खांसते या छींकते समय मुंह पर रूमाल या कोई साफ कपड़ा रखें टीबी मरीज
टीबी के मरीज को खांसते या छींकते समय मुंह पर रुमाल या कोई साफ कपड़ा रखना चहिए। मरीज को सार्वजनिक जगहों पर थूकना नहीं चहिए। मरीज को अपनी बलगम को इकट्ठा करके उसे उबालकर बहते पानी में बहा देने या फिर जमीन में दबा देने से संक्रमण को फैलने से रोका जा सकता है।
- टीबी के मरीज को सार्वजनिक जगहों पर थूकने से करना चाहिए परहेज
- बीच में उपचार छोड़ देने की स्थिति में टीबी से निजात पाना हो जाता है कठिन
केटी न्यूज/बक्सर : हमारे शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र हर समय रोगजनक जीवाणुओं से लड़ता रहता है। लेकिन, प्रतिरक्षा तंत्र जैसे ही कमजोर होता तो बीमारियां हावी होने लगती हैं। ऐसी ही, बीमारियों में से एक है टीबी की बीमारी। टीबी (ट्यूबरक्लोसिस) माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक जीवाणु से होता है। टीबी रोग मुख्य रूप से फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है। साथ ही, टीबी का वायरस आंत, मस्तिष्क, हड्डियों, जोड़ों, गुर्दे, त्वचा तथा हृदय को भी प्रभावित कर सकता है। टीबी के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर जिला में यक्ष्मा सेंटर प्रयासरत है। हालांकि, मरीजों को भी इलाज के दौरान एहतियात बरतना होता है। जिससे उनके द्वारा कोई और भी संक्रमित न हो जाए। टीबी के मरीज को खांसते या छींकते समय मुंह पर रुमाल या कोई साफ कपड़ा रखना चहिए। मरीज को सार्वजनिक जगहों पर थूकना नहीं चहिए। मरीज को अपनी बलगम को इकट्ठा करके उसे उबालकर बहते पानी में बहा देने या फिर जमीन में दबा देने से संक्रमण को फैलने से रोका जा सकता है।
हवा में पांच फीट तक जाते हैं ड्रॉपलेट :
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के एनटीईपी कंसल्टेंट डॉ. कुमार बिज्येंद्र सौरभ ने बताया, केवल फेफड़ों की टीबी ही संक्रामक होती है। टीबी एक ड्रॉपलेट इंफेक्शन है। अगर कोई टीबी का मरीज छींकता है, या खांसता है, तो इसके ड्रॉपलेट हवा में पांच फीट तक जाते हैं। ऐसे में, हम मास्क लगाकर और दूरी बनाकर टीबी के संक्रमण को रोक सकते और उसे खत्म कर सकते हैं। टीबी के मरीजों को अपना उपचार पूरा कराने की सलाह दी जाती है। यदि बीच में उपचार छोड़ दिया जाए, तो टीबी से निजात पाना कठिन हो जाता है। एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी का संक्रमण भी फेफड़ों से होता है। अगर इस संक्रमण को रोक लिया जाए तो एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी से बचा जा सकता है। टीबी का मरीज एक वर्ष में दस से पंद्रह लोगों को इस बीमारी से संक्रमित कर सकता है। ऐसे में, टीबी का समय रहते इलाज होना बेहद जरूरी है। डॉक्टर कहते हैं कि यह रोग किसी भी व्यक्ति को हो सकता है। इसलिए, इसे छुपाने की नहीं, बल्कि इस रोग के इलाज की जरूरत है।
बलगम में टीबी के जीवाणु पाए जाते हैं :
दो हफ्ते या उससे अधिक समय से खांसी आना टीबी का मुख्य लक्षण हो सकता है। वहीं, शाम को बुखार आना, बलगम के साथ खून आना, वजन कम होना इसके अन्य लक्षणों में शामिल हैं। टीबी एक संक्रामक बीमारी है, जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकती है। लेकिन, फेफड़ों की टीबी ही संक्रामक बीमारी है। फेफड़ों की टीबी के रोगी के बलगम में टीबी के जीवाणु पाए जाते हैं। रोगी के खांसने, छींकने और थूकने से ये जीवाणु हवा में फैल जाते हैं, और अन्य व्यक्ति के सांस लेने से यह जीवाणु उस व्यक्ति के फेफड़ों में पहुंच जाते और उसे संक्रमित कर देते हैं। टीबी एक ऐसी बीमारी है, जो शरीर के किसी भी अंग में हो सकती है। जो टीबी शरीर के किसी अन्य अंग में होती है, तो उसे एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी कहते हैं। इसके लक्षण भी सामान्य लक्षण से भिन्न होते हैं। अगर किसी को पेट में टीबी होती है, तो उस मरीज को पेट में दर्द और दस्त की शिकायत रहेगी। जो टीबी शरीर के किसी अन्य अंग में होती है, वह संक्रामक नहीं होती।