डुमरांव : निवर्तमान पार्षदों के लिए निकाय चुनाव की बैतरणी पार करना आसान नहीं
- जलजमाव, बेतरतीब कूड़ा डंपिंग, खराब पड़े स्ट्रीट लाईट जैसी समस्याओं पर निवर्तमानों की चुप्पी पड़ेगी भारी
फोटो- खराब पड़ा स्ट्रीट लाईट
केटी न्यूज/डुमरांव
डुमरांव नगर परिषद चुनाव की आहट मिलते ही संभावित प्रत्याशी तैयारियों में जुट गए है। प्रारूप मतदाता सूची के प्रकाशन के साथ ही उनकी तैयारियां और तेज हो गई है। एक तरफ पुराने पार्षद फिर से अपना परचम लहराने की कवायद कर रहे है तो कई नये चेहरे भी मैदान में हाथ अजमाने को तैयार है। इन सब के बीच समस्याओं के मकड़जाल में फंसे डुमरांव नगर परिषद क्षेत्र में जनता के तेवर इस बार चढ़े हुए है। लोगों के आक्रोश का सबसे बड़ा कारण मुलभूत समस्याओं का समाधान भी नगर परिषद द्वारा नहीं करना और इस पर उनके चुने हुए प्रतिनिधियों की चुप्पी है। बता दें कि नगर परिषद में व्याप्त भ्रष्टाचार व लूट खसोट के साथ सेंट्रल नाला के मिस मैनजमेंट के कारण शहर के एक बड़े हिस्सें पर वर्षों से हुए जलजमाव की समस्या हो या फिर लाखों की निकासी के बावजूद शहर के विभिन्न इलाकों में यूं ही कूड़ा डंपिंग का मामला हर मामले में अधिकतर निर्वतमान पार्षदों ने खुलकर नप प्रशासन के खिलाफ आवाज नहीं उठाया है।
इसके अलावे नये इलाकों में नली, गली व पेयजल की समस्या के समाधान की बात तो दूर कोई ठोस रणनीति भी नहीं बनाई गई है। जिस कारण शहरवासियों का आक्रोश इस बार निवर्तमान पार्षदों पर भारी पड़ सकता है। केशव टाईम्स द्वारा उन मुद्दों को प्रस्तुत किया जा रहा है जो इस बार के नगर परिषद चुनाव में जनता के मुद्दे बन सकते है या जिस पर जबाव देने में निवर्तमान पार्षदों को परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।
पांच वर्षों से जलजमाव की समस्या झेल रहे है शहरवासी
डुमरांव में सिवरेज सिस्टम पूरी तरह से चौपट हो गया है। इस शहर के जल निकासी के मुख्य साधन सेंट्रल नाला मिस मैंनजमैंट का शिकार हो गया है। जिस कारण एक बड़े हिस्सें में पिछले पांच वर्षों से जलजमाव हुआ है। इस कारण सैकड़ो एकड़ भूमि पर खेती नहीं हो पा रही है। कई रिहायशी इलाके भी जलजमाव से सालोभर घिरे रहते है। बता दें कि सेंट्रल नाला का इंड प्वाइंट साफाखाना रोड के पीछे है। जिस कारण साफाखाना रोड के संत कालोनी, अपकारी गली के पीछे, महरौरा रोड में स्थित कब्रिस्तान व उद्यान विभाग के बागीचे के साथ ही खिरौली गांव के तीन तरफ से जलजमाव हो गया है।
वर्षों से पानी जमा होने के कारण उद्यान विभाग के बागीचे में लगे सैकड़ो बड़े पेड़ सूख चुके है। पिछले महीने खिरौली के नागरिकों ने नगर परिषद कार्यालय के साथ ही स्थानीय सांसद का घेराव भी इस मुद्दे पर किया था। बावजूद कोई समाधान नहीं निकल सका है। नगर परिषद के इस मनमानी पर संबंधित वार्डों के पार्षद भी चुप्पी साधे है। जिसका खामियाजा उन्हें चुनाव में भुगतना पड़ सकता है।
नहीं हो सका कूड़ा निस्तारण का समुचित उपाय
विस्तारित क्षेत्रों को मिलाकर डुमरांव नगर परिषद हर महीने सफाई के नाम पर लगभग 40 लाख रूपए खर्च कर रहा है। लेकिन डोर टू डोर कूड़ा उठाव के बाद उसका समुचित निस्तारण का उपाय नगर परिषद प्रशासन नहीं खोज पाया है। सफाईकर्मियों द्वारा शहर के विभिन्न इलाकों में कूड़ा डंप किया जा रहा है। जो रहागीरों के साथ ही आस पास के लोगों के लिए परेशानी का सबव बना हुआ है। विभिन्न इलाकों के लोगों ने कई बार कूड़ा डंपिंग के खिलाफ आवाज उठाया है। लेकिन उन्हें अपने पार्षदों का साथ नहीं मिल पाया है।
खराब है स्ट्रीट लाईंटे
शहर को रौशन करने के लिए लगाए गए अधिकांश स्ट्रीट लाईटें खराब पड़े है। जिस कारण शाम ढलते ही शहर में घुप्प अंधेरा छा जा रहा है। कई बार लोगों द्वारा इसके गुणवत्ता पर सवाल उठाया गया है। मरम्मत की गुहार भी लगाई गई है। लेकिन निवर्तमान पार्षदों की चुप्पी से जनता के आवाज दब गए। वैसे जानकारों की मानें तो स्ट्रीट लाईट लगाने में भारी पैमाने में अनियमितता बरती है।
नये इलाकों में गंभीर है नली गली की समस्या
डुमरांव की एक बड़ी आबादी नयें इलाकों में निवास कर रही है। टेक्सटाईल कॉलोनी, चाणक्या कॉलोनी, शिवपुरी, संत कॉलोनी, शिक्षक कॉलोनी जैसी कई अन्य कॉलोनियां पिछले एक दशक के अंदर ही अस्तित्व में आई है। इन इलाकों में तेजी से आबादी भी बढ़ी है। लेकिन किसी भी कॉलोनियों में नगर परिषद की मुलभूत सुविधाएं मयस्सर नहीं है। मसलन नली गली के साथ ही उन्हें पेयजल के लिए महरूम होना पड़ रहा है।