न्यायाधीश बनी सिमरी की बहुए गौरवान्वित महसूस कर रहा है पूरा गांव

अभी हाल ही में सिमरी के सबसे प्रतिष्ठित व्यक्ति व बड़े व्यवसायी माने जाने वाले स्वण् नथुना पांडेय का निधन हुआ था। उनके निधन से परिवार समेत पूरा गांव मर्माहत थाए लेकिन अब उनकी एक पौत्रवधु न्यायाधीश बन गई है। उनके न्यायाधीश बनने से परिवार समेत गांव में खुशी की लहर दौड़ गई है।

न्यायाधीश बनी सिमरी की बहुए गौरवान्वित महसूस कर रहा है पूरा गांव

. हाल ही में दिवंगत हुए सिमरी के चर्चित स्वण् नथुना पान्डेय की पौत्रवधु है कुमारी मनीषा

केटी न्यूजध्सिमरी

अभी हाल ही में सिमरी के सबसे प्रतिष्ठित व्यक्ति व बड़े व्यवसायी माने जाने वाले स्वण् नथुना पांडेय का निधन हुआ था। उनके निधन से परिवार समेत पूरा गांव मर्माहत थाए लेकिन अब उनकी एक पौत्रवधु न्यायाधीश बन गई है। उनके न्यायाधीश बनने से परिवार समेत गांव में खुशी की लहर दौड़ गई है। उन्हें यह सफलता 32वीं बिहार न्यायिक की मुख्य परीक्षा में मिली है। यह परीक्षा 25 से 29 नवंबर 2023 तक तथा साक्षात्कार 12 से 23 नवंबर 2024 तक आयोजित किया गया था। न्यायाधीश बनने वाली स्वण् नथुना पान्डेय के पौत्र राजेश पान्डेय की पत्नी कुमारी मनीषा हैए जिन्होंने बिहार न्यायिक सेवा की परीक्षा में पहली बार में सफलता पा एडिशनल जिला जज बनी हैं। उन्हें 11 वीं रैंक मिली है। मनीषा ने अपनी सफलता का श्रेय पिता ओमप्रकाश पांडेयए मां धर्मशीला देवी और पति राजेश पांडेय सहित ससुराल के समस्त स्वजनों को दी है। मनीषा ने बताया कि वह चंपा देवी बालिका गर्ल्स हाईस्कूल शेरमारीए पीरपैंती से मैट्रिक की परीक्षा पास की। इसके बाद एसएम कॉलेज से ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने टीएनबी लॉ कॉलेज से एलएलबी की डिग्री लीए फिर भागलपुर में ही अधिवक्ता प्रेम ओझा की जूनियर बन वकालत का अभ्यास किया। जबकि पति राजेश कोलकाता में अपना पैतृक व्यवसाय संभालते है। 

मनीषा ने सेल्फ स्टडी से मिली पाई सफलता 

मनीषा की माने तो वह घर के कामों को निपटाने के साथ ही अपनी पढ़ाई पर ध्यान देती थी तथा कोर्ट व घर के कामों से फुरसत मिलते ही पढ़ने बैठ जाती है। मनीषा ने बताया कि वह प्रतिदिन आठ घंटे की सेल्फ स्टडी करती थी। उनकी सफलता का राज भी सेल्फ स्टडी ही है। उन्होंने प्रतियोगी छात्रों को नसीहत देते हुए कहा कि परिश्रम कभी बेकार नहीं जाती है। हमे सही दिशा में कठिन परिश्रम करना चाहिएए इसी में सफलता के राज छिपे है। मनीषा की सफलता इसलिए भी खास बन गई हैए क्योकि उन्होंने अपने 15 वर्षीय बेटी आरूषि व एक बेटे की परवरिश व पढ़ाई का भी ख्याल रखते हुए खुद की तैयारी की है। न्यायाधीश बन मनीषा ने यह साबित कर दिखाया है कि महिलाओं के लिए अब कोई भी राह व परिस्थितियां कठिन नहीं होने वाली है।