बीएचयू मेडल से सम्मानित हुई नेनुआ की ज्योति, वीसी ने किया सम्मानित

कहा जाता है कि परिंदों को तालीम नहीं दी जाती है उड़ानों की, वे खुद ही छू लेती है बुलंदियां आसमानों की..., बीएचयू के 104 दीक्षांत समारोेह में बीएचयू मेडल से सम्मानित हो इस उक्ति को साबित कर दिखाई है डुमरांव अनुमंडल मुख्यालय से सटे नेनुआ गांव की कुमारी ज्योति तिवारी ने।

बीएचयू मेडल से सम्मानित हुई नेनुआ की ज्योति, वीसी ने किया सम्मानित

- बीएचयू के 104वें दीक्षांत समारोह में मिला बीएचयू मेडल, बीएचयू के संस्कृत विषय के पीजी की परीक्षा में हासिल किया है गोल्ड मेडल

- पूर्व में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पूर्वांचल सम्मान समारोह से कर चुके है सम्मानित, शिक्षक है ज्योति के पिता, मां भी है विदुषी

केटी न्यूज/डुमरांव 

कहा जाता है कि परिंदों को तालीम नहीं दी जाती है उड़ानों की, वे खुद ही छू लेती है बुलंदियां आसमानों की..., बीएचयू के 104 दीक्षांत समारोेह में बीएचयू मेडल से सम्मानित हो इस उक्ति को साबित कर दिखाई है डुमरांव अनुमंडल मुख्यालय से सटे नेनुआ गांव की कुमारी ज्योति तिवारी ने। ज्योति ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय ( बीएचयू ) से इस बार संस्कृत विषय में पीजी ( एमए ) की परीक्षा दी थी, जिसमें वह गोल्ड मेडलिस्ट रही, यही नहीं पूरे संकाय में उसे सर्वोच्च अंक मिले है, जिस कारण उसे बीएचयू मेडल से सम्मानित किया गया है।

शनिवार को ही बीएचयू का 104वां दीक्षांत समारोह आयोजित किया गया था, जिसमें वीसी प्रो. सुधीर के. जैन व बतौर मुख्य अतिथि जिस्केलर, अमेरिका के अध्यक्ष व संस्थापक जय चौधरी ने अपने हाथों ज्योति को बीएचयू मेडल व गोल्ड मेडल दिया। इसके पहले ज्योति को यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी पूर्वांचल सम्मान समारोह से सम्मानित कर चुके है। 

बता दें कि ज्योति के पिता जितेन्द्र तिवारी नेनुआ स्थित बांके बिहारी संस्कृतोच्च विद्यालय के वरिष्ठ शिक्षक है, जबकि माता संध्या तिवारी गृहिणी के साथ ही विदुषी है तथा उसे कर्मकांड, ज्योतिष व वेद विषय की अच्छी जानकारी है। ज्योति को संस्कृत की प्रारंभिक शिक्षा अपने परिवार में ही मिली है, खासकर उसकी मां संध्या ने उसे खुद से तराशा है। ज्योति को बीएचयू मेडल मिलने से माता-पिता समेत पूरा परिवार आह्लादित है। पिता जितेन्द्र तिवारी ने बताया कि वह बचपन से ही प्रतिभावान थी तथा उसमें शुरू से ही संस्कृत के प्रति गहरी रूचि थी। उसकी इस रूचि को देखते हुए ही हमलोगों उसका नामांकन देश के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय बीएचयू में कराया, जहां उसने अपनी प्रतिभा से सबका दिल जीत लिया है। जितेन्द्र ने बताया कि ज्योति की मेधा की सराहना बीएचयू के वीसी के साथ ही उसके प्राध्यापक व प्राचार्य तक करते है। 

उन्होंने बताया कि ज्योति जेआरएफ व नेट भी क्वालीफाई कर चुकी है, आगे उसका लक्ष्य संस्कृत से ही रिसर्च (पीएचडी) करना है। ज्योति अब संस्कृत में शोध करेगी। ज्योति ने बताया कि उसका लक्ष्य देश में संस्कृत शिक्षा को बढ़ावा देना है। उसने बताया कि यह देव भाषा है तथा आधुनिक भाषाओं से इसका साहित्य व व्याकरण दोनों काफी समृद्ध है, जरूरत है इस भाषा को पुराना गौरव दिलाने का। ज्योति ने कहा कि उसका प्रयास होगा कि देश में सस्कृत की पुरानी प्रतिष्ठा को फिर से स्थापित किया जाए। 

ज्योति की इस सफलता से उसके माता पिता के अलावे नेनुआ में भी खुशी की लहर दौड़ गई है। गांव की बच्ची के बीएचयू जैसे देश के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय का मेडल जीतने से ग्रामीण खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहे है।