मंदिर में पौधरोपण कर राज परिवार की बेटी आकृति ने दी पर्यावरण संरक्षण का संदेश

मंदिर में पौधरोपण कर राज परिवार की बेटी आकृति ने दी पर्यावरण संरक्षण का संदेश
मंदिर में पौधरोपण करती राज परिवार की बेटी

- सदियों पुराना है डुमरांव राज घराने का पर्यावरण प्रेम

केटी न्यूज/डुमरांव

डुमरांव राज घराने का सदियों पुराना पर्यावरण प्रेम आज भी जिंदा है। इसकी बानगी बुधवार को एक बार फिर से देखने को मिली। राजपरिवार की बेटी तथा स्व महाराजा बहादुर कमल सिंह के छोटे बेटे मान विजय सिंह की पुत्री आकृति कुमारी बुधवार को श्री काली आश्रम मंदिर में पूजा करने के बाद पौध रोपण किया। वे यहा अपने माता पिता के साथ मां काली की पूजा करने आई थी। पूजा संपन्न होते ही वे अपने साथ लाई पौधें को मंदिर परिसर में अपने हाथों से लगाया। इस दौरान उन्होंने उपस्थित लोगों को पर्यावरण संरक्षण की सीख दी और बताया कि बिगड़ रहे पर्यावरण को बचाने का एक मात्र उपाय पौधरोपण करना तथा अधिक से अधिक पौधों का संरक्षण करना है।

उन्होंने डुमरांव के प्रसिद्ध श्री काली आश्रम मंदिर परिसर में अपने पूरे परिवार के साथ पौधरोपण किया। इस दौरान उनके पिता मान विजय सिंह, माता, परिवार के कुछ लोग तथा मंदिर के पुजारी, मंदिर समिति के सदस्य तथा मंदिर में मौजूद श्रद्धालुओं इसके साक्षी बने तथा इस पुनीत कार्य व लोगों को सीख देने के लिए राज परिवार की बेटी को साधुवाद दिया तथा उनके प्रकृति के प्रति प्रेम की भूरि-भूरि प्रशंसा की। 

मानविजय सिंह ने भी दिया संदेश

वही मानविजय सिंह ने कहा कि वृक्षों की अंधाधुंध कटाई और बेलगाम बढ़ती जनसंख्या से धरती पर पर्यावरण संकट बढ़ता जा रहा है। सरकारों को जितना हरियाली के लिए प्रयास करना चाहिए था, उतना नहीं हुआ है। कुछ समझदार लोगों में पेड़ों के प्रति जागरूकता अवश्य बढ़ी है। उन्होंने लोगों को जन्मदिन, शादी तथा अन्य विशेष मौकों पर पौधरोपण करने के लिए लोगों को प्रेरित किया।

सदियों पुराना रहा है राजपरिवार का पर्यावरण प्रेम

बता दें कि राज परिवार का पर्यावरण प्रेम सदियों पुराना रहा है। करीब 200 साल पहले तत्कालीन महाराज बहादूर स्व जयसिंह द्वारा पर्यावरण संरक्षण के उदेश्य से 52 बीघे के भू-भाग पर बागीचा लगाया गया था। बाग-ए-कला ( बड़ा बाग ) के नाम से मशहूर यह बागीचा आज भी सूबे बिहार में काफी चर्चित है। भोजपुर कोठी भी चारों तरह से बागीचों से घिरा है। पूर्व महाराजा बहादूर स्व कमल सिंह भी पर्यावरण तथा कृषि कार्य में गहरी रूचि रखते थे। आज भी इस घराने का पर्यावरण के प्रति लगाव बरकरार है।