सीआईडी ने शुरू की करोड़ो रूपए के सीएमआर चावल गबन मामले की जांच

जिले में करोड़ो रूपए के सीएमआर के चावल गबन मामले की जांच सीआईडी ने शुरू कर दी है। सीआईडी द्वारा इस मामले की जांच शुरू करते ही गबन के आरोपित मिलरो तथा संबंधित पदाधिकारियों की मुश्किलें बढ़ गई है। मिली जानकारी के अनुसार सीआईडी में बतौर डीएसपी के पद पर तैनात अनिशा राणा व पूजा प्रसाद इस मामले की जांच के तहत शुक्रवार को बक्सर आई थी।

सीआईडी ने शुरू की करोड़ो रूपए के सीएमआर चावल गबन मामले की जांच

- धान गबन करने वाले मिलरो व मिलिभगत करने वाले पदाधिकारियों पर कसेगा शिकंजा, बक्सर पहुंच सीआईडी - की दो डीएसपी ने केस संबंधित फाईलों को खंगाला, जिले के विभिन्न थानों में दर्ज है सीएमआर चावल गबन के 35 मामले, गबन करने वालों में कई सफेदपोशो के नाम भी शामिल

केटी न्यूज/बक्सर

जिले में करोड़ो रूपए के सीएमआर के चावल गबन मामले की जांच सीआईडी ने शुरू कर दी है। सीआईडी द्वारा इस मामले की जांच शुरू करते ही गबन के आरोपित मिलरो तथा संबंधित पदाधिकारियों की मुश्किलें बढ़ गई है। मिली जानकारी के अनुसार सीआईडी में बतौर डीएसपी के पद पर तैनात अनिशा राणा व पूजा प्रसाद इस मामले की जांच के तहत शुक्रवार को बक्सर आई थी।

इस दौरान दोनों पदाधिकारियों ने चावल गबन से संबंधित केस तथा फाईलो को पूरे दिन खंगाला। इस दौरान गबन के पुख्ता प्रमाण के साथ ही मिलरो व कुछ अधिकारियों की भूमिका पर सवाल उठे है। वहीं, जांच प्रक्रिया शुरू होते ही चावल गबन करने वाले मिलरो में हड़कंप मच गया है। जानकारों का कहना है

कि अभी तक मिलर विभाग तथा पुलिस को चकमा देने में सफल रहे थे, लेकिन अब चूकि मामले की जांच सीआईडी की टीम कर रही है, जिससे दूध का दूध और पानी का पानी होने की जहां आम लोगों में उम्मीद बनी है, वहीं, मिलरो तथा सरकारी चावल के राशि का बंदरबांट करने वाले अधिकारी परेशान हो गए है। 

जानकारों का कहना है कि यदि इस इस मामले की पारदर्शी तरीके से जांच की जाए तो करीब तीन दर्जनों मिलरों के अलावे उस समय के एसएफसी के दो प्रबंधकों तथा कुछ अन्य अधिकारियों व कर्मियों पर गाज गिरनी तय है। गौरतलब हो कि इस मामले में एसएफसी के तत्कालीन प्रबंधक रहे व एडीएम आलोक कुमार तथा अरशद फिरोज की भूमिका को संदिग्ध माना गया था। हालांकि, सीआईडी टीम ने इस मामले में कुछ स्पष्ट नहीं बताया, लेकिन इतना जरूर माना कि दोनों अधिकारी संदेह के दायरे में है।

बता दें कि खरीफ वर्ष 2011-12, 12-13, 13-14 व 14-15 में जिले में राइस मिलरों तथा एसएफसी के अधिकारियों की मिलीभगत से करोड़ो रूपए मूल्य के सरकारी चावल का गबन हो गया है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कुल 35 राइस मिलरो पर एफआईआर दर्ज कराया गया है, बावजूद कोई परिणाम सामने नहीं निकला। इस मामले की पेचीदगी को देखते हुए राज्य सरकार ने अब सीआईडी से इस मामले की जांच करवा रही है। सीआईडी की माने तो बक्सर में 35 मामलों के साथ ही पूरे राज्य में ऐसे 300 मिलरो पर केस दर्ज कराया गया है।

वहीं, जानकारों का कहना है कि उस दौरान मिलरो ने एसएफसी से धान लिया था, लेकिन उसके मुकाबले एसएसफसी को चावल नहीं लौटाया था। मिलरों का तर्क था कि उनके गोदाम में रखे-रखे चावल सड़ गए है। यहां बता दें कि मिलरो ने जिस चावल को सड़ने का तर्क दिया है, उसकी कीमत करोड़ो रूपए है। वहीं, सूत्रों का कहना है कि मिलरो ने कुछ भ्रष्ट अधिकारियों के साथ मिलकर उक्त चावल की राशि का गबन कर लिया है। 

बहरहाल अब मामला सीआईडी के पाले में है, देखना है कि सीआईडी टीम इस मामले में कब तक जांच पूरा कर रही है तथा किन-किन अधिकारियों व मिलरो पर गाज गिर रही है। वैसे जिन अधिकारियों को जिम्मे सीएमआर चावल गबन मामले की जांच सौंपी गई है, विभाग की नजरों में वे काफी ईमानदार व कर्तव्यनिष्ठ पुलिस पदाधिकारी मानी जाती है। ऐसे में उनसे बचना भ्रष्ट अधिकारियों व मिलरो के लिए मुश्किल होगा।