बक्सर में अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय व शोध संस्थान की स्थापना का कर रहा हूं प्रयास - प्रो. अखिलेश दूबे
बक्सर मेरा पैतृक जिला है, मेरा बचपन यही बीता है तथा बक्सर को अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाने के लिए मैं लालायित हूं। फिलहाल मैं अपने गृह जिला में अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय और शोध संस्थान स्थापित करवाने का प्रयास कर रहा हूं।
केटी न्यूज/डुमरांव
बक्सर मेरा पैतृक जिला है, मेरा बचपन यही बीता है तथा बक्सर को अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाने के लिए मैं लालायित हूं। फिलहाल मैं अपने गृह जिला में अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय और शोध संस्थान स्थापित करवाने का प्रयास कर रहा हूं। उक्त बाते दिल्ली विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के प्रोफेसर व भारतीय इतिहास संकलन योजना के दिल्ली प्रांत के उपाध्यक्ष प्रो. अखिलेश दूबे ने मंगलवार को प्रेस वार्ता के दौरान डुमरांव में कही।
उन्होंने कहा कि बक्सर का इतिहास, पौराणिक महत्ता तथा आध्यात्मिक गहराई इसे विश्व स्तरीय शहरों की श्रेणी में ला खड़ा करता है, जरूरत है उन ऐतिहासिक, पौराणिक व आध्यात्मिक धरोहरों को संजोने तथा उसे विश्व पटल पर लाने की, मैं यही प्रयास कर रहा हूं। इसके लिए मुझे बक्सर वासियो का सहयोग चाहिए।
प्रो. दूबे ने कहा कि बक्सर में अंतर्राष्ट्रीय स्तर के संग्रहालय व शोध संस्थान खोलने के लिए मैं व्यक्तिगत तौर पर पीएमओ से पत्राचार कर चुका हूं अब मेरा अगला लक्ष्य प्रधानमंत्री के नाम इस मांग के समर्थन में कम से कम 10 लाख लोगों से पोस्टकार्ड भेजवाना है। उन्होंने कहा कि मैं बहुत जल्दी 10 दिवसीय प्रवास पर बक्सर आ रहा हूं, इस दौरान मैं लोगों से मिल प्रधानामंत्री के नाम पोस्टकार्ड भेजवाने की अपील करूंगा साथ ही इस दौरान मैं अपनी पूर्व की घोषणा के तहत प्रतियोगी छात्रों के लिए निःशुल्क कोचिंग की शुरूआत भी करूंगा। प्रो. दूबे ने कहा कि वे कभी भी अपने लक्ष्य से पीछे नहीं हटेंगे तथा यहा के युवाओं को अच्छी शिक्षा व रोजगार दिलाने में कोई कोर कसर नहीं छोडेंगे। वही, एक सवाल के जबाव में उन्होंने कहा कि उपेक्षित पड़े त्रेतायुगीन मारीच डीह का सौंदर्यीकरण करा उसे रामायण सर्किट से जोड़ा जाएगा। इसके लिए मैने आज से ही प्रयास शुरू कर दिए है।
प्रो. दूबे ने कहा कि बक्सर में डीम्ड विश्वविद्यालय की स्थापना करवाना भी उनका लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि यह प्रभु श्रीराम की शिक्षा स्थली व महर्षि विश्वामित्र का रिसर्च सेंटर रहा है। बक्सर को दुनिया के सामने उसी रूप में प्रस्तुत करने का मैं प्रयास कर रहा हूं, ताकी इसकी सही पहचान दुनिया के सामने आ सकें। बता दें कि प्रो. दूबे मूल रूप से सिमरी प्रखंड के दुबौली गांव के रहने वाले है तथा उनके इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई बक्सर से ही हुई है। वे बुधवार को वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय, आरा में आयोजित दीक्षांत समारोह में शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि बहुत जल्द उनके प्रयास धरातल पर दिखाई पड़ने लगेंगे।