गुप्त नवरात्रे क्यों मनाए जाते हैं,गुप्त नवरात्रों में किसकी होती है पूजा
शनिवार 6 जुलाई आषाढ़ माह से 'गुप्त नवरात्रि' शुरू हो गए हैं।इस दौरान मां दुर्गा के 9 स्वरूपों के साथ ही 10 महाविद्याओं का भी पूजन किया जाता है।
केटी न्यूज़/दिल्ली
शनिवार 6 जुलाई आषाढ़ माह से 'गुप्त नवरात्रि' शुरू हो गए हैं।इस दौरान मां दुर्गा के 9 स्वरूपों के साथ ही 10 महाविद्याओं का भी पूजन किया जाता है।हिंदू धर्म में 4 बार नवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है। इसमें 2 बार गुप्त नवरात्रि मनाए जाते हैं। इसके अलावा एक बार शारदीय नवरात्रि और एक बार चैत्र नवरात्रि आते हैं।शारदीय नवरात्रि की तरह गुप्त नवरात्रि को धूमधाम के साथ नहीं मनाया जाता।आइए जानते हैं दूसरे नवरात्रि से गुप्त नवरात्रि क्यों इतने अलग होते हैं?
धर्म शास्त्रों में नवरात्रि का विशेष महत्व बताया गया है और कहते हैं कि इस दौरान यदि मां दुर्गा की अराधना की जाए तो व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और घर में सुख—समृद्धि का वास होता है।शारदीय और चैत्र नवरात्रि की तुलना में गुप्त नवरात्रि काफी अलग होते हैं। गुप्त नवरात्रि में गुप्त विद्या की सिद्धी हेतु साधना की जाती है।इस नवरात्रि में तंत्र साधना की जाती है जो कि गुप्त होती है और इसलिए इसे गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। गुप्त नवरात्रि आमतौर पर तांत्रिक और साधको के लिए होती है। अघोर तांत्रिक गुप्त नवरात्रि में महाविद्याओं को सिद्ध करने के लिए उपासना करते हैं।इसलिए यह दूसरे नवरात्रि से बिल्कुल अलग होती है।गृहस्थ मनुष्य गुप्त नवरात्रि नहीं मनाते।
चैत्र और शारदीय नवरात्रि में नौ देवियों की पूजा होता है, लेकिन गुप्त नवरात्रि में दस देवियों की पूजा होती है। इन दस देवियों में तारा देवी, कालिके देवी, त्रिपुर सुंदरी, माता छिन्नमस्ता, माता भुवनेश्वरी, मां धूमावती, माता त्रिपुर भैरवी, माता मातंगी, माता बगलामुखी, माता कमला देवी शामिल हैं।इस बार 15 जुलाई को गुप्त नवरात्रि का समापन होगा।