में न सिर्फ किसानों बल्कि नौजवानों और बेरोजगारों के आंदोलन को बलपूर्वक दबाया जा रहा है। नौकरी देने का वादा करने वाली सरकार नौकरी मांगने वालों पर लाठियां बरसा रही है। किसानों के नाम पर वोट लेने वालों के राज में किसान खेती के पिक आवर में खाद के लिए पूरी रात दुकानों पर लाईन लगा रहे है। उन्होंने बनारपुर की घटना को अमानवीय करार देते हुए कहा कि बुधवार को किसानों का आक्रोश पुलिस व स्थानीय प्रशासन के उकसावे के कारण घटित हुई है। उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर 80-85 दिनों से आंदोलन कर रहे किसान पहले क्यों नहीं इतने उग्र हुए थे। भुवन ने किसानों पर सीओ द्वारा कराए गए मनगढंत एफआईआर को भी दुर्भावनाग्रस्त कार्रवाई बताया। उन्होंने कहा कि स्थानीय सीओ की भूमिका की भी जांच होनी चाहिए।