अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे किसानों ने एक्सप्रेस-वे निर्माण रोके रखने का संकल्प लिया
बुधवार को अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे किसानों ने बिना उचित मुआवजा मिले बनारस-रांची-कोलकाता एक्सप्रेस-वे निर्माण नहीं होने देने का संकल्प लिया।
केटी न्यूज़/कैमूर
कैमूर चांद। बुधवार को अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे किसानों ने बिना उचित मुआवजा मिले बनारस-रांची-कोलकाता एक्सप्रेस-वे निर्माण नहीं होने देने का संकल्प लिया। भारत माला परियोजना के तहत यह निर्माण कार्य पीएनसी इंफ्राटेक लिमिटेड कंपनी द्वारा किया जा रहा है, और किसानों ने मसोई में अपने धरने के 129वें दिन भी अपना विरोध जारी रखा है।
धरना स्थल पर बैठे दर्जनों किसानों ने स्पष्ट किया कि जब तक उन्हें उचित मुआवजा नहीं मिलता, वे एक्सप्रेस-वे के निर्माण को एक इंच भी आगे नहीं बढ़ने देंगे। पिछले 129 दिनों से किसान धूप, बारिश और ठंड में टेंट लगाकर डटे हुए हैं। धरने में शामिल वयरी, भेरी, खैंटी, मसोई, कुरईं आदि गांवों के किसानों ने कहा कि सरकार के उचित मुआवजा की घोषणा करने तक उनका अनिश्चितकालीन धरना जारी रहेगा।\
पंजाब और हरियाणा के तर्ज पर धरना स्थल पर लंगर का आयोजन भी किया जा रहा है। किसान ढोल-नगाड़ों के साथ धरने पर बैठे हुए हैं और नीतीश कुमार के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं। उनके नारे हैं, "उचित मुआवजा नहीं तो एक्सप्रेस-वे नहीं," और "नीतीश कुमार होश में आओ, पीएनसी कंपनी वापस जाओ।" किसानों की जोश और उत्साह को देखकर यह लगता है कि सरकार कैमूर जिले में एक्सप्रेस-वे का निर्माण नहीं करा पाएगी।
धरने में शामिल किसानों, जैसे ठाकुर प्रसाद गोंड, धर्मेन्द्र शर्मा, राजेश कुमार गुप्ता, संतोष खरवार, इन्द्रजीत कुमार, अमित रंजन सिंह, अयोध्या पाण्डेय, पवन पांडेय और उदयनाथ सिंह से पूछा गया कि वे कितने दिन तक यह धरना जारी रखेंगे। किसानों ने जवाब दिया, "मरते दम तक।"किसान संघर्ष मोर्चा कैमूर के महासचिव पशुपति नाथ सिंह ने किसानों का उत्साह बढ़ाते हुए कहा कि जल्द ही उनकी मांगें पूरी होने की संभावना है। उन्होंने कहा कि कैमूर जिले के हजारों किसानों ने उचित मुआवजे की मांग के लिए जोरदार संघर्ष किया है। महासचिव ने कहा, "हम मरते दम तक लड़ते रहेंगे।"
बिहार सरकार ने भारत माला परियोजना के तहत एक्सप्रेस-वे और एनएच 219 बाईपास के लिए हजारों किसानों की सैकड़ों हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया है। किसानों ने आरोप लगाया है कि भूमि अधिग्रहण के दौरान उनकी राय नहीं ली गई और भूमि की प्रकृति में बड़ी गड़बड़ी की गई है। जब किसानों ने भूमि अधिग्रहण के अवार्ड को देखा, तो वे हैरान रह गए।
किसानों ने 2013 के सर्किल रेट के आधार पर मुआवजा देने की घोषणा को लेकर नाराजगी जताई, जो बाजार मूल्य से बहुत कम है। पिछले ढाई साल से किसान भूमि अधिग्रहण में गड़बड़ी को दूर करने, उचित मुआवजा और सर्किल रेट बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। वे पीएनसी कंपनी के बेस कैंप स्थल मसोई में पिछले 129 दिनों से धरना दे रहे हैं।