कुष्ठ उनमूलन के लिए जिले की आशा कार्याकर्ताओं को बनाया जाएगा दक्ष
- विश्व कुष्ट निवारण दिवस को लेकर 31 जनवरी को कार्यक्रम का होगा आयोजन
- सरकारी कार्यालायों और आंगनबाड़ी केंद्रों पर दिलाई जाएगी शपथ, किट का होगा वितरण
बक्सर | सरकार ने वर्ष 2030 तक जिले से कुष्ठ का पूरी तरह से सफाया करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। जिसके लिए राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जिले में कुष्ठ रोगियों के लिए लगातार अभियान चलाए जाते हैं। लेकिन, अब इसे और भी गति देने की तैयारी की जा रही है। इस क्रम में अब जिले की सभी आशाओं को कुष्ठ उन्मूलन में भागीदारी बढ़ाई जाएगी। इयके लिए सभी आशाओं को प्रशिक्षत किया जाएगा। इसके लिए सिविल सर्जन डॉ. जितेंद्र नाथ ने सभी प्रखंडों में तिथिवार प्रशिक्षण शिविर का आयोजन करने का निर्देश दिया है। प्रशिक्षण में आशा कार्यकर्ताओं को कुष्ठ रोग के कारण, लक्षण, बचाव, उपचार एवं मरीजों की कैसे पहचान करें समेत अन्य आवश्यक और जरूरी जानकारी दी जाएगी। ताकि प्रशिक्षित कर्मी आसानी के साथ मरीजों की पहचान कर उन्हें इलाज कराने के लिए प्रेरित कर सकें और अभियान का सफल संचालन सुनिश्चित हो सके। दूसरी ओर, विश्व कुष्ट निवारण दिवस को लेकर जिले में 31 जनवरी को सभी सरकारी कार्यालयों, स्वास्थ्य संस्थानों और आंगनबाड़ी केंद्रों पर शपथ कार्यक्रम का भी आयोजन किया जाएगा।
कुष्ठ रोगी खोज अभियान काफी आसान :
डॉ. शालिग्राम पांडेय ने बताया, कुष्ठ रोगी खोज अभियान काफी आसान है। इस दौरान दो तरह के मरीज मिलने की संभावना रहती है। पहला पीबी यानी जिस मरीजों को एक से दो जगह पर बीमारी की विकृति है, उन्हें 06 माह और दूसरा एमबी यानी जिन्हें दो से अधिक जगहों पर बीमारी की विकृति है, उन्हें 09 माह तक दवाई का सेवन करना जरूरी है। तभी बीमारी को पूर्ण रूप से समाप्त किया जाता है। वहीं, उन्होंने बताया, सामान्य मरीजों के लिए पीएचसी स्तर पर समुचित इलाज की सुविधा उपलब्ध है। जबकि, गंभीर मरीजों को जिला स्तरीय अस्पताल भेजा जाता है। हाल ही में कुष्ठ के मरीजों की खोज के लिए अभियान चलाया गया था। जिसके तहत आशा कार्यकर्ताओं के नेतृत्व में एक-एक टीम घर-घर जाकर मरीजों की पहचान करेंगी और संबंधित मरीजों को इलाज कराने के लिए प्रेरित किया गया।
कुष्ठ रोग एक नजर :
- कुष्ठ रोग जीवाणु से होने वाला एक रोग है।
- कुष्ठ रोग नस और त्वचा दोनों को प्रभावित करता है।
- यदि समय पर इलाज नहीं किया जाए एवं लंबे समय तक साथ रहने पर एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलने की प्रबल संभावना रहती और विकलांगता भी हो सकती है।
- यह किसी भी व्यक्ति, किसी उम्र की महिला-पुरुष को प्रभावित कर सकता है।
- सही समय पर रोग की पहचान एवं उपचार प्रदान कर रोग को पूर्ण रूप से समाप्त किया जा सकता है।