मानसिक स्वास्थ्य पर जागरूकता शिविर, भ्रम और __ झिझक तोड़ने की अपील

डुमरांव प्रखण्ड कार्यालय परिसर में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर एक विशेष जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। शिविर का उद्देश्य आम लोगों को मानसिक बीमारियों के प्रति जागरूक करना, इससे जुड़ी भ्रांतियों को दूर करना और समय पर उपचार के लिए प्रेरित करना था। यह कार्यक्रम जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष काजल झाब तथा अवर न्यायाधीश सह सचिव नेहा दयाल, जिला विधिक सेवा प्राधिकार, बक्सर के मार्गदर्शन में आयोजित किया गया।

मानसिक स्वास्थ्य पर जागरूकता शिविर, भ्रम और __ झिझक तोड़ने की अपील

-प्रखण्ड कार्यालय में लोगों को दी गई मानसिक बीमारियों की विस्तृत जानकारी

केटी न्यूज/डुमरांव 

डुमरांव प्रखण्ड कार्यालय परिसर में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर एक विशेष जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। शिविर का उद्देश्य आम लोगों को मानसिक बीमारियों के प्रति जागरूक करना, इससे जुड़ी भ्रांतियों को दूर करना और समय पर उपचार के लिए प्रेरित करना था। यह कार्यक्रम जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष काजल झाब तथा अवर न्यायाधीश सह सचिव नेहा दयाल, जिला विधिक सेवा प्राधिकार, बक्सर के मार्गदर्शन में आयोजित किया गया।शिविर का संचालन पैनल अधिवक्ता मनोज कुमार श्रीवास्तव एवं पीएलवी अनिशा भारती द्वारा किया गया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में स्थानीय लोग उपस्थित रहे और उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े विषयों पर गंभीरता से जानकारी प्राप्त की।

मानसिक बीमारी कोई शर्म की बात नहीं : मनोज श्रीवास्तव

पैनल अधिवक्ता मनोज कुमार श्रीवास्तव ने अपने संबोधन में कहा कि आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में मानसिक बीमारी एक कड़वी सच्चाई बन चुकी है। इसके बावजूद सबसे चिंताजनक बात यह है कि लोग या तो इसे स्वीकार नहीं करते या फिर इसके प्रति जागरूकता की भारी कमी है। समाज में मानसिक बीमारी को शर्म से जोड़कर देखने की मानसिकता विकसित हो गई है, जिसके कारण लोग इसके लक्षणों को भी पहचान नहीं पाते और समय पर इलाज से वंचित रह जाते हैं।

उन्होंने बताया कि मानसिक विकार ऐसी स्थितियां हैं जो व्यक्ति की सोच, भावना, मनोदशा और व्यवहार को प्रभावित करती हैं। ये विकार थोड़े समय के लिए भी हो सकते हैं या बार-बार उभर सकते हैं। इसका प्रभाव व्यक्ति के सामाजिक संबंधों और दैनिक कार्यक्षमता पर पड़ता है। चिंता, अवसाद, भोजन संबंधी विकार, व्यक्तित्व विकार, मनोविकृति, जुनूनी बाध्यकारी विकार, तनाव, आनुवंशिकता, नशीली दवाओं का दुरुपयोग जैसी कई मानसिक समस्याएं आज आम हो गई हैं।

समय पर परामर्श और पारिवारिक सहयोग जरूरी : अनिशा भारती

पीएलवी अनिशा भारती ने कहा कि जैसे ही मानसिक रोग के लक्षण प्रकट हों, बिना संकोच डॉक्टर या मनोचिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए। यदि संभव हो तो परिवार या करीबी मित्रों का सहारा जरूर लें, ताकि वे चिकित्सक को आवश्यक जानकारी दे सकें। उन्होंने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य का सीधा संबंध व्यक्ति के सोचने, महसूस करने और व्यवहार करने की क्षमता से है और सही परामर्श से इन समस्याओं का सफल प्रबंधन संभव है।

शिविर के माध्यम से उपस्थित लोगों को यह संदेश दिया गया कि मानसिक स्वास्थ्य भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना शारीरिक स्वास्थ्य, और इसके प्रति जागरूकता ही स्वस्थ समाज की नींव है।