कंजिया ठाकुरजी धाम के वार्षिकोत्सव में उमड़ा जनसैलाब, श्रद्धालुओं ने मत्था टेक मांगी मन्नतें
- 1974 से शालीग्राम मूर्ति के समक्ष जल रही अखंड ज्योति, अशोक पेड़ के नीचे विषधरों के दंश का होता है उपचार
केटी न्यूज/नावानगर
आस्था व विश्वास का केन्द्र बना स्थानीय प्रखंड के श्रीठाकुर जी धाम कजियां में सोमवार को श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। इलाके की सभी सड़कें रंग-बिरंगे परिधानों में श्रद्धालुओं की सैलाब से गुलजार देखा गया। सुबह से लेकर देर शाम तक लाखों श्रद्वालुओं ने ठाकुर जी की भक्ति भाव से पूजा-अर्चना एवं दर्शन किया। श्रद्धालुओं ने ठाकुरजी मंदिर में मथा टेक कर मन्नतें मांगी।
इस दौरान ठाकुर जी महाराज के जयघोष से पूरा इलाका गुंजायमान होता रहा। कार्तिक पूर्णिमा के होने वाली इस वार्षिकोत्सव में जैसे-जैसे दिन चढ़ता गया ठाकुरजी महाराज के दर्शन के लिए लोगों की भीड़ बढ़ती गई। अनुमानतः देर शाम तक लगभग पांच लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने ठाकुर जी महाराज के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त करने में सफल रहे। वही ठाकुरजी महाराज के परम कृपा पात्र शिवशंकर चौतन्य जी महाराज की पूजा अर्चना विधि विधान तथा मांगलिक उदघोष से के
साथ की गई। वार्षिकोत्सव को लेकर श्री कंजिया धाम के पूरे परिसर को आकर्षक तरीके से सजाया गया था। मंदिर परिसर में हरिनाम संकीर्तन एवं मानस पाठ की प्रक्रिया लगातार चल रही थी। भीड़ को देखते हुए पुलिस द्वारा कजियां धाम तक जानेवाले प्रत्येक मार्गाे में बैरेकेटिग की गई थी। जिससे की श्रद्धालुओं को किसी तरह की असुविधा न हो सके।
ठाकुरजी के कृपा पात्र से शिवशंकर चैतन्य जी महाराज को मिली थी ईश्वरीय शक्तिः
मान्यता है कि कंजिया ठाकुर जी के कृपा पात्र से स्वामी शिवशंकर चैतन्य महाराज को ईश्वरीय शक्ति प्राप्त थी। शुरुआत के दिनों में चैतन्य जी महाराज विषधरों के दंश से पीड़ित की झाड़ फूंक किया करते थे। मंदिर के संरक्षक विनोद उपाध्याय उर्फ ठून्नू उपाध्याय ने बताया कि एक कोठरी में शालीग्राम की मूर्ति रख शिवशंकर जी चैतन्य महाराज ने तस्पया किया।
जिससे स्वामी चैतन्य जी महाराज को विषधरों का जहर उतारने की ईश्वरीय शक्ति प्राप्त हुई। इसके बाद वर्ष 1974 से शालीग्राम मूर्ति के समक्ष अखंड ज्योति जल रही है। शिवशंकर जी चैतन्य महाराज ब्रह्मलीन हो गए हैं। पर आज भी शालीग्राम की प्रतिमा के आगे पीड़ित नतमस्तक होकर मंदिर परिसर स्थित अशोक पेड़ के नीचे उनके परिजनों द्वारा विषधरों के दंश का उपचार कराते है। यूं कहा जाए कि चैतन्य जी महाराज के तपस्या का फल आज भी लोगों को मिल रहा है।
2010 में हुई थी लक्ष्मीनारायण प्रतिमा का प्राण प्रतिष्ठाः
कंजिया ठाकुर जी धाम में लक्ष्मीनारायण की प्रतिमा है। वर्ष 2010 में प्रतिमा का प्राण प्रतिष्ठा हुई थी। इसके पूर्व से ही कार्तिक पूर्णिमा के दिन ठाकुरजी महाराज का वार्षिकोत्सव मनाया जाता है। धीरे-धीरे लोगों में आस्था का केंद्र बन गया। जहां वार्षिकोत्सव में लाखों लोग पहुंच ठाकुरजी के दर्शन कर प्रसाद ग्रहण करते हैं। ऐसा मानना है कि प्रसाद ग्रहण करने वाले लोगों को एक साल तक विषधर जन्तुओ के डसने का भय दूर हो जाता है। प्रसाद के रुप में खीर एवं पुड़ी लोग ग्रहण करते हैं।
एक सौ एक कुंवारी कन्याओं का किया गया पूजनः
ठाकुरजी महाराज के वार्षिकोत्सव में सुबह साढें़ नौ बजे से मंदिर परिसर में कुल एक सौ एक कुंआरी कन्याओं के पूजन किया गया। वैदिक परंपरा के अनुसार षोडषोपचार से उनका पूजन कर प्रसाद ग्रहण कराया गया।