महिला किसान का मशरुम उत्पादन कर बढ़ाई सफलता की ओर कदम

प्रखंड के एक छोटे से गांव केसठ में रहने वाली सविता देवी की कहानी संघर्ष, दृढ़ निश्चय और सफलता की एक अनोखी मिसाल है। सविता एक साधारण गृहणी थी, हालांकि उसने स्नातक की पढ़ाई की है, लेकिन जीवन पारिवारिक जिम्मेवरियो के इर्द गिर्द घूम रहा था, लेकिन मन में हमेशा कुछ बेहतर करने की सांेच थी।

महिला किसान का मशरुम उत्पादन कर बढ़ाई सफलता की ओर कदम
पीके बादल/केसठ

- प्रखंड की महिलाओं के लिए नजीर बन गई है केसठ की सविता देवी, बेहतर क्वालिटी के मशरूम की हो रही है दूर-दूर तक डिमांड 

पीके बादल/केसठ

प्रखंड के एक छोटे से गांव केसठ में रहने वाली सविता देवी की कहानी संघर्ष, दृढ़ निश्चय और सफलता की एक अनोखी मिसाल है। सविता एक साधारण गृहणी थी, हालांकि उसने स्नातक की पढ़ाई की है, लेकिन जीवन पारिवारिक जिम्मेवरियो के इर्द गिर्द घूम रहा था, लेकिन मन में हमेशा कुछ बेहतर करने की सांेच थी। जिससे वह खुद की माली हालत सुधारने के साथ ही परिवार और समाज की अन्य महिलाओं को भी प्रेरित कर सकें। 

हालांकि, उसे मुकाम नहीं मिल रहा था, लेकिन जल्दी ही उसके सपनों को पंख लग गए। डा. दयाराम मशरुम वैज्ञानिक डा. राजेन्द्र प्रसाद कृषि विश्व विद्यालय द्वारा आयोजित मशरुम की खेती आपके द्वार कार्यक्रम में कृषि समन्वयक शंकर दयाल यादव द्वारा शामिल होने की सूचना पर सविता देवी अन्य महिलाओं के साथ इस प्रशिक्षण सह गोष्ठी में शामिल हुई। जिसमें डा. दयाराम व समन्वयक शंकर दयाल द्वारा उन्हें मशरुम उत्पादन की जानकारी दी गई। साथ ही बताया गया कि मशरुम उत्पादन महिलाआंे के रोजगार का एक अच्छा साधन है। इसके साथ ही डॉ. दयाराम द्वारा बताया गया कि पूसा विश्व विद्यालय समस्तीपुर में मशरुम उत्पादन का प्रशिक्षण और मार्गदर्शन भी दी जाती है। जिसके बाद सविता देवी अन्य महिलाआंे के साथ पूसा विश्व विद्यालय में आयोजित मशरुम उत्पादन प्रशिक्षण में भाग ले मशरुम उत्पादन आने वाले समस्या व निदान की बारीकियों से अवगत हुई। 

इस प्रशिक्षण में उन्हें मशरुम उत्पादन कितने तापमान व नमी में बीज तैयार करने, मशरुम से आचार, बिस्कुट, समौसा, लड्डू, आटा आदि बनाने की जानकारी दी गई। इन सब जानकारियों से अवगत होने के बाद उन्होंने निर्णय लिया कि अपने गांव में वे अवश्य ही मशरुम उत्पादन करंेगी और इसे महिलाओं के लिए एक अच्छा अवसर मान अपने पति बृज मोहन कुमार से विचार विमर्श कर सहमति बनने ले बाद अपने घर के एक छोटे से कमरे में मशरुम उगाना चालू किया। शुरुआती दौर में कई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। बैग में कम नमी अधिक नमी, तापमान की समस्या, मशरुम न निकलना,  फंगस नहीं बनाना आदि समस्याओं का सामना करना पड़ा। इस दौरान डा. दयानद से मार्गदर्शन मिलता रहा। सविता दृढ़ संकल्प के साथ ही आत्मविश्वास से लगी रही। जिसका नतीजा कुछ दिनों में रंग लाने लगी कुछ दिनों बाद उनकी पहली मशरुम फसल तैयार हुई। मशरुम ताजा व गुणवत्ता पूर्ण होने के कारण स्थानीय बाजार में इसकी मांग बढ़ने लगी। बकौल सविता इसमे मेरे आत्म विश्वास को बल मिला। पहली सफलता के बाद सविता देवी अपने आस पड़ोस की महिलाओं को प्रशिक्षित कर इसकी खेती बड़े स्तर पर करने निकल पड़ी। जिसके बाद उत्पादन को स्थानीय बाजार के साथ ही जिले अन्य बाजारों में भेजी जाने लगी। जिसका मांग दिनों दिन बढ़ने लगा है। अच्छे गुणवत्ता वाले मशरूम की डिमांड अब तो दूर-दराज के बाजारों भी हो रही है। सविता के आत्मविश्वास से प्रभावित हो कर डॉ. दयाराम व पूसा विश्व विद्यालय के कुलपति डा. पीएस पांडेय के निर्देशन में एक छोटी सी इकाई स्थापित की जहां महिलाएं आ प्रशिक्षण लेती है और मशरुम उगती है। बेहतर परिणाम के सबिता ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखी और आज एक प्रोफाइटेबल मशरुम प्रोड्îूशर कंपनी जो अरुनया मशरुम प्रोड्यूशर कंपनी की तरफ कदम रख दी है। सविता ने यह साबित कर दिया की महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से कम नहीं है। सविता अन्य महिलाआंे के लिए प्रेरणा स्त्रोत बनी हुई है। सविता ने कहा कि महिलाएं खुद पर आ जाय तो किसी भी परिस्थिति में सफल हो सकती हैं।