नये हिट एंड रन कानून के खिलाफ सड़क पर उतरे वाहन चालक, सड़कों पर पसरा रहा सन्नाटा

नये हिट एंड रन कानून के खिलाफ सड़क पर उतरे वाहन चालक, सड़कों पर पसरा रहा सन्नाटा

केटी न्यूज/डुमरांव

केन्द्र सरकार द्वारा हिट एंड रन कानून में संसोधन किया गया है। लेकिन इस नये कानून के खिलाफ वाहन चालकों ने मोर्चा खोल दिया है। सोमवार को नयें साल के पहले ही दिन अनुमंडल के विभिन्न क्षेत्रों में टेम्पो, जीप, ट्रक, बस आदि चलाने वाले चालकों ने अपनी-अपनी वाहनों को खड़ा कर हड़ताल कर दिया। जिससे परिवहन व्यवस्था चरमरा गई थी।

सबसे अधिक प्रभाव टेंपो चालकों के हड़ताल से पड़ा। डुमरांव, नया भोजपुर, पुराना भोजपुर आदि जगहों पर टेम्पो चालक पूरे दिन हड़ताल पर डटे रहे। वही उनके राष्ट्रीय एसोशिएसन ने इस नये कानून को वापस लेने के लिए तीन दिन के हड़ताल की घोषणा की है। नया भोजपुर में हड़ताल पर डटे टेम्पो चालकों ने नयें हिट एंड रन कानून को चालकों के लिए काला कानून बताते

हुए इसे वापस करने की मांग की। चालकों ने कहा कि इस कानून से उन्हंे अपना रोजगार बंद करना पड़ेगा। चालकों ने केन्द्र सरकार को चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र इस कानून को वापस नहीं लिया गया तो देशभर में चक्का जाम हो जाएगा। 

क्या है नया हिट एंड रन कानून

बता दंे कि केन्द्र सरकार ने हिट एंड रन कानून में संशोषण किया है। इसके तहत अब किसी को धक्का मार भागने वाले चालक को 7 साल की सजा और 10 लाख रूपए जुर्माना का प्रवधान किया गया है। वही धक्का मारने के बाद जख्मी का इलाज कराने वाले चालकों की सजा कम की जाएगी। लेकिन चालकों का कहना था कि हाड़तोड़ मेहनत के बाद भी उन्हें मात्र आठ से दस हजार रूपये ही

पगार मिलती है। ऐसे में किसी दुर्घटना के बाद वे जुर्माने के लिए 10 लाख रूपए कहां से लाएंगे। चालकों ने कहा कि सात साल की सजा से उनका परिवार टूट जाएगा। वे रोज कमाने और खाने वाले तबके के है। ऐसे में केन्द्र सरकार को इस कानून को वापस लेना चाहिए। चालकों के हड़ताल के पूरे दिन सड़कों पर सन्नाटा पसरा रहा। टेम्पो चालक संतोष कुमार, रवि कुमार, मुन्ना प्रसाद, मनोज कुमार आदि ने कहा कि यह कानून चालकों के लिए अभिशाप जैसा है।

लोगों को हुई परेशानी

बता दें कि वाहन चालकों के हड़ताल से नये साल के पहले दिन मंदिरों तथा अन्य जगहों पर घुमने वालों को परेशानी का सामना करना पड़ा। अधिकांश लोगों को पैदल ही अपने गंतव्य तक जाना पड़ा। सबसे अधिक परेशानी महिलओं व बच्चियों को हुई। जिन्हें वाहन चालकों के हड़ताल से नये साल के पहले दिन ही अपने पिकनीक स्पॉट, मंदिर, होटल या रेस्त्रां में पैदल जाने को मजबूर होना पड़ा।