एशियाई बुशु चैंपियनशीप में बक्सर की बेटी ने जीता गोल्ड, लहराया तिरंगा

परिंदों को तालीम नहीं दी जाती है उड़ानों की, वे खुद ही छू लेती है बुलंदिया आसमानों की..., एशियाई अंतर्राष्ट्रीय वुशु प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीत इस उक्ति को साबित कर दिखाई है बक्सर की बेटी दीक्षा कुमारी ने।

एशियाई बुशु चैंपियनशीप में बक्सर की बेटी ने जीता गोल्ड, लहराया तिरंगा

- 48 किलोग्राम भार वर्ग में दीक्षा ने जीता गोल्ड, गांव में जश्न का माहौल, मिल रही है बधाईयां

केटी न्यूज/बक्सर

परिंदों को तालीम नहीं दी जाती है उड़ानों की, वे खुद ही छू लेती है बुलंदिया आसमानों की..., एशियाई अंतर्राष्ट्रीय वुशु प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीत इस उक्ति को साबित कर दिखाई है बक्सर की बेटी दीक्षा कुमारी ने। 

बक्सर से सटे महदह गांव निवासी किसान बलवंत सिंह की छोटी बेटी दीक्षा का नाम आज हर एक जिलेवासियों के जुबां पर है। दीक्षा ने सीमित संसाधनों के सहारे बुशु की बारीकियों व कौशल सीख जॉजिर्या के बटुमी शहर में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय वुशु चैंपियनशीप में देश का प्रतिनिधित्व करते हुए 48 किलोग्राम भार वर्ग में कई प्रतिद्वंदियों को पछाड़ते हुए गोल्ड मेडल जीता है। गोल्ड मेडल जीत तथा तिरंगा लहरा दीक्षा ने जॉर्जिया सहित पूरी दुनिया में भारत का मान बढ़ाया है। 

उसकी इस सफलता पर उसे बधाई देने वालों का तांता लग गया है। बक्सर जिला वुशु एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. आशुतोष सिंह, महासचिव मुकेश कुमार, उपाध्यक्ष डॉ. राजेश कुमार सिन्हा, संयुक्त सचिव राम रतन पाठक, संयोजक सागर कुमार, राष्ट्रीय स्तर के वुशु खिलाड़ी दिपील कुमार, निधी कुमारी, लव शर्मा, श्याम रजक, सुधीर कुमार, अमीषा कुमारी आदि ने गोल्ड मेडल जीतने पर दीक्षा को बधाई दी है और कहा है कि दीक्षा ने बक्सर को वुशु के अंतर्राष्ट्रीय मानचित्र पर मजबूती से उकेरा है। एशोसिएशन के उपाध्यक्ष डॉ. राजेश ने कहा कि दीक्षा की लगन, मेहनत व खेल के प्रति समर्पण की भावना काबिले तारीफ है, इन्हीं गुणों के कारण उसने आज गोल्ड जीत पूरे देश को गौरवान्तिव किया है। 

बता दे कि जॉर्जिया के बटुमी में आयोजित ओपन इंटरनेशनल वुशु टूर्नामेंट में 48 किलो भार वर्ग में भारत का प्रतिनिधित्व कर रही थीं। उसने अपने शानदार प्रदर्शन से अपने प्रतिद्वन्दी को मात दी व गोल्ड मेडल से सम्मानित हुई। शनिवार को उसने अपने प्रतिद्वंदी को मात दे रजत पदक जीत वह गोल्ड के करीब पहुंच चुकी थी। हालांकि, टूर्नामेंट के अंतिम मैच में उसने अपना आपा नहीं खोई तथा उसी दमखम व फुर्ती के साथ अंतिम मुकाबले को जीत गोल्ड पर कब्जा जमाई।

पैतृक गांव महदह में है जश्न का माहौल

दीक्षा कुमारी जिले के महदह गांव के किसान बलवंत सिंह की छोटी बेटी हैं। वह पिछले कई वर्षों से वुशु जैसे खेल में अपना कौशल दिखा रही थी साथ ही मेहनत भी कर रही थी और इसी मेहनत व समर्पण से इस मुकाम तक पहुंची। उसकी बड़ी बहन भी वुशु की खिलाड़ी रह चुकी है। बटुमी ओपन इंटरनेशनल वुशु टूर्नामेंट में उसके प्रदर्शन से परिजन काफी खुश है। 

दीक्षा की इस जीत से उनके गांव महदह में जश्न का माहौल है। पिता बलवंत सिंह ने कहा कि दीक्षा बचपन से ही खेलों में रुचि रखती थी और उन्होंने हमेशा उसकी प्रतिभा को निखारने में पूरा सहयोग दिया। दीक्षा की इस सफलता के पीछे उनकी कठोर मेहनत, समर्पण और दृढ़ निश्चय है। दीक्षा की मां ने कहा कि बेटी की यह उपलब्धि न केवल उनके परिवार के लिए बल्कि पूरे जिले के लिए गर्व की बात है। दीक्षा की इस उपलब्धि के बाद, उनके कोच और स्थानीय खेल संघों ने उम्मीद जताई है कि सरकार और खेल विभाग उन्हें उचित सम्मान और समर्थन देंगे। दीक्षा ने यह साबित कर दिया है कि छोटे गांवों और कस्बों के युवा भी विश्व मंच पर उत्कृष्ट प्रदर्शन कर सकते हैं, बशर्ते उन्हें सही मार्गदर्शन और अवसर मिले। दीक्षा कुमारी की यह जीत उन सभी खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा है, जो सीमित संसाधनों के बावजूद अपने सपनों को साकार करने के लिए मेहनत कर रहे हैं। दीक्षा ने दिखाया है कि कड़ी मेहनत और समर्पण से हर सपना पूरा किया जा सकता है।