मुख्यमंत्री के आदेश को दरकिनार कर जांच की हो रही खानापूर्ति
स्वास्थ्य विभाग में नहीं थम रहा है मैनेज का खेल
जांच टीम के पहुंचने के पहले ही आरोपियों तक पहुंच जा रहा है मैसेज
केटी न्यूज/डुमरांव
स्वास्थ्य विभाग में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। जिले के सरकारी अस्पतालों में लचर स्वास्थ्य व्यवस्था तथा सरकारी डाक्टरों के निजी प्रैक्टिस तथा निजी अस्पतालों की मनमानी की शिकायत मुख्यमंत्री के जनता दरबार तक पहुंच गई। वहां से जांच टीम भी गठित हो गई। लेकिन जांच टीम की कार्यशैली खुद सवालों के घेरे में आ गई है। हम बात कर रहे है मुख्यमंत्री के जनता दरबार में
स्वास्थ्य विभाग में भ्रष्टाचार की शिकायत करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता हरेकृष्ण सिंह की। उनके शिकायत के बाद मुख्यमंत्री के निर्देश पर विभाग के दो क्षेत्रिय उपनिदेशक के नेतृत्व में एक जांच टीम 21 जुलाई को सदर अस्पताल पहुुंच मामले की जांच शुरू कर दी। इस दौरान शिकायतकर्ता हरेकृष्ण के साथ बक्सर सीएस डा एससी सिन्हा भी मौजूद थे। हरेकृष्ण ने अपने आवदेन के साथ ही
जांच टीम के सामने बताया कि डुमरांव अनुमंडलीय अस्पताल के उपाधीक्षक डा गिरिश सिंह अपने निजी आवास पर हरि प्रेम चिकित्सालय नाम से निजी अस्पताल चला रहे है। उनके बोर्ड पर उनका नाम भी अंकित है। जांच टीम ने उन्हें कार्रवाई का भरोसा दिलाया। लेकिन हरेकृष्ण ने आशंका जताई थी कि जांच टीम के पहुंचने के पहल मैनेज के खेल में बोर्ड को हटाया जा सकता है। तब जांच टीम ने उन्हें आश्वत किया था।
लेकिन दो दिनों के अंदर ही उनकी आशंका सच साबित हो गई। हरेकृष्ण की मानें तो जांच टीम में शामिल लोगों के इशारे पर ही उपाधीक्षक के घर के पास लगे बोर्ड को पेंट कर अस्पताल तथा डाक्टर का नाम गायब कर दिया गया है।
आखिर उस दिन क्यों नहीं आई जांच टीम
हरेकृष्ण ने बताया कि 21 जुलाई को जब जांच टीम के सामने मैने यह मुद्दा उठाया था और कहा कि इसकी आज ही जांच होनी चाहिए। तब जांच टीम के अधिकारी मुझे झांसे में रख डुमरांव के बदले नया भोजपुर के एक निजी अस्पताल की जांच कर पटना लौट गए। अभी तक वे दुबारा जांच करने नहीं आए है। इधर उपाधीक्षक के निजी अस्पताल को बोर्ड गायब हो गया। हरेकृष्ण ने इसे सेटिंग का खेल बताते हुए फिर से इसकी शिकायत मुख्यमंत्री के जनता दरबार में करने की बात कही है।
निजी अस्पतालों पर भी मेहरबान है विभाग
हरेकृष्ण ने अपने आवेदन में डुमरांव में संचालित हो रहे करीब आधा दर्जन निजी अस्पतालों का जिक्र करते हुए बताया है कि इन अस्पतालों में फर्जी तरीके से रिटायर्ड डाक्टरों के नाम का बोर्ड लगाया गया है। जबिक उन डाक्टरों को पता तक नहीं है कि उनके नाम पर अस्पताल संचालित हो रहे है। आवेदन के बाद विभाग द्वारा जांच के नाम पर सिर्फ लिपापोती की गई है। हरेकृष्ण ने बताया कि उनके पास इसके साक्ष्य मौजूद है।
क्या कहते है सीएस
इस संबंध में सीएस डा एस सी सिन्हा ने बताया कि मुख्यमंत्री के आदेश पर दो क्षेत्रिय उपनिदेशक स्तर के अधिकारी आए थे। उनके द्वारा जांच रिपोर्ट देने के बाद ही विभाग कोई कारवाई करेगी। सीएस ने कहा कि अभी मामला प्रक्रियाधीन है।