डुमरांव की साक्षी ने जुड़ो की सीनियर स्टेट चैंपियनशीप में जीता गोल्ड, बढ़ाया मान

डुमरांव की मिट्टी में प्रतिभा की कभी कमी नहीं रही, लेकिन इस बार इस धरती की एक बेटी ने ऐसा कमाल कर दिखाया है कि पूरा बक्सर गर्व से सिर ऊंचा कर रहा है।

डुमरांव की साक्षी ने जुड़ो की सीनियर स्टेट चैंपियनशीप में जीता गोल्ड, बढ़ाया मान

- डुमरांव की ‘जूडो शेरनी’ साक्षी, चार बार की स्टेट चौंपियन, अब राष्ट्रीय मंच पर दहाड़ने को तैयार

-- सीमित साधनों के बावजूद रची सफलता की मिसाल; अगले महीने मणिपुर में नेशनल ओलंपियाड में दिखाएगी दमखम

केटी न्यूज/डुमरांव

डुमरांव की मिट्टी में प्रतिभा की कभी कमी नहीं रही, लेकिन इस बार इस धरती की एक बेटी ने ऐसा कमाल कर दिखाया है कि पूरा बक्सर गर्व से सिर ऊंचा कर रहा है।

जूडो खिलाड़ी साक्षी ने बिहार स्टेट सीनियर जूडो चैंपियनशिप में लगातार चौथी बार गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया है। मोतिहारी में आयोजित 70 किलोग्राम भारवर्ग के सीनिकयार जुड़ो प्रतियोगिता में जिस आत्मविश्वास और दमखम के साथ उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वियों को मात दी, उसने साबित कर दिया कि सपना अगर मजबूत हो तो दीवारें भी रास्ता बना देती हैं।

मंगलवार की दोपहर जब साक्षी घर पहुंचीं, तो माहौल किसी विजेता की वापसी जैसा था। पिता संतोष कुमार, जो एक छोटे से व्यवसाय से परिवार चलाते हैं, और माता रेखा प्रसाद, जो ब्यूटी पार्लर चलाती हैं, दोनों ने मिठाई खिलाकर बेटी की जीत का जश्न मनाया। उनके चेहरे पर खुशी ही नहीं, बल्कि उस संघर्ष की चमक भी दिख रही थी जो उन्होंने अपनी बेटी के सपनों को उड़ान देने में झेला है।

-- घर से मिली ताकत, मैदान में मिला आत्मविश्वास

साक्षी मुस्कुराते हुए बताई कि हर जीत के पीछे मेरे परिवार का विश्वास है। अगर उन्होंने मुझे रोक लिया होता, तो शायद मैं भी सपनों को अलमारी में बंद कर देती।

2021 से अब तक उनका मेडल कलेक्शन ही उनकी मेहनत की कहानी बयां करता है, अनगिनत गोल्ड, सिल्वर और ब्रॉन्ज मेडल। लेकिन इन तमाम उपलब्धियों के बावजूद साक्षी की सबसे बड़ी ताकत उनका संतुलन है। दिल्ली विश्वविद्यालय के रामजस कॉलेज से बीकॉम करने के बाद अब वे जालंधर से बीपीएड की प्रशिक्षण ले रही हैं। वहीं, उनका भाई आनंद राज, जो दिल्ली में ही ग्रेजुएशन कर रहा है, बहन को अपना रोल मॉडल मानता है।

-- नेशनल ओलंपियाड की चुनौती कृ लक्ष्य अब देश का शीर्ष ताज

अब साक्षी की नजरें नेशनल ओलंपियाड पर टिकी हैं, जो 11 से 14 दिसंबर तक मणिपुर में आयोजित होगा। यह सिर्फ एक टूर्नामेंट नहीं, बल्कि उनके सपने का एक बड़ा पड़ाव है।

साक्षी कहती हैं कि मैं वहां सिर्फ अपने लिए नहीं, डुमरांव की हर उस लड़की के लिए उतरूंगी, जो सपने देखने की हिम्मत रखती है।

-- साक्षी की कहानी कृ हर उस बेटी की आवाज, जो उड़ना चाहती है

हमारे समाज में आज भी कई लड़कियों का सपना घर की चौखट पर ही दम तोड़ देता है, लेकिन साक्षी ने यह मिथक तोड़ दिया।

सीमित साधन, रूढ़िवादी सोच और परंपराओं की दीवारें, इन सबके बावजूद उन्होंने अपनी पहचान खुद बनाई है।

डुमरांव की यह जूडो गर्ल आज उन परिवारों के लिए प्रेरणा है जो अपनी बेटियों के सपनों को पंख देना चाहते हैं। उनकी उपलब्धि यह संदेश देती है कि छोटे कस्बों की बेटियां अगर ठान लें, तो दुनिया की कोई ताकत उन्हें रोक नहीं सकती।