केटी न्यूज़, रोहतास: बिहार के रोहतास जिले में स्वास्थ्य सेवाओं की गंभीर अनदेखी की घटनाएं सामने आई हैं, जहां आशा और बीएचएम कर्मियों द्वारा गर्भवती महिलाओं को बहलाकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के बजाय निजी अस्पतालों में ले जाने की लत ने दो जीवनों को निगल लिया है। इस लापरवाही के चलते न केवल दो महिलाओं की मौत हुई, बल्कि दो परिवारों को अपूरणीय क्षति पहुंची है।
पहली घटना में, सिरिसियां निवासी गर्भवती उषा देवी को खून की कमी बताकर रेफर किया गया, लेकिन उनके पति की अनुपस्थिति में उन्हें अस्पताल के गेट से बाहर कर दिया गया। असहाय उषा देवी ने पेड़ के नीचे एक बच्चे को जन्म दिया, जिसकी शीघ्र ही मौत हो गई। इस घटना की जांच के लिए डीएम के निर्देश पर डीडीसी विजय पांडेय के नेतृत्व में एक टीम गठित की गई, लेकिन अभी तक किसी भी प्रकार की कार्रवाई का अभाव है।
दूसरी घटना में, मधु कुमारी नामक एक अन्य गर्भवती महिला को रीतू कुमारी नामक एक निजी क्लीनिक संचालिका ने बहला-फुसलाकर अपने क्लीनिक में ले जाकर 15 हजार रुपये जमा करवाए। 28 अप्रैल को आपरेशन के बाद मधु कुमारी ने एक बच्ची को जन्म दिया, लेकिन उसके बाद उनकी हालत बिगड़ने लगी। गंभीर स्थिति में भी रीतू कुमारी ने उन्हें निजी वाहन से घर भेज दिया, जिसके चलते रास्ते में ही मधु कुमारी की मौत हो गई। इस मामले में रीतू कुमारी समेत तीन लोगों के खिलाफ आवेदन दिया गया है, और घटना के बाद से क्लीनिक बंद है तथा सभी आरोपित फरार हैं।
प्रशिक्षु डीएसपी सह थानाध्यक्ष पंकज कुमार के अनुसार, आवेदन को सिविल सर्जन के पास भेजा गया है और चूंकि शव को भी जला दिया गया है, इसलिए सीएस द्वारा गठित टीम की रिपोर्ट के आधार पर प्राथमिकी दर्ज की जाएगी।ये घटनाएं न केवल स्वास्थ्य सेवाओं में गंभीर खामियों को उजागर करती हैं, बल्कि यह भी दर्शाती हैं कि कैसे निजी लाभ के लिए नैतिकता और मानवता को ताक पर रखा जा रहा है। इन घटनाओं की गहन जांच और दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई अत्यंत आवश्यक है, ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदियों को रोका जा सके और स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार हो।