ईद-उल-अजहा पर मार्किट में आया 10 लाख का बकरा,जाने क्या है इसकी खासियत

राजधानी लखनऊ के दुबग्गा इलाके में स्थित कुर्बानी के लिए बकरों की खरीददारी तेज हो गई है। इस बीच यहां 10 लाख 786 रुपए का बकरा बिकने के लिए आया है।

ईद-उल-अजहा पर मार्किट में आया 10 लाख का बकरा,जाने क्या है इसकी खासियत
Eid-ul-Azha

केटी न्यूज़/लखनऊ

राजधानी लखनऊ के दुबग्गा इलाके में स्थित कुर्बानी के लिए बकरों की खरीददारी तेज हो गई है। इस बीच यहां 10 लाख 786 रुपए का बकरा बिकने के लिए आया है। खास बात ये है कि इसके पेट पर मोहम्मद लिखा है। वहीं ये घर में शोफे पर बैठता है।यह बकरा जमीन पर नहीं बैठता चारपाई और फोल्डिंग पर ही बैठता है। वहीं इसके खानपान की बात करें तो इसे चना, ड्राई फ्रूट्स के अलावा घर में जो भी बनता है इसे खिलाया जाता है।

सुल्तानपुर से बकरा बेचने पहुंचें मोहम्मद शाकिर ने बताया कि मैं जिस बकरे को बेचने आया हूं उसको अल्लाह पाक ने अपने प्यारे महबूब का नाम ही इस बकरे में डाल रखा है। इसलिए हम इसको मोहम्मद नाम से पुकारते हैं। यह बकरा बचपन से ही हमारे साथ है पिछले साल भी हम इसे बेचने ले आए थे तब उसे इसकी कीमत 3 लाख लगाई गई थी मगर वजन में हल्का था इसलिए हमने बचा नहीं इस साल यह बकरा तैयार है।  

वहीं बकरा मंडी संचालक अबरार खान ने बताया कि यहां पर उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जनपदों से बकरा खरीदने और बेचने के लिए लोग आते हैं। इस बार बकरे की शुरुआती कीमत 10 से 12 हजार रुपए है। अबरार करीब 15 सालों से इस मंदी को संचालित कर रहे हैं इससे पहले नींबू पार्क के पास मंडी लगती थी लेकिन वहां से हटने के बाद यहां पर लगवाई जाती है। शुरुआती कीमत 12 हजार है वहीं, सबसे महंगे बकरे की बात करें तो उसकी कोई सीमा नहीं है।

पिछले साल एक बकरा आया था जिसकी कीमत 3 लाख लगाई गई थी जो इस साल 10 लाख 786 रुपए रखी है। अबरार ने बताया कि यहां 10 हजार का भी बकरा मिलता है लेकिन वो बिलकुल सामान्य होता है। 20- 20 लाख रुपए के बकरे इस मंडी में बिकता है 4 साल पहले इसी मंडी में 20 लाख 86 हजार रुपए का बकरा बिका था हालांकि, इस साल की अगर बात करें तो अभी तक दो बकरे सबसे महंगे बिके हैं जिसमें से एक बकरे की कीमत 95 हजार थी तो वहीं दूसरे बकरे की कीमत 65 हजार थी।

बकरीद या ईद-उल-अजहा मुस्लिम समुदाय के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह त्योहार कुर्बानी और त्याग के प्रतीक रूप में हर साल मनाया जाता है। इस दिन ‘हलाल जानवर’ की कुर्बानी देने की प्रथा है। इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक, साल के 12वें यानी आखिरी महीने जिलहिज्जा के चांद दिखने के बाद 10वीं तारीख को बकरीद मनाई जाती है। इसलिए इसकी तैयारी तेजी से शुरू हो चुकी है। शहरवासी कुर्बानी की तैयारियों में जुट गए हैं।