शिक्षा माफियाओं से तालमेल कर मध्याह्न भोजन योजना में धांधली का आरोप

प्रधान मंत्री पोषण योजना (मध्याह्न भोजन) में करोड़ों रुपये के लोकधन की बंदरबांट और नियमों के उल्लंघन का मामला सामने आया है। जिले के शिक्षा विभाग से जुड़े अधिकारी और शिक्षा माफियाओं की कथित मिलीभगत को लेकर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। यह आरोप निदेशक, मध्याह्न भोजन योजना, बिहार, पटना द्वारा जारी आदेश की अवहेलना और मनमानी नियुक्तियों से जुड़े हैं।

शिक्षा माफियाओं से तालमेल कर मध्याह्न भोजन योजना में धांधली का आरोप

-- थाली खरीद में भी मानकों की हुई है अनदेखी, स्कूलों के बदले मॉफियाओं व चहेतों को मिली जिम्मेवारी

-- जिला कार्यक्रम पदाधिकारी व शिक्षा पदाधिकारी पर गंभीर सवाल

केटी न्यूज/बक्सर

प्रधान मंत्री पोषण योजना (मध्याह्न भोजन) में करोड़ों रुपये के लोकधन की बंदरबांट और नियमों के उल्लंघन का मामला सामने आया है। जिले के शिक्षा विभाग से जुड़े अधिकारी और शिक्षा माफियाओं की कथित मिलीभगत को लेकर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। यह आरोप निदेशक, मध्याह्न भोजन योजना, बिहार, पटना द्वारा जारी आदेश की अवहेलना और मनमानी नियुक्तियों से जुड़े हैं।

इस संबंध में तवक्कल राय के डेरा निवासी हरेकृष्ण यादव ने 21 नवंबर 2023 को ही जिलाधिकारी को आवेदन दे इसकी जांच की मांग की थी। लेकिन, अभी तक इस मामले में जिला प्रशासन द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई है।जिलाधिकारी को दिए आवेदन में हरेकृष्ण ने जिक्र किया है कि 21 नवंबर 2023 को निदेशक, मध्याह्न भोजन योजना, बिहार, पटना ने पत्र जारी कर स्पष्ट निर्देश दिए थे कि प्रत्येक विद्यालय को थाली क्रय के लिए राशि सीधे विद्यालय खाते में हस्तांतरित की जाएगी।

इसका उद्देश्य यह था कि प्रधानाध्यापक और विद्यालय शिक्षा समिति स्थानीय बाजार से निर्धारित मानक के अनुसार थाली की खरीद कर सकें।लेकिन आरोप है कि जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, प्रधान मंत्री पोषण योजना, बक्सर और जिला शिक्षा पदाधिकारी, बक्सर ने इस आदेश की अनदेखी करते हुए अपने चहेते लोगों को लाभ पहुंचाने का रास्ता बनाया।

-- नियमों के विरुद्ध संवेदकों की नियुक्ति

शिकायत में कहा गया है कि 2 जनवरी 2024 को ज्ञापांक 02 के तहत अयोग्य, अनुभवहीन और अन्य जिलों से जुड़े संवेदकों को अवैध रूप से नियुक्त कर दिया गया। इन संवेदकों के माध्यम से ही जिलेभर के विद्यालयों में थालियां आपूर्ति कराने का खेल रचा गया, जबकि प्रधानाध्यापक इसकी सहमति नहीं देते।प्रधानाध्यापकों का कहना है कि वे स्थानीय स्तर पर थाली खरीदने के लिए सक्षम हैं, लेकिन अधिकारियों के दबाव और शिक्षा माफियाओं की धमकियों के कारण उन्हें मनमाने ढंग से थालियां लेने के लिए बाध्य किया जा रहा है

शिक्षा विभाग के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि अजय सिंह व अरविंद सिंह लंबे समय से जिला कार्यक्रम पदाधिकारी और शिक्षा पदाधिकारी के साथ तालमेल बनाकर स्कूलों में भ्रष्टाचार का खेल चला रहे हैं। आरोप है कि ये लोग प्रधानाध्यापकों को डराकर, धमकाकर और कभी-कभी लालच देकर मध्याह्न भोजन योजना से जुड़ी थाली आपूर्ति का ठेका अपने कब्जे में रखते हैं। विभाग द्वारा थाली खरीद के लिए अरविंद सिंह के पुत्र के नाम से संचालित साईं ईटर प्राइजेज को मोटी रकम का भुगतान किया गया है, जो इस बात के प्रमाण है कि दबंगों के इशारे पर विभागीय अधिकारियों ने थाली खरीद में भी मानकों को दरकिनार कर दिया था।

-- विद्यार्थियों का हक हो रहा प्रभावित

बता दें कि एमडीएम योजना का मूल उद्देश्य विद्यालयों में अध्ययनरत बच्चों को पौष्टिक और समय पर भोजन उपलब्ध कराना है। लेकिन शिक्षा माफियाओं और अधिकारियों की मिलीभगत से न केवल भ्रष्टाचार बढ़ा है, बल्कि विद्यार्थियों को मिलने वाले लाभ भी प्रभावित हो रहे हैं।

विभागीय जानकारों का कहना है कि स्थानीय स्तर पर खरीदी जाने वाली थाली की गुणवत्ता बेहतर हो सकती थी, लेकिन बाहरी संवेदकों से आपूर्ति होने वाली थालियों की न गुणवत्ता है और न ही समय पर उपलब्धता।

-- गैर विभागीय लोगों की सक्रियता

हरेकृाष्ण ने अपने शिकायत में यह भी कहा है कि जिला शिक्षा कार्यालय में गैर विभागीय लोग हमेशा सक्रिय रहते हैं, जिनका मकसद सिर्फ विद्यार्थियों के हक पर डाका डालना है। ये लोग स्वयं को शिक्षा से जुड़ा बताकर अधिकारियों के साथ तालमेल कर लोकधन का दुरुपयोग करते हैं।

-- हरेकृष्ण ने बताए थे भ्रष्टाचार के हथकंडे

शिकायतकर्ता हरेकृष्ण के अनुसार विभाग में भ्रष्टाचार के लिए कई हथकंडे अपनाए जा रहे है। जिनमें अधिकारियों और माफियाओं की मिलीभगत से अवैध संवेदकों की नियुक्ति। प्रधानाध्यापकों को धमकाकर थालियां खरीदने के लिए मजबूर करना। विद्यालय खातों में भेजी जाने वाली राशि का दुरुपयोग। आदेशों की अवहेलना कर बाहरी आपूर्तिकर्ताओं को लाभ पहुंचाना।

शिकायतकर्ताओं ने राज्य सरकार और शिक्षा विभाग से मांग की है कि बक्सर जिले में शिक्षा माफियाओं और अधिकारियों की मिलीभगत की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए। साथ ही अवैध संवेदकों की नियुक्ति रद्द कर विद्यालयों को सीधे थाली खरीदने की स्वतंत्रता दी जाए।

बता दें कि प्रधानमंत्री पोषण योजना देशभर में लाखों बच्चों के लिए पौष्टिक भोजन का आधार है। यदि इसमें ही भ्रष्टाचार हावी हो गया तो बच्चों का भविष्य प्रभावित होगा। बक्सर में उठे ये गंभीर आरोप इस ओर संकेत करते हैं कि शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन को त्वरित जांच और कठोर कार्रवाई करनी होगी।