स्कूल स्थानांतरण के विरोध में सुरौंधा के मतदाताओं ने ठाना, नहीं करेंगे मतदान
जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव का समय नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे राजनीतिक सरगर्मियां तेज होती जा रही हैं। एक ओर जहां विभिन्न राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता जनता के बीच पहुंचकर अपने-अपने प्रत्याशियों के लिए समर्थन जुटा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर ग्रामीण इलाकों में मतदाता विकास कार्यों को लेकर अपनी नाराजगी भी खुलकर जाहिर करने लगे हैं।

-- तीन किलोमीटर पैदल चलकर जाना पड़ रहा स्कूल, अभिभाव छोटे बच्चों को नही भेज रहे स्कूल
-- 300 बच्चे नामांकित हैं सुरौंधा प्राथमिक सकूल में, शिक्षा विभाग के फैसले से ग्रामीणों में उबाल
केटी न्यूज/डुमरांव।
जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव का समय नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे राजनीतिक सरगर्मियां तेज होती जा रही हैं। एक ओर जहां विभिन्न राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता जनता के बीच पहुंचकर अपने-अपने प्रत्याशियों के लिए समर्थन जुटा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर ग्रामीण इलाकों में मतदाता विकास कार्यों को लेकर अपनी नाराजगी भी खुलकर जाहिर करने लगे हैं।
इसी क्रम में डुमरांव प्रखंड के सुरौंधा गांव के ग्रामीणों ने शिक्षा विभाग के एक फैसले के खिलाफ बड़ा कदम उठाते हुए मतदान न करने का निर्णय लिया है। गांव के लोगों का आरोप है कि विभाग द्वारा उनके गांव के प्राथमिक विद्यालय का स्थानांतरण सुरौंधा से हटाकर मध्य विद्यालय बन्हेजीडेरा में कर दिया गया है, जो करीब तीन किलोमीटर दूर स्थित है। इस फैसले से ग्रामीणों में गहरा असंतोष है। उन्होंने गांव में बैनर-पोस्टर लगाकर मतदान बहिष्कार का आह्वान किया है। ग्रामीणों का कहना है कि जब सरकार ही उनके बच्चों की शिक्षा से खिलवाड़ करेगी, तो वे वोट क्यों दें।
-- तीन किलोमीटर पैदल चलकर छोटे बच्चे कैसे जाएं स्कूल
इस संबंध में ग्रामीण चंद्रिका यादव, धनु कुमार राय, रामप्रवेश प्रजापति, अनिल तिवारी, राजेश राम, धीरज गोंड, बलेस राम और उमेश यादव सहित कई लोगों ने कहा कि प्राथमिक विद्यालय का स्थानांतरण बच्चों के भविष्य पर कुठाराघात है। उनका कहना है कि छोटे बच्चे तीन किलोमीटर दूर स्थित विद्यालय तक रोज पैदल नहीं जा सकते। इससे उनकी पढ़ाई प्रभावित होगी और अभिभावकों को भी भारी परेशानी उठानी पड़ेगी।
ग्रामीणों ने शिक्षा विभाग के निर्णय को बेतुका और असंवेदनशील बताते हुए कहा कि विभाग को पहले यह देखना चाहिए था कि सुरौंधा प्राथमिक विद्यालय में कितने बच्चे पढ़ रहे हैं और उनकी सुविधा के लिए कौन-कौन से विकल्प मौजूद हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर विभाग ने अपना फैसला वापस नहीं लिया, तो वे आगामी विधानसभा चुनाव में मतदान से पूरी तरह दूरी बना लेंगे।
-- शिक्षा विभाग और प्रशासन की चुप्पी पर नाराजगी
ग्रामीणों का कहना है कि वे इस मुद्दे को लेकर कई बार शिक्षा विभाग और स्थानीय प्रशासन के अधिकारियों से मिल चुके हैं, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। इससे लोगों में आक्रोश और बढ़ गया है। ग्रामीणों ने कहा कि जब तक विभाग गांव के स्कूल को वापस सुरौंधा में बहाल नहीं करता, तब तक उनका मतदान बहिष्कार जारी रहेगा। ग्रामीण नेता भंवर कुमार राय ने कहा कि यह केवल सुरौंधा गांव का मामला नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र की समस्या है। शिक्षा विभाग के इस कदम से आसपास के कई गांवों के बच्चे प्रभावित होंगे। उन्होंने कहा कि सरकार चुनाव के समय वोट मांगने तो आती है, लेकिन जब शिक्षा और विकास की बात होती है तो अधिकारियों की नज़रें बंद हो जाती हैं।
-- महिलाओं और युवाओं में भी उबाल
गांव की महिलाओं और युवाओं में भी विभाग के इस निर्णय को लेकर गुस्सा देखा जा रहा है। उनका कहना है कि बच्चों की सुरक्षा और शिक्षा दोनों पर संकट है। महिलाएं कहती हैं कि छोटे-छोटे बच्चों को इतनी दूर भेजना असंभव है। वहीं युवाओं का कहना है कि जब तक गांव में शिक्षा की मूलभूत सुविधा नहीं दी जाएगी, तब तक विकास की बात करना बेमानी है। ग्रामीणों ने चुनाव आयोग से भी मांग की है कि इस गंभीर मुद्दे पर शिक्षा विभाग को जवाबदेह ठहराया जाए। उनका कहना है कि जब सरकार “सबका साथ, सबका विकास का नारा देती है, तो ऐसे फैसले इस नारे को खोखला बना देते हैं।
-- वोट तभी जब बच्चों को शिक्षा का अधिकार मिले
सुराैंधा गांव के लोगों ने साफ कहा है कि जब तक उनका स्कूल वापस गांव में स्थापित नहीं किया जाता, वे वोट नहीं देंगे। उन्होंने इसे अपने बच्चों के भविष्य की लड़ाई बताया है। ग्रामीणों का कहना है कि चुनाव के दौरान नेता चाहे जितने वादे करें, अगर बच्चों की शिक्षा से समझौता किया गया तो वे किसी भी कीमत पर मतदान नहीं करेंगे। गांव के कोने-कोने में लगे पोस्टर अब यही संदेश दे रहे हैं कि स्कूल दो, तभी वोट लो।
बयान
ग्रामीणों की मांगो पर विचार किया जाएगा, मतदान बहिष्कार करने का जो निर्णय मतदाताओं ने लिया है, उसे वापस ले लिया जाए। मतदान से ही हमारा लोकतंत्र मजबूत होता है। प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वे मतदान करें। जल्दी ही ग्रामीणों की समस्या का समाधान कर उन्हें मतदान के लिए प्रेरित किया जाएगा। - संदीप कुमार पांडेय, बीडीओ, डुमरांव