शहनाई उस्ताद बिस्मिल्लाह ने बना लिया पूरी दुनिया को अपना मुरीद - अश्विनी चौबे
- उस्ताद बिस्मिल्लाह खां महोत्सव में बिहार गौरव गाथा के साथ कलाकारों ने बांधा समां, देर रात तक झूमते रहे श्रोता
- कार्यक्रम में डीएम समेत मौजूद थे कई प्रशासनिक अधिकारी, दर्शकों से पट गया था राज हाई स्कूल का बड़ा मैदान
केटी न्यूज/डुमरांव
डुमरांव की मिट्टी से उपजे शहनाई के शाहंशाह बिस्मिल्लाह खां ने दुनिया को शहनाई के सुमधुर वाद्य से परिचित कराया था। यूं तो उनके गए 17 साल गुजर चुके है, लेकिन उनकी शहनाई की मधुर गूंज आज भी लोगों को उनके होनें का अहसास दिलाती है। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने उन्हें भारत रत्न अलंकार से नवाजा था। उक्त बातें भारत सरकार के राज्य मंत्री सह बक्सर सांसद अश्विनी कुमार चौबे ने बुधवार की शाम राज हाई स्कूल के मैदान में कही।
अवसर था बिस्मिल्लाह खां महोत्सव का। इसके पहले इस महोत्सव का उदघाटन केन्द्रीय मंत्री के साथ बक्सर डीएम अंशुल अग्रवाल, डीडीसी डॉ. महेन्द्र पाल, डुमरांव एसडीएम कुमार पंकज, बीडीओ संदीप पांडेय, सीओ अंकिता सिंह, चेयरमैन प्रतिनिधि सुमित गुप्ता, गजल गायिका नीतू कुमारी ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्जवलित कर किया। आगत अतिथियों को जिला प्रशासन की ओर से बुके देकर सम्मानित किया गया। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि डुमरांव के पावन धरती पर कला संस्कृति का भवन बनाने की पहल किया गया है। इसके लिए करीब 15 लाख की राशि भी निर्गत किया गया है।
लेकिन, जमीन नहीं मिलने के कारण राशि वापस लौट गई। दूसरी बार उस्ताद के आंगन को भव्य भवन बनाकर कला संस्कृति और ऐसे वाद्यो का प्रशिक्षण देने की कोशिश की गई। लेकिन वह जमीन भी विवाद के घेरे में रहा। उन्होंने कहा कि रेल मंत्री के आग्रह पर डुमरांव के रेलवे स्टेशन पर गाड़ियों के ठहरने व खुलने के समय पर शहनाई की धून बजवाने की शुरूआत की गई थी। आज के युवा वर्ग भी शादी विवाह के दौरान इस कला को महत्व देते हुए प्रदर्शित करें। उन्होंने शहनाई के सम्राट उस्ताद बिस्मिल्लाह खां को नमन किया।
कार्यक्रम का संचालन शिक्षक सह चर्चित तबला वादक अनुराग मिश्र ने किया। मौके पर भाजपा जिलाध्यक्ष विजय सिंह उर्फ भोला सिंह, भाजपा के डुमरांव ग्रामीण मंडल अध्यक्ष राजीव कुमार उर्फ बब्लू पाठक, भाजपा नेता दीपक यादव, रेडक्रास के सचिव सरवन तिवारइी, संजय सिंह राजनेता समेत सैकड़ो गणमान्य व हजारों दर्शक मौजूद थे।
दिशा, दिशा में लोक रंग तार तार है...
महोत्सव में सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शुरूआत बिहार के गौरव गाथा से शुरू हुई। जिसमें बिहार के महापुरूषों के साथ होली, छठ, चैता, समाचकेबा, डोमकच आदि लोक गीतों व विधाओं की प्रस्तुति देते हुए कलाकारों ने यहां की लोक संस्कृति से रूबरू कराया। यह प्रस्तुति मगध संगीत संस्थान पटना द्वारा की गई थी। जिस पर दर्शकों ने जमकर तालियां बजाई। बिहार की गरिमा और नृत्य के भाव को बखूबी अवगत कराते हुए कलाकारों ने कुमार उदय सिंह, निशा कुमारी, अली शाह, प्रिति, दिया, वर्षा, सुनीत, शशांक जैसे कलाकारों ने अपने अपने प्रस्तुति से समां बांध दिया। इसके पूर्व स्थानीय कलाकारों ने एक से बढ़कर एक गीत व नृत्य कलाओं से लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया। स्थानीय कलाकारों में सुमन कुमारी, रंजीत कुमार, प्रिंस कुमार, आेंकार दूबे, सतीश कुमार, हनी एंड ग्रुप, अनुराग संगीत एकाडमी आदि शामिल रहे।
यहीं हिंदुस्तान हमारा पर झूमने को विवश हुए श्रोता
चर्चित कौव्वाल बच्चा नसीम कौसर ने अपनी प्रस्तुति के दौरान जैसे ही यही हिंदुस्तान हमारा कौव्वाली को शुरू किया हजारों दर्शक तालियां बजाते हुए झूमने लगे। इसके बाद उन्होंने एक से बढ़कर एक कौव्वाली का गायन कर श्रोताओं के उत्साह को चरम पर पहुंचा दिया। उनके गायन के दौरान श्रोताओं के तालियां बजती रही।
हम तेरे शहर में आए है मुसाफिर की तरह...
बिहार के रंग में रमे गया निवासी प्रसिद्ध गजल गायक नवेंदु भट्टाचार्या ने उस्ताद बिस्मिल्लाह महोत्सव के मंच से कई गजलों की प्रस्तुति दे श्रोताओं का रोमांचित कर दिया। उन्होंने अपनी प्रस्तुति में हम तो तेरे शहर में आए है, मुसाफिर की तरह गाकर महफिल लूट ली। उसके बाद बारी बारी से चिट्ठी आई है..., जिये तो जिये कैसे...., चांदी जैसा रंग है तेरा, सोने जैसे बाल... आदि गजल को गा समारोह में चार चांद लगा दिया।
वालीवुड गायक को देखने उमड़े श्रद्धालु, करतल ध्वनियों से किया स्वागत
समारोह के मुख्य आकर्षण वालीवुड गायक अल्ताफ राजा के मंच पर पहुंचते ही दर्शक उनकी एक झलक पाने को बेताब दिखे। वे सबसे अंत में कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे। उनके पहुंचते ही वहां मौजूद हजारों लोगों ने करतल ध्वनियों से उनका जोरदार स्वागत किया। दर्शकों द्वारा किए गए जोरदार स्वागत पर हाथ जोड़ आभार जताया। उनके गायन के दौरान श्रोता टस से मस नहीं हुए।