चार माह से मनरेगा कार्यालय ‘अस्थायी मोड’ पर, स्थाई प्रभारी की कमी से ठप पड़ रहे काम
प्रखंड मुख्यालय स्थित चक्की मनरेगा भवन इन दिनों गंभीर प्रशासनिक अव्यवस्था से जूझ रहा है। चार महीनों से कार्यालय पूरी तरह अस्थायी प्रभार पर चल रहा है। मनरेगा पी.ओ. संजय सिंह के स्थानांतरण के बाद विभाग अब तक स्थाई प्रभारी की नियुक्ति नहीं कर सका है। स्थिति यह है कि अस्थायी प्रभार संभाल रहे सुभाष कुमार एक साथ ब्रह्मपुर और चक्की दोनों प्रखंडों का कार्यभार देख रहे हैं, जिसके चलते कार्य संचालन पर सीधा और गहरा प्रभाव पड़ रहा है।
-- ब्रहमपुर और चक्की का एक साथ प्रभार संभाल रहे सुभाष कुमार, प्रगति रिपोर्ट से लेकर भुगतान तक हर स्तर पर दिख रही सुस्ती
केटी न्यूज/चक्की।
प्रखंड मुख्यालय स्थित चक्की मनरेगा भवन इन दिनों गंभीर प्रशासनिक अव्यवस्था से जूझ रहा है। चार महीनों से कार्यालय पूरी तरह अस्थायी प्रभार पर चल रहा है। मनरेगा पी.ओ. संजय सिंह के स्थानांतरण के बाद विभाग अब तक स्थाई प्रभारी की नियुक्ति नहीं कर सका है। स्थिति यह है कि अस्थायी प्रभार संभाल रहे सुभाष कुमार एक साथ ब्रह्मपुर और चक्की दोनों प्रखंडों का कार्यभार देख रहे हैं, जिसके चलते कार्य संचालन पर सीधा और गहरा प्रभाव पड़ रहा है।

कार्यालय परिसर में अब भी पूर्व पदस्थापित अधिकारी का पुराना बोर्ड टंगा हुआ है। यह न केवल विभागीय लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि यह भी संकेत देता है कि प्रशासनिक अपडेट को लेकर विभाग कितनी उदासीनता बरत रहा है। यहां तक कि चार महीने बीत जाने के बाद भी बोर्ड बदलने की दिशा में किसी प्रकार की पहल नहीं हुई है।
स्थानीय कर्मियों का कहना है कि स्थाई प्रभारी के अभाव में योजनाओं की प्रगति बेहद प्रभावित हुई है। दैनिक कार्यों में लगातार देरी देखने को मिल रही है, चाहे वह आवेदनों का निस्तारण हो, फाइलों की जांच-पड़ताल हो या फिर मजदूरों को भुगतान से जुड़ी प्रक्रियाएं। कर्मियों के अनुसार सुभाष कुमार के पास दो प्रखंडों का प्रभार होने के कारण वे किसी एक कार्यालय में लगातार उपस्थित नहीं रह पाते, जिसका सीधा असर आम लोगों तक पहुंचने वाली सेवाओं पर पड़ रहा है।
ग्रामीणों का भी यही दर्द है। उनका कहना है कि मनरेगा कार्यालय में सुस्ती इतनी बढ़ गई है कि फाइलें सप्ताहों तक लंबित रहती हैं। कई मजदूरों ने बताया कि काम पूरा होने के बाद भी भुगतान समय पर नहीं मिल रहा। आवेदन पर कार्रवाई में हो रही देरी से उनके रोजमर्रा के जीवन पर भी आर्थिक असर पड़ रहा है।
मनरेगा जैसी महत्वपूर्ण योजना, जिसका उद्देश्य बेरोजगार ग्रामीणों को रोजगार उपलब्ध कराना है, व्यवस्थागत खामियों की वजह से पटरी से उतरती दिख रही है। स्थाई प्रभारी की अनुपस्थिति ने स्थिति को और जटिल बना दिया है। विभागीय लापरवाही से न केवल योजनाओं की गति थम गई है, बल्कि ग्रामीणों का भरोसा भी कमजोर पड़ने लगा है।
स्थानीय लोगों और कर्मियों की मांग है कि विभाग जल्द से जल्द चक्की मनरेगा कार्यालय में स्थाई प्रभारी की नियुक्ति करे, ताकि सभी प्रक्रियाएं सुचारू रूप से चल सकें और योजनाओं का लाभ समय पर जरूरतमंदों तक पहुंच सके। फिलहाल हालात यह बताते हैं कि जब तक विभाग इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाता, चक्की में मनरेगा की रफ्तार सुधरना मुश्किल है।
