बड़ी खबर: फर्जी प्रमाणपत्र पर नौकरी करने वाले नौ शिक्षकों पर लोकशिकायत ने कार्रवाई का दिया निर्देश

बड़ी खबर: फर्जी प्रमाणपत्र पर नौकरी करने वाले नौ शिक्षकों पर लोकशिकायत ने कार्रवाई का दिया निर्देश

केटी न्यूज/बक्सर

शिक्षा विभाग में फर्जीवाड़े का खेल बड़ा निराला है। जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के निर्देश पर विभाग द्वारा सिमरी प्रखंड के विभिन्न पंचायतों में कार्यरत कुल नौ शिक्षकों के प्रमाण पत्र को फर्जी पाया है। खास यह कि इनमें से पांच शिक्षकों के प्रमाण पत्र को निगरानी विभाग के फर्जी लेटर पर सही बताया गया था। लेकिन इसका खुलासा होते ही फर्जी प्रमाण पत्र पर नौकरी करने

वालों में हड़कंप मच गया है। इस सारे प्रकरण में विभाग के एक अधिकारी की भूमिका भी संदिग्ध बन गई है। मिली जानकारी के अनुसार विमल कुमार द्वारा जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के यहां परिवाद दाखिल किया गया था। जिसमें लोक शिकायत पदाधिकारी ने इसकी जांच का जिम्मा डीईओ को दिया था। वही डीईओ ने चौगाईं बीईओ से

इसकी जांच करवाई तो इस मामले में कई चौकाने वाले मामले सामने आए। इनमंे पांच शिक्षकों को निगरानी विभाग द्वारा दुबारा पत्र भेज उनके प्रमाण पत्रों को सही ठहराया गया था वह लेटर भी जांच में फर्जी निकला। जाहिर है निगरानी विभाग की कार्रवाई पर पहले ही विभाग के अधिकारी कुंडली मार कर बैठे थे तथा फर्जी प्रमाणपत्र पर नौकरी करने वाले शिक्षकों का वेतन भुगतान भी हो रहा था।  फर्जी शिक्षकों पर कार्रवाई के बदले मामले को लटकाने के

आरोप में जिला कार्यक्रम पदाधिकारी स्थापना पर भी जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी दोषी ठहराया है। वही फर्जी शिक्षकों पर एफआईआर दर्ज करा उनसे राशि वसूली का निर्देश दिया गया है। जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के इस निर्देश के बाद शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया है। इसव मामले में सवाल खड़ा होता है कि निगरानी पदाधिकारी,

बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के नाम से फर्जी पत्र किसने बनवाया, जिसमें फर्जी नौ शिक्षकों में पांच शिक्षकों को सही ठहराया। बहरहाल, मामला लोक शिकायत में पहुंचा तो इसका खुलासा हुआ।

फर्जी पत्र में इन शिक्षकों को बचाने की हुई है कवायद

निगरानी विभाग के जिस फर्जी पत्र पर पांच शिक्षकों के प्रमाणपत्रों को सही करार दे दिया गया है। उनमें प्रीति कुमारी, तारामुनी, राजेश कुमार, पूनम कुमारी एवं दलसिंगार बिंद शामिल हैं। वही चार अन्य शिक्षक भी है। जिनके प्रमाण पत्र को निगरानी विभाग ने फर्जी बताया था।

लेकिन उन पर एफआईआर दर्ज होने से पहले ही दूसरी बार के जांच में पांच शिक्षकों के प्रमाण पत्र को सही ठहराने का एक पत्र निगरानी विभाग द्वारा भेजा गया। लेकिन जांचोपरांत वह पत्र भी फर्जी निकला है। लेकिन इससे इस बात की जानकारी मिल रही है कि शिक्षा विभाग में फर्जीवाड़े का खेल कितना उच्च स्तरीय है।