ब्रह्मलीन हुए नाथ बाबा के परम शिष्य योगी बसंत बाबा, दी गई समाधि
आदि नाथ अखाड़ा, चरित्रवन ( नाथ बाबा मंदिर ) से जुड़े व नाथ बाबा के परम शिष्य योगी आदित्यनाथ का देहावसान हो गया है। कुछ दिन पूर्व दुर्घटना में जख्मी होने के बाद उनका इलाज वाराणसी के ट्रामा सेंटर में चल रहा था, जहां बीती रात उन्होंने अंतिम सांस ली। बुधवार को उनका पार्थिव चरित्रवन स्थित नाथ मंदिर लाया गया, जहां नाथ संप्रदाय की परंपरा के अनुसार उनकी समाधि दी गई। आदि नाथ अखाड़ा के महामंडलेश्वर नाथ बाबा ने उन्हें आश्रम का सबसे महत्वपूर्ण संत बताया।
- 45 वर्षों से नाथ आश्रम से जुड़े थे बसंत बाबा, महामंडलेश्वर ने आश्रम का महत्वपूर्ण सेवक बताया, वाराणसी के ट्रामा सेंटर में ली अंतिम सांस
केटी न्यूज/बक्सर
आदि नाथ अखाड़ा, चरित्रवन ( नाथ बाबा मंदिर ) से जुड़े व नाथ बाबा के परम शिष्य योगी आदित्यनाथ का देहावसान हो गया है। कुछ दिन पूर्व दुर्घटना में जख्मी होने के बाद उनका इलाज वाराणसी के ट्रामा सेंटर में चल रहा था, जहां बीती रात उन्होंने अंतिम सांस ली। बुधवार को उनका पार्थिव चरित्रवन स्थित नाथ मंदिर लाया गया, जहां नाथ संप्रदाय की परंपरा के अनुसार उनकी समाधि दी गई। आदि नाथ अखाड़ा के महामंडलेश्वर नाथ बाबा ने उन्हें आश्रम का सबसे महत्वपूर्ण संत बताया।
जानकारी के अनुसार योगी बसंत नाथ वर्ष 1978 ईं में श्री आदिनाथ अखाड़ा चरित्रवन ( नाथ बाबा मंदिर) में बाबा की शिष्यता ग्रहण कर आश्रम से जुड़े थे। तबसे वे बक्सर में ही रहते थे। कुछ माह पूर्व वे एक दुर्घटना में जख्मी हो गए थे तथा उनका इलाज ट्रॉमा सेंटर वाराणसी में चल रहा था, बीती रात उन्होंने अंतिम सांस ली। इसकी जानकारी मिलते ही उनके भक्तों में मायूशी छा गई। बड़ी संख्या में उनके भक्त व नाथ संप्रदाय से जुड़े साधु संत उनके अंतिम यात्रा में शामिल हुए। इस दौरान महिला एवं पुरुष सभी भक्त योगी बसंत नाथ जी के अंतिम दर्शन के लिए व्याकुल दिखाई पड़ रहे थे।
योगी बसंत नाथ जी महाराज को फूलों से सजाकर दर्शन के लिए आश्रम में रखा गया था, बाद में आश्रम के शिष्यों एवं भक्तों ने बाबा की अंतिम यात्रा निकाली तथा पूरे आश्रम का परिक्रमा मंदिर परिसर स्थित निर्धारित स्थान पर उनकी समाधि बनाई गई।
नाथ संप्रदाय की विधि विधान से सभी अनुष्ठान को किया गया। अपने संबोधन में मठाधीश्वर महामंडलेश्वर योगशील नाथ जी महाराज ने कहा कि यह बहुत दुख की घड़ी है, योगी बसंत नाथ जी वर्ष 1978 से आश्रम से जुड़े हुए थे तथा पूरे आश्रम की व्यवस्था देखते थे एवं सेवा कर रहे थे, उनके देहांत से पूरा आश्रम एवं भक्ति दुखी है, भगवान शिव के चरणों में उन्हें स्थान मिले। उन्होंने कहा कि आगामी तीन दिनों तक अभिषेक एवं पूजा आयोजित किया जाएगा तथा तीसरे दिन भंडारा का आयोजन किया जाएगा।