प्यासे भटक रहे दुुर्लभ हिरण पर कुत्तों ने किया हमला, कृषि वैज्ञानिक ने करवाया इलाज
बुधवार की सुबह डुमरांव सम्हार रोड में बसौली गांव के पास दुर्लभ प्रजाति के एक हिरण पर कुत्तों ने हमला कर दिया था। कुत्ते उसे घेरकर नोंच रहे थे। संभवतः हिरण प्यास से व्याकुल था तथा अपनी प्यास बुझाने के लिए ही बधार से निकल आबादी के करीब आया था।
- बसौली के बधार में गांव के करीब आया था प्यासे भटका हिरण, ग्रामीणों ने कुत्तों से बचाई जान
केटी न्यूज/डुमरांव
बुधवार की सुबह डुमरांव सम्हार रोड में बसौली गांव के पास दुर्लभ प्रजाति के एक हिरण पर कुत्तों ने हमला कर दिया था। कुत्ते उसे घेरकर नोंच रहे थे। संभवतः हिरण प्यास से व्याकुल था तथा अपनी प्यास बुझाने के लिए ही बधार से निकल आबादी के करीब आया था। प्यासे रहने के कारण ही वह कुत्तों से अपनी जान बचाने में असफल हो रहा था।
संयोग से उस रास्ते गुजर रहे वीर कुंवर सिंह कृषि कॉलेज के जीव जंतु वैज्ञानिक डॉ. सुदय कुमार की नजर उस हिरण पर पड़ी, उन्होंने आस पास में मौजूद ग्रामीणों को इकट्ठा कर हिरण को कुत्तों के चंगुल से मुक्त कराया तथा इलाज के लिए बनकट के किसी चिकित्सक के पास पहुंचाया।
उन्होंने वन विभाग को भी इसकी जानकारी दी। हालांकि, समाचार लिखे जाने तक वन विभाग की टीम उक्त हिरण को रेस्क्यू करने नहीं पहुंची थी। लेकिन, प्राथमिक इलाज के बाद हिरण की स्थिति में सुधार जरूर हुआ था। बता दें कि मृग ( हिरण ) वैसे भी मारीचिका में फंसकर मरने के लिए बदनाम है। लेकिन, भीषण गर्मी के कारण इलाके में गहराए पेयजल संकट से इस दुर्लभ वन्यजीव के अस्तित्व पर संकट आ खड़ा हुआ है।
नीलगाय को पालतू बनाने पर शोध कर रहे है डॉ. सुदय
कुत्तों के चंगुल से हिरण की जान बचाने वाले डॉ. सुदय वीर कुंवर सिंह कृषि कॉलेज में बतौर जीव जंतु वैज्ञानिक है। वे नीलगाय को पालतू बनाने पर शोध कर रहे है। उनका शोध काफी आगे बढ़ चुका है। वे नीलगाय के एक बच्चें को पाल उस पर शोध भी कर रहे है।
उन्होंने बताया कि इसका सुखद परिणाम सामने आएगा। उनका मानना है कि नीलगाय को पालतूू बनाए जाने से पशुपालकों को जहां, आर्थिक लाभ होगा वही फसलों की सुरक्षा भी होगी। बता दें कि जिले के किसानों के लिए नीलगाय बड़ी मुसीबत बन गई है।