अवैध खनन से चार मासूमों का कब्र बना मिट्टी का टीला, उदासीन बना रहा प्रशासन

एसपी ने लिया घटना स्थल का जायजा इस घटना की जानकारी मिलते ही बक्सर एसपी शुभम आर्य रविवार की शाम ही सरेंजा पहुंच घटना स्थल का जायजा लिए। उन्होंने टीले का निरीक्षण कर घटना के कारणों का पता लगाया, इस दौरान एसपी ने घटना पर गहरा दुख जताते हुए पीड़ित परिवार को हर संभव सहायता उपलब्ध कराने का आश्वासन भी दिया।

अवैध खनन से चार मासूमों का कब्र बना मिट्टी का टीला, उदासीन बना रहा प्रशासन

- सरेंजा में जमींदोज हुआ टीला सरकारी जमीन का है हिस्सा, वर्षों से हो रहा था अवैध खनन

केटी न्यूज/बक्सर

जिले के राजपुर थाना क्षेत्र के सरेंजा गांव में चार मासूम बच्चियों की मौत ने जहां पूरे जिले को झकझोर कर रख दिया है, वही प्रशासनिक कार्यशैली की पोल भी खोल दी है। ग्रामीणों का कहना है कि उक्त टीला सरकारी भू-भाग है तथा वर्षों से ग्रामीण इस टीले से मिट्टी की अवैध खुदाई कर रहे थे। जिसकों अपने घर की लिपाई-पुताई या फिर मिट्टी भरने की जरूरत होती थी वह इसी टीले की खुदाई कर मिट्टी ले जाता था। टीले के भू-भाग पर वर्षों से हो रहे अवैध खनन के प्रति स्थानीय प्रशासन बेफिक्र बना रहा। जिससे रविवार को हृदय विदारक घटना हुई।

बता दें कि रविवार को सरेंजा दलित बस्ती की पांच बच्चियां उक्त टीले से मिट्टी लाने गई थी। बच्चियों ने जैसे ही टीले से मिट्टी की खुदाई शुरू की कि अचानक टीला का एक बड़ा हिस्सा धंस गया, जिसमें पांचों बच्चियां समा गई थी। ग्रामीणों ने उन्हें जैसे तैसे कर बाहर तो निकाला, लेकिन सिर्फ एक बच्ची की जान बचाई जा सकी, अन्य चार बच्चियों की लाश ही बाहर निकली। पांचवी भी अभी इलाजरत है तथा जीवन व मौत से जूझ रही है। घटना के बाद से गांव में अफरा तफरी मच गई थी। चारों तरफ चिख पुकार सुनाई पड़ रही थी। लोग बदहवास थे, इस दौरान लोग व्यवस्था को कोसते भी नजर आए। लोग व्यवस्था पर सवाल उठा रहे है कि लंबे समय से हो रहे अवैध खनन के प्रति आखिर प्रशासन चुप क्यों था। 

कागजों पर सिमट जा रहा है अवैध खनन रोकने का अभियान 

एक तरफ प्रशासन सरकारी जमीन को संरक्षित करने व अवैध खनन पर लगाम लगाने की बात करता है तो दूसरी तरफ सरेंजा समेत जिले के कई अन्य जगहों पर सरकारी भू-भाग पर स्थित कई ऐतिहासिक टीले व किला अपना अस्तित्व खो रहे है। सरेंजा के जिस टीले के धंसने से चार मासूमों की मौत हुई है उसका भी दायरा काफी बड़ा था। स्थानीय निवासियों का कहना है कि एक जमाने में एक टीला कई एकड़ में फैला था, लेकिन अवैध खनन से अब यह महज कुछ दूर में सिमट कर रह गया है। इसके भू-भाग पर पंचायत द्वारा भी कई निर्माण कराए गए है। वही, हर दिन इस टीले से ग्रामीण मिट्टी की खुदाई कर इसके वजूद को कम कर रहे थे। 

अतिक्रमण व अवैध खनन से मिट रहा है नवरत्न गढ़ किले का अस्तित्व

सरेंजा के अलावे डुमरांव अनुमंडल मुख्यालय के करीब स्थित नया भोजपुर के नवरत्न गढ़ किले तथा केसठ स्थित चेरो-खरवारों के टीला भी अवैध खनन व अतिक्रमण का शिकार है। जिस कारण इन ऐतिहासिक जगहों का न सिर्फ वजूद मिट रहा है बल्कि यहां कभी भी सरेंजा जैसी घटना हो सकती है। जानकारों का कहना है कि नया भोजपुर स्थित राजा भोज का नवरत्न गढ़ किला एक हजार वर्ष से अधिक पुराना है। राजा भोज ने कई एकड़ में इस किले का निर्माण कराया था, तब किले के पीछे से ही गंगा नदी बहती थी। जिस कारण इस किले को काफी उंचाई पर बनाया गया था, लेकिन दशकों से इसके भू-भाग पर अवैध अतिक्रमण व खनन हो रहा है। जिससे यहां भी सरेंजा जैसा हादसा होने से इंकार नहीं किया जा सकता है। 

अतिक्रमण का शिकार है केसठ में चेरों खरवारों का टीला

वही, केसठ प्रखंड के स्थानीय गांव में स्थित चेरों खरवारों का प्राचीन किला भी अतिक्रमण का शिकार है। वर्षों पूर्व टिलेनुमा इस किले से भी मिट्टी की अवैध कटाई की जा रही थी। पिछले कुछ वर्षों में इस किले पर अतिक्रमणकारी काबिज हो गए है। शासन प्रशासन की उदासीनता से इस किले के अस्तित्व पर भी संकट के बादल मंडरा रहे है। 

दूसरे दिन भी मातमपूर्सी करने वालों की लगी रही भीड़

सरेंजा के दलित बस्ती में चार बच्चियों की मौत के बाद दूसरे दिन भी मातमपूर्सी करने वाले जनप्रतिनिधियों व नेताओं की भीड़ लगी रही। ढांढस बंधाने आने वाले लोग पीड़ित परिवार को उचित मुआवजा दिलाने का आश्वासन दे रहे है। वही, दूसरे दिन भी पीड़ित परिवारों की स्थिति सामान्य नहीं हो पाई थी। सोमवार को भी पूरे दिन घर के महिलाओं के रोने सिसकने की आवाजे आ रही थी। घटना के बाद से बस्ती वाले दहशत में है।