हरतालिका तीज व्रत पूजन के लिए बन रहे है तीन शुभ मुहूर्त सूर्यास्त से पहले कर ले पूजा........द्विवेदी

हरतालिका तीज व्रत पूजन के लिए बन रहे है तीन शुभ मुहूर्त  सूर्यास्त से पहले कर ले पूजा........द्विवेदी

प्रकृति और प्रेम के भाव से जुड़े सौभाग्यदायिनी व्रत है हरतालिका तीज: पंडित नरोत्तम

भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है हरतालिका तीज

- 18 सितंबर को है तीज का शुभ मुहुर्त - ज्योतिषाचार्य पंडित नरोत्तम द्विवेदी

केटी न्यूज/बक्सर

हरतालिका तीज महिलाओं को आस्था का पर्व है। यह व्रत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। ज्योतिषाचार्य सह आचार्य पंडित नरोत्तम द्विवेदी बताते है कि हिंदू पंचांग के अनुसार, हरियाली तीज और कजरी तीज सावन महीने में तो हरतालिका तीज भाद्रपद या भादो मास मनाई जाती है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष हरतालिका तीज 18 सितंबर 2023 को मनाया जाएगा। महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और पति की लंबी आयु की कामना करती है। सुर्य अस्त से पहले भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना करती हैं।

हरतालिका तीज का व्रत सबसे कठिन व्रतों में से एक माना गया है। इस व्रत में सुहागिनें निर्जला व्रत रखने के साथ ही कई नियमों का पालन भी करती हैं। ज्योतिषाचार्य सह अचार्य पंडित नरोत्तम द्विवेदी बताते है कि प्रकृति और प्रेम के भाव से जुड़े इस पर्व पर महिलाएं शुद्धमिट्टी से शिव-पार्वती और श्री गणेश की प्रतीकात्मक प्रतिमाएं बनाकर उनकी पूजा करती हैं। पूजन में रोली, चावल, पुष्प, बेलपत्र, नारियल, दूर्वा, मिठाई आदि से भगवान् का भक्ति भाव से पूजन किया जाता है,साथ ही कामना करें कि हमारा जीवन भी शिव-गौरी की तरह आपसी प्रेम से सदैव बंधा रहे। माना जाता हैं कि माँ पार्वती और भगवान शिव की पूजा सौभाग्यदायिनी होती है।

हरतालिका तीज व्रत पूजन का शुभ मुहूर्त 

ज्योतिषाचार्य सह अचार्य पंडित नरोत्तम द्विवेदी ने बताया कि 18 सितंबर को हरतालिका तीज व्रत पूजन का शुभ मुहूर्त सुबह 5.56 बजे से सुबह 07 बजकर 57 मिनट तक रहेगा। सुबह में 11.15 मिनट से दोपहर 2.36 मिनट तक व शाम को 04.21 से 06.04 मिनट तक रहेगा।

हरतालिका  तीज व्रत के नियम 

1. हरतालिका तीज के दिन व्रती महिला को रात्रि में सोने की मनाही होती है। मान्यता है कि जो महिला रात को सो जाती है उसका अगला जन्म मगरमच्छ योनि में होता है।

2. महिलाएं रात को जागरण करती हैं और भजन-कीर्तन गाती हैं। 

3. इस व्रत के शुरू होने के साथ ही व्रती महिलाओं को अन्न-जल ग्रहण करने की मनाही होती है। वो अगले दिन सुबह पूजा के बाद ही जल के साथ व्रत खोलती हैं। 

4. हरतालिका तीज व्रत से जुड़ी मान्यता है कि एक बार इस व्रत को शुरू करने वाली महिला को जीवनभर इस व्रत का पालन करना होता है।

5. हरतालिका तीज व्रत कथा सुनने के बाद ही व्रत पूर्ण माना जाता है। इस दिन हर व्रती महिला को कथा अवश्य पढ़ना या सुनना चाहिए।

6. मान्यता है कि हरतालिका तीज व्रत में महिला जिस भी तरह का भोजन ग्रहण करके व्रत तोड़ लेती है तो उसका अगला जन्म अन्न की प्रकृति के आधार पर उस योनि में होता है।

कठिन व्रतों से एक है हरतालिका तीज व्रत

ज्योतिषाचार्य सह अचार्य पंडित नरोत्तम द्विवेदी कहते है कि हरतालिका तीज व्रत में व्रती महिलाएं अन्न, जल और फल सभी चीजों का पूरी तरह से त्याग करती हैं। हरतालिका तीज व्रत कथा के अनुसार, इस व्रत में जो महिला पानी पीती है, उसे अगले जन्म में मछली और फल खाने वाली महिला को बंदर के रूप में जन्म लेना पड़ता है।