बेटे की मौत का सदमा बर्दाश्त नहीं कर सकी मां, शव देख बिगड़ी तबीयत, इलाज के दौरान मौत

एक मां के लिए सबसे प्रिय उसका पुत्र होता है। मां जान की बाजी लगा भी अपने पुत्र की रक्षा करती है और बेटे को खरोच तक आए तो मां को बर्दाश्त नहीं होता है। ऐसे में जवान बेटे का शव देखना किसी मां के लिए सबसे बड़ा सदमा होता है। इसी सदमें में एक मां ने मौत को गले लगा लिया।

बेटे की मौत का सदमा बर्दाश्त नहीं कर सकी मां, शव देख बिगड़ी तबीयत, इलाज के दौरान मौत

-- मुफस्सिल थाना क्षेत्र के खरगपुरा गांव की है घटना, 20 दिन पहले सउदी अरब में हुई थी बेटे की मौत

केटी न्यूज/चौसा

एक मां के लिए सबसे प्रिय उसका पुत्र होता है। मां जान की बाजी लगा भी अपने पुत्र की रक्षा करती है और बेटे को खरोच तक आए तो मां को बर्दाश्त नहीं होता है। ऐसे में जवान बेटे का शव देखना किसी मां के लिए सबसे बड़ा सदमा होता है। इसी सदमें में एक मां ने मौत को गले लगा लिया। 

मामला मुफस्सिल थाना क्षेत्र के खरगपुरा गांव का है। इस गांव के निवासी नूर हसन के परिवार का है। उनके पुत्र इमामुल हसन की मौत 20 दिन पूर्व सउदी अरब में हो गई थी। गुरूवार की शाम उसका शव सउदी से पैतृक गांव लाया गया, जहां उसकी मौत की खबर मिलने के बाद से ही उसकी मां बेसुध हो वाराणसी के एक निजी अस्पताल में इलाजरत थी।

शव आने पर मां को अंतिम दर्शन के लिए अस्पताल से गांव लाया गया, लेकिन बेटे का शव देखते ही मां इस सदमें को बर्दाश्त नहीं कर सकी तथा वहीं पर बेहोश हो गिर पड़ी तथा पलक झपकते ही उसकी मौत हो गई। इस घटना के बाद पीड़ित परिवार में कोहराम मच गया। बेटे के बाद मां की मौत के दोहरे सदमे से परिवार में मातम पसर गया है।  

जानकारी के अनुसार नूर हसन अंसारी के जुड़वा बेटे इमामुल हसन और एजाजुल हसन तीन महीने पहले ही बेहतर भविष्य की तलाश में सऊदी अरब गए थे। दोनों किसी निजी कंपनी में कार्यरत थे और घर की आर्थिक स्थिति सुधारने की कोशिश में लगे थे। मगर नियति को कुछ और ही मंजूर था। करीब 20 दिन पहले इमामुल हसन एक सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गया। उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद उसे बचाया नहीं जा सका।

उसकी मौत की सूचना जब परिवार को मिली, तो घर में कोहराम मच गया। मां आसिया खातून यह खबर सुनकर बेहोश हो गई और तबीयत बिगड़ने पर उन्हें वाराणसी के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया। पर दिल मां का था, जो बेटे की एक झलक पाने के लिए बेचैन था।

गुरुवार की शाम जब इमामुल का शव ताबूत में गांव पहुंचा, तो परिवार ने मां को भी वाराणसी से लाकर बेटे की अंतिम झलक दिखाने की कोशिश की। लेकिन जैसे ही मां की नजर बेटे की ताबूत पर पड़ी, वे वहीं बेहोश होकर गिर पड़ीं। अस्पताल ले जाने की तैयारी भी पूरी नहीं हो पाई थी कि उन्होंने भी अंतिम सांसें ले लीं। यह घटना मां की ममता की मिसाल बन गई है।