बक्सर नगर परिषद के खिलाफ सफाईकर्मियों का बगावत, शहर की सफाई व्यवस्था ठप

बक्सर नगर परिषद इन दिनों गंभीर आरोपों और गहरी नाराज़गी के केंद्र में है। शुक्रवार की सुबह नगर परिषद के सफाईकर्मियों ने अचानक कामकाज बंद कर दिया, जिसके बाद शहर की सफाई व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो गई। बीते एक महीने के भीतर यह दूसरी बार है जब सफाईकर्मी सड़कों पर उतरने को मजबूर हुए हैं। मजदूरी भुगतान में अनियमितता, तय दर से कम मानदेय और अधिकारियों की कथित लापरवाही ने कर्मियों का आक्रोश इतना बढ़ा दिया कि वे परिषद कार्यालय के सामने ही सफाई वाहनों को खड़ा कर धरना पर बैठ गए।

बक्सर नगर परिषद के खिलाफ सफाईकर्मियों का बगावत, शहर की सफाई व्यवस्था ठप

-- तय मजदूरी से कम भुगतान, मानदेय में घोटाले का आरोप, कई महीनों से रुका मानदेय, दूसरी बार हड़ताल से शहर कूड़े में डूबा, परिषद से जवाबदेही की मांग तेज

केटी न्यूज/बक्सर

बक्सर नगर परिषद इन दिनों गंभीर आरोपों और गहरी नाराज़गी के केंद्र में है। शुक्रवार की सुबह नगर परिषद के सफाईकर्मियों ने अचानक कामकाज बंद कर दिया, जिसके बाद शहर की सफाई व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो गई। बीते एक महीने के भीतर यह दूसरी बार है जब सफाईकर्मी सड़कों पर उतरने को मजबूर हुए हैं। मजदूरी भुगतान में अनियमितता, तय दर से कम मानदेय और अधिकारियों की कथित लापरवाही ने कर्मियों का आक्रोश इतना बढ़ा दिया कि वे परिषद कार्यालय के सामने ही सफाई वाहनों को खड़ा कर धरना पर बैठ गए।

सैकड़ों की संख्या में मौजूद कर्मियों ने “मजदूर एकता ज़िंदाबाद” और “नगर परिषद मुर्दाबाद” जैसे नारे लगाकर साफ कर दिया कि इस बार वे आधे-अधूरे आश्वासन पर पीछे हटने वाले नहीं हैं। हड़ताल का असर इतना व्यापक रहा कि शहर के प्रमुख वार्डों में सुबह से ही कूड़े के ढेर दिखने लगे, दुर्गंध से लोगों का जीना मुश्किल हो गया और गलीदृमोहल्लों में स्वास्थ्य संकट की स्थिति बनने लगी।

सफाईकर्मियों का कहना है कि दीपावली के ठीक पहले की गई पिछली हड़ताल के दौरान 14 नवंबर तक सभी मांगों को पूरा करने का लिखित आश्वासन दिया गया था, लेकिन तय तिथि बीतने के बावजूद भुगतान व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं हुआ। कई मजदूरों को जहां पिछले एक महीने का मानदेय नहीं मिला है, वहीं कुछ कर्मचारी चार-चार महीने से वेतन का इंतजार कर रहे हैं। मजदूरों ने यह भी आरोप लगाया कि 25 दिन काम करने पर भी

 पांच दिन की हाजिरी काट दी जाती है, जिससे उन्हें महीने में सिर्फ 20 दिन का ही भुगतान मिलता है।

सबसे गंभीर आरोप मजदूरी दर में भारी गड़बड़ी को लेकर लगाए गए। कर्मियों ने बताया कि सरकार द्वारा निर्धारित दर के अनुसार नए मजदूरों को प्रतिदिन 385 रुपये और पुराने को 495 रुपये मिलना चाहिए। लेकिन नगर परिषद नए कर्मियों को सिर्फ 303 रुपये और पुराने कर्मियों को 404 रुपये दे रही है। इतना ही नहीं, हाल ही में सरकार ने मजदूरी दर बढ़ाकर क्रमशः 504 और 611 रुपये कर दी है, फिर भी भुगतान पुराने और घटे हुए दर पर ही किया जा रहा है। मजदूरों का सीधा सवाल है कि तय मजदूरी और वास्तविक भुगतान के बीच का अंतर आखिर जाता कहां है।

सफाईकर्मी धर्मेंद्र ने आरोप लगाया कि नगर परिषद में वर्षों से मजदूरों का शोषण हो रहा है और भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी गहरी हैं कि बार-बार शिकायत के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं होती। उन्होंने कहा कि इतने बड़े स्तर पर मजदूरी में कटौती होना किसी सिस्टम की गलती नहीं, बल्कि सीधा भ्रष्टाचार है। अधिकारी जानते हैं, फिर भी आंखें मूंदे हुए हैं।कर्मियों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगे तुरंत नहीं मानी गईं तो आंदोलन का अगला चरण और भी उग्र होगा। वे सड़क जाम जैसे व्यापक कदम उठाने से भी नहीं हिचकेंगे। साफ है कि हड़ताल केवल मजदूरी का मुद्दा नहीं, बल्कि व्यवस्था की विफलता और जवाबदेही की कमी पर भी सवाल खड़े करती है।

उधर, नगर परिषद के अधिकारी बातचीत के जरिए संकट को शांत करने की कोशिश में जुटे हैं। प्रशासन ने दावा किया है कि मजदूरों की मांगों पर “गंभीरता से विचार” चल रहा है और जल्द ही समाधान निकाला जाएगा। लेकिन बुधवार देर शाम तक बातचीत का कोई ठोस परिणाम सामने नहीं आया, और शहर की सफाई व्यवस्था पूरी तरह अस्त-व्यस्त बनी रही।बक्सर की सड़कें, गलियां और मोहल्ले इस बात के गवाह हैं कि यदि बुनियादी सेवाओं से जुड़े कर्मियों की आवाज अनसुनी की जाए, तो इसका असर सीधे जनता की ज़िंदगी पर पड़ता है। अब देखने वाली बात यह होगी कि नगर परिषद आरोपों से निकलकर व्यवस्था सुधारती है या शहर का कूड़ा संकट और लंबा खिंचने वाला है।