श्रीबदरीनाथ धाम के कपाट भी श्रद्धालुओं के लिए खोले
कल रविवार 6 बजे विश्वप्रसिद्ध श्रीबदरीनाथ धाम के कपाट भी श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिए गए हैं।
केटी न्यूज़/उत्तराखंड
कल रविवार 6 बजे विश्वप्रसिद्ध श्रीबदरीनाथ धाम के कपाट भी श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिए गए हैं।केदारनाथ के बाद श्रीबदरीनाथ धाम के कपाट वैदिक मंत्रोचारण और सेना गढ़वाल स्काउट जोशीमठ के बैंड और जय बदरीविशाल के उदघोष के साथ विधि-विधान से खोले गए।कपाट खुलते समय 10 हज़ार तीर्थ यात्री वहां मौजूद रहे।वेदवेदांग संस्कृत महाविद्यालय जोशीमठ के छात्रों शिक्षकों द्वारा कपाट खुलने के दौरान श्रीबदरीनाथ मंदिर सिंह द्वार पर स्वास्तिवाचन किया गया।मंदिर को करीब 20 क्विंटल फूलों से सजाया गया है।
रविवार 12 मई को पूजा-अर्चना, वैदिक मंत्रोचारण के बाद रावल ईश्वर प्रसाद नंबूदरी ने श्रीबदरीनाथ मंदिर के कपाट खोल दिए कपाट खुलते ही मां लक्ष्मी मंदिर गर्भ गृह से अपने मंदिर परिक्रमा स्थित मंदिर में विराजमान हो गईं तथा श्रीउद्धवजी एवं श्रीकुबेरजी सहित गाडू घड़ा तेलकलश बदरीश पंचायत में विराजमान हो गए। इस दौरान संपूर्ण बदरीनाथ धाम में जय बदरीविशाल का उदघोष होने लगा।अभिषेक से पहले भगवान बदरीविशाल के निर्वाण दर्शन शुरू हुए।पिछले साल 18 नवंबर से शीतकाल के लिए बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद कर दिए गए थे। इसके साथ ही आज चारों धाम के कपाट खुल गए हैं। इससे पहले अक्षय तृतीया के मौके पर केदारनाथ, श्रीगंगोत्री, श्रीयमुनोत्री धाम के कपाट खोले जा चुके हैं।
बदरीनाथ धाम को भगवान विष्णु का दूसरा बैकुंठ भी कहते हैं। मान्यता है कि सतयुग तक यहीं पर भगवान विष्णु के साक्षात दर्शन सभी भक्तों को हुआ करते थे।यह पवित्र स्थल भगवान विष्णु के चतुर्थ अवतार नर एवं नारायण की तपोभूमि है। बद्रीनाथ धाम के बारे में मान्यता है कि 'जो जाए बद्री,वो न आए ओदरी' अर्थात एक बार जो व्यक्ति बद्रीनाथ धाम के दर्शन कर लेता है, उसको दोबारा से माता के गर्भ में नहीं आना पड़ता।