राष्ट्र की प्रगति में सबसे सशक्त माध्यम शिक्षा ही है: आनंदीबेन पटेल

राष्ट्र की प्रगति में सबसे सशक्त माध्यम शिक्षा ही है: आनंदीबेन पटेल

- पांचवें दीक्षांत समारोह का हुआ आयोजन 

 24802 विद्यार्थियों को मिली उपाधि

केटी न्यूज/बलिया


दीक्षान्त का अर्थ शिक्षा का अंत होना नहीं है, बल्कि एक ऐसा पड़ाव है जहां विद्यार्थी अपनी अर्जित शिक्षा को कर्म क्षेत्र में उतारने का संकल्प लेता है। किसी भी समाज और राष्ट्र की प्रगति में सबसे सशक्त माध्यम शिक्षा ही है। मुझे विश्वास है कि आपने इस विश्वविद्यालय से जो शिक्षा ग्रहण की है, वह आपके जीवन-पथ को आलोकित करेगी। यह बातें जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय के पांचवें दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता करते हुए राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कही।   इस दौरान कुल 24802 विद्यार्थियों ने उपाधि प्राप्त किया, जिसमें इसमें स्नातक स्तर के 21,372 व स्नातकोत्तर स्तर के 3,430 विद्यार्थी शामिल हैं। इसमें 13,347 छात्राएं व 11.454 छात्र हैं। राज्यपाल ने 38 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक दिया, जिसमें 12 छात्र व 26 छात्राएं थीं। राज्यपाल ने सभी विद्यार्थियों को शुभकामनाएं दी।

राज्यपाल श्रीमती पटेल ने विद्यार्थियों से कहा कि   शिक्षा, राजनीतिक, प्रशासन, खेल और कला आदि कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं बचा है, जहां बेटियां अपनी प्रतिभा का लोहा न मनवा रही हों। यह प्रत्येक क्षेत्र में लड़कों की न सिर्फ बराबरी कर रही हैं, बल्कि कई क्षेत्रों में ये लड़कों से आगे नजर आ रही है। सरकार ने महिला सशक्तिकरण के लिए तमाम योजनाएं चलाई। लड़कियों को भी मौका मिला तो परिणाम लाकर दिखा भी दिया। उन्होंने कहा कि हम सबको अपने मौलिक कर्तव्यों को जानना चाहिए और उसका निर्वहन करना चाहिए। युवा पीढ़ी को भी मूल कर्तव्यों का ज्ञान कराया जाना अति आवश्यक है। युवाओं में नशे की लत को लेकर उन्होंने कहा कि समाज में व्याप्त बुराइयों का भी संकल्प युवाओं को लेना हेागा। इतनी उच्च शिक्षा ग्रहण करने के बाद बुराईयों को खुद से दूर नहीं रख सकते तो ऐसी शिक्षा की आवश्यकता नहीं। आगे कहा कि विवि के रिसर्च का लाभ ग्रामीण क्षेत्रों को मिले। गांव वालों की समस्याओं का समाधान करने की पहल हमेशा हो।

बेटियों को एचपीवी वैक्सीन जरूर लगवाएं

बलिया। राज्यपाल ने कहा कि इस देश को स्वस्थ महिलाओं की आवश्यकता है। वर्तमान में कैंसर के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए यह जरूरी हो गया है कि हर महिला अपनी बेटी को कैंसररोधी वैक्सीन जरूर लगवाएं। इसमें दो-तीन हजार का खर्च जरूर है, पर पतियों और भाईयों से उपहार में साड़ी व अन्य सामानों की जगह वैक्सीन लगवाने को जरूर कहें। बीमारी के बाद लाखों रूपए खर्च करने की वजाय वैक्सीन लगवाना बेहतर विकल्प है।

परिषदीय स्कूली बच्चों से किया संवाद, दिए उपहार

बलिया। राज्यपाल श्रीमती पटेल ने परिषदीय स्कूल के 30 बच्चों से बातचीत किया। उन्होंने सभी बच्चों को उपहार भी दीं, जिसमें स्कूल बैग, कापी किताबें, पेंसिल, पेन आदि पाठ्यसामग्री के साथ बिस्कुट, टाफ़ी आदि था। राज्यपाल से उपहार पाकर बच्चे काफी उत्साहित दिखे। बच्चों ने भी उनको पर्यावरण, संविधान, राष्ट्रीय ध्वज पर आधारित पेंटिंग भेंट किया। उन्होंने आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों से भी मिलकर पोषण किट का सदुपयोग कर कुपोषणमुक्त व टीबी मुक्त गांव बनाने का संदेश दिया। केंद्र पर बच्चो को खेलने के लिए तीन पहिया रिक्सा भी दीं। विश्वविद्यालय के गोद लिए हुए गांवों में पूर्व में आयोजित की गयी खेलकूद प्रतियोगिता के विजेता बच्चों को भी पुरस्कृत किया गया।

मोटे अनाज की खेती के लिए किसानों को करें प्रोत्साहित

बलिया। राज्यपाल ने कहा कि गंगा व सरयू नदी के बीच होने के नाते प्रकृति ने भी इस क्षेत्र को अत्यंत उर्वरक कृषि योग्य भूमि दी है। आज पूरी दुनिया मिलेट्स यानी ‘श्री अन्न‘ मोटे अनाज के महत्व को जान चुकी है। इसलिए सभी विद्यार्थी व शिक्षक इस क्षेत्र के किसानों को मोटे अनाज की खेती के लिए प्रेरित एवं प्रोत्साहित करें। कृषि विज्ञान से जुड़े शिक्षक एवं विद्यार्थी ‘श्री अन्न‘ की गुणवत्ता और उत्पादकता की वृद्धि के लिए शोध और नवाचार करें, ताकि भारत अपने साथ-साथ पूरी दुनिया की आबादी को पोषण दे सके।

देश के लिए कुछ करना सबका कर्तव्यः उच्च शिक्षा मंत्री

बलिया। विशिष्ट अतिथि उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने कहा कि गुरु-शिष्य परंपरा का आज वास्तविक प्रकटन हुआ है। अपने गुरुओं द्वारा प्रदत्त ज्ञान एवं कौशल को ये उपाधि प्राप्त विद्यार्थी अपने जीवन में उतारेंगे। सभी विद्यार्थियों का कर्तव्य है, देश के लिए कुछ करना। देश हमें देता है, हम भी कुछ देना सीखें। उन्होंने विश्वास जताया कि सभी विद्यार्थी भविष्य में भी कठिन परिश्रम करते हुए नए कीर्तिमान स्थापित करेंगे और अपने विश्वविद्यालय, जनपद एवं राष्ट्र की समृद्धि में योगदान देंगे।

38 मेधावियों को मिला स्वर्ण, साक्षी को चांसलर मेडल

बलिया। जेएनसीयू के पांचवें दीक्षांत समारोह में, 38 मेधावियों को स्वर्णपदक एवं एक सर्वश्रेष्ठ छात्रा साक्षी बर्नवाल को चांसलर मेडल मिला। बीए में आशुतोष सिंह, बीकाम में ऋद्धि तिवारी, बीएससी में मो. शादाब, बीसीए में मो फैज़ान अंसारी, बीएससी कृषि में स्वप्निल यादव, बी.एड में अचला यादव, बीपीएड में महेश्वर सिंह, बीएलएड में शताक्षी पाण्डेय, एलएलबी में अरमान खाँ, एमए हिन्दी में कंचन सोनी, एमए संस्कृत में अजय शर्मा, एमए अंग्रेजी में ईशा मिश्रा, एमए प्राचीन इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व में प्रिया चौरसिया, एमए मध्यकालीन एवं आधुनिक इतिहास में प्रगति गुप्ता, एमए उर्दू में रेश्मा खातून, एमए भूगोल में उज्ज्वल सिंह, एमए अर्थशास्त्र में अवंतिका सिंह, एमए समाजशास्त्र में उन्नति चौहान, एमए राजनीति विज्ञान में वैभव कुमार द्विवेदी, एमए मनोविज्ञान में प्रीति तिवारी, एमए शिक्षाशास्त्र में सोनम चौरसिया, एमए दर्शनशास्त्र में शिल्पा यादव, एमएसडब्ल्यू में विवेक कुमार सिंह, एम.काम में अंजलि सोनी, एमएड में शाहला परवीन, एमएससी गणित आकांक्षा राय, एमएससी रसायन विज्ञान में साक्षी गुप्ता, एम एससी वनस्पति विज्ञान में फायजा खातून, एम एससी प्राणि विज्ञान साक्षी बरनवाल, एम एससी भौतिक विज्ञान में रिहा सिंह, एम ए गृह विज्ञान खाद्य एवं पोषण में श्वेता शुक्ला, एमए गृह विज्ञान मानव विकास में सृष्टि कुमारी, एमए रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन में अभिषेक वर्मा, एमएससी जैव प्रौद्योगिकी विज्ञान में रजिया खातून, एमएससी कृषि कृषि अर्थशास्त्र एवं सांख्यिकी दीक्षा सिंह, एमएससी कृषि कृषि रसायन एवं मृदा विज्ञान में आदित्य सेन, एमएससी कृषि आनुवांशिकी एवं पादप प्रजनन में रानी, एमएससी कृषि उद्यान विज्ञान में गोपाल कुमार तथा विवि स्तर पर संचालित समस्त पाठ्यक्रमों में सर्वाधिक अंक पाने वाली साक्षी बरनवाल को चांसलर मेडल मिला।

स्मारिका का किया लोकार्पण

बलिया। कुलाधिपति श्रीमती पटेल ने दीक्षांत समारोह के अवसर स्मारिका ‘सृजन‘ व श्री अन्न (मोटे अनाज) से बने व्यंजनों की रेसीपी की एक पुस्तक का भी लोकार्पण किया। इसके साथ ही विश्वविद्यालय के सामाजिक उत्तरदायित्व केंद्र की सूचना विवरणिका का भी लोकार्पण किया। स्मारिका का संपादन प्रो जैनेंद्र पाण्डेय, डॉ प्रमोद शंकर पाण्डेय, डॉ. संदीप यादव, डॉ. अभिषेक मिश्र, डॉ. दिलीप मध्येशिया, डॉ. नीरज सिंह ने तथा न्यूज़लेटर का संपादन डॉ. प्रमोद शंकर पाण्डेय, डॉ. सरिता पाण्डेय, डॉ. संदीप यादव, डॉ. अभिषेक मिश्र, डॉ. प्रवीण नाथ यादव एवं डॉ. नीरज सिंह ने किया है। पुस्तक का संपादन डॉ. रंजना मल्ल, सौम्या, डॉ. संध्या व डॉ. तृप्ति तिवारी ने किया है।