200 साल पुराने ऐतिहासिक तालाब के अतिक्रमण पर उग्र हुए ग्रामीण, बैठक कर जताया विरोध
- ग्रामीणों ने स्थानीय पुलिस व सीओ से की शिकायत
- पुराना भोजपुर और नवाडेरा के बीच स्थित है तालाब
केटी न्यूज/डुमरांव
एक तरफ जल जीवन हरियाली योजना के तहत पुराने तालाबों व जलाशयों का जीर्णोद्धार कराया जा रहा है। माननीय पटना उच्च न्यायालय के निर्देश पर जलाशयों को अतिक्रमणमुक्त भी कराया जा रहा है तो दूसरी तरफ प्रखंड मुख्यालय से महज पांच किलोमीटर दूर स्थित पुराना भोजपुर व नवाडेरा के मध्य स्थित 200 साल पुराने तालाब में मिट्टी की भराई कर उसे अतिक्रमित करने का प्रयास किया जा रहा है। 29 दिसंबंर से ही तालाब के भूभाग पर मिट्टी भराई का काम शुरू हुआ था। लेकिन स्थानीय नवाडेरा व पुराना भोजपुर के ग्रामीणों ने इसका विरोध शुरू कर दिया है। ग्रामीणों का तर्क है कि यह तालाब 200 वर्ष पुराना है तथा इसके किनारे लोक आस्था के महापर्व छठ के साथ ही श्राद्ध कर्म सहित कई अन्य धार्मिक अनुष्ठान किए जाते है। जबकि गर्मी के मौसम में इलाकाई पशुपालकों के लिए यह तालाब वरदान साबित होता है। इसके पानी से पालतू मवेशी व जंगली जानवर अपनी प्यास बुझाते है। पुराना भोजपुर और नवाडेरा के हजारों की आबादी के लिए यह तालाब काफी उपयोगी है। लेकिन अब भू माफियाओं द्वारा इसके अस्तित्व पर ही प्रश्न चिन्ह खड़ा किया जा रहा है। जिससे ग्रामीण उग्र हो उठे है। दोनों गांवों के ग्रामीणों ने सोमवार को तालाब के पास बैठक कर इस ऐतिहासिक तालाब का अस्तित्व बचाने के लिए संघर्ष का ऐलान किया है। ग्रामीणों ने इसकी जानकारी स्थानीय पुलिस व सीओ को भी दी है। बैठक का नेतृत्व नवाडेरा के सामाजिक कार्यकर्ता राजेश कुमार उर्फ सोनू यादव ने किया। इस दौरान अमरेन्द्र कुमार, दीपक यादव, इस्लाम अंसारी, प्रभुनाथ सिंह, श्यामलाल सिंह, हरेराम सिंह, अमरेन्द्र सिंह, विकास यादव, रामनाथ सिंह, राजेश कुमार, अशोक यादव आदि उपस्थित थे।
30 जनवरी से ही विरोध जता रहे है ग्रामीण
इस संबंध में जानकारी देते हुए राजेश उर्फ सोनू यादव ने बताया कि 29 दिसंबर को जेसीबी से मिट्टी भराई की जा रही थी। 30 दिसंबर को ग्रामीणों की सूचना पर तत्काल नया भोजपुर ओपी पुलिस को इसकी सूचना दे काम रूकवाया गया। उन्होंने कहा कि यह तालाब दो गांव के लोगों का मुख्य जलाशय है तथा इसमें सालोभर पानी भरा रहता है। जिस कारण यह आदमी से लेकर पशु पक्षियों तक के लिए उपयोगी है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण इस तालाब को अस्तित्व नहीं मिटने देंगे।
नव निर्मित फोर लेन व पुराने एनएच 84 के बीच अवस्थित है तालाब
यह ऐतिहासिक तालाब नव निर्मित फोरलेन व पुराने एनएच 84 के बीच अवस्थित है। जिस कारण इसके जमीन की कीमत भी बढ़ गई है। यही कारण है कि इसके कीमती जमीन पर भूमाफियाओं की नजर लग गई है तथा भूधारी के साथ मिल इसका अस्तित्व चौपट करने का प्रयास किया जा रहा है।
दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद मिट्टी की भराई कराने वाले पक्ष से कागजातों की मांग की गई है। कागजात देखने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। तत्काल मिट्टी भराई पर रोक लगाई गई है। जलाशयों का अस्तित्व बचाना सरकार की प्राथमिकता है। - अंकिता सिंह, सीओ डुमरांव