पराली जलाने वालों पर दर्ज कराया जाएगा एफआईआर, नहीं मिलेगा अनुदान - डीएम

पराली जलाने वालों पर दर्ज कराया जाएगा एफआईआर, नहीं मिलेगा अनुदान - डीएम

हार्वेस्टर मालिक एसएमएस के साथ ही हार्वेस्टर चलाये

फसल अवशेष प्रबंधन पर आयोजित हुई कार्यसमूह की बैठक

केटी न्यूज/बक्सर 

खेतों में पराली जलाने वालों पर जिला प्रशासन सख्त हो गया है। इस बार रबी फसलों की कटाई शुरू होने से पहले ही जिला प्रशासन ने अपना मंशा साफ कर दिया है। सोमवार को समाहरणालय स्थित सभागार में डीएम अमन समीर की अध्यक्षता में फसल अवशेष प्रबंधन पर कार्य समूह की बैठक आयोजित की गई। अपने संबोधन में डीएम ने कहा कि खेतों में पराली जलाने से मिट्टी की उर्वरा शक्ति घटती है। इसका दुष्प्रभाव मानव जीवन पर अत्यधिक प्रतिकूल पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि खेतों में पराली जलाने से हमारा पर्यावरण बिगड़ रहा है। उन्होंने कहा कि पराली जलाने वाले किसानों पर एफआईआर दर्ज कराया जाएगा तथा उन्हें सरकार की तरफ से मिलने वाले सभी अनुदान व लाभ रोक दिए जाएंगे। डीएम ने अपने मातहतों को इसे सख्ती से लागू करने के लिए कहा कि हमें टीम भावना से इस दिशा में साकारात्मक कार्य करना होगा। तभी हम अपने लक्ष्य में सफल हो सकते है।

  

हार्वेस्टर संचालकों को एसएमएस के पालन का दिया निर्देश

डीएम ने हार्वेस्टर संचालाकों को भी गाइड लाइन की जानकारी दी और बताया कि हार्वेस्टर संचालक एसएमएस (स्ट्रा मैनेजेमेंट सिस्टम) लगाकर ही हार्वेस्टर संचालित करें। उन्होंने हार्वेस्टर संचालकों को किसानों को पराली नहीं जलाने के लिए प्रेरित करने को कहा। सभी हार्वेस्टर मालिक कृषि विभाग से परमीट प्राप्त कर ही हार्वेस्टर का संचालन करेंगे, अन्यथा बिना परमीट के हार्वेस्टर संचालन पर कानूनी कार्रवाई की जायेगी। जिला पदाधिकारी ने कृषि समन्वयक, बीटीएम, एटीएम को निर्देश दिया कि सम्बंधित के क्षेत्र में पराली नहीं जले, इस पर अनवरत निगरानी रखे। औचक निरीक्षण के दौरान जो व्यक्ति पराली जलाते हुए पाया जाता है तो उस पर सीआरपीसी की धारा 133 के अंतर्गत कार्रवाई की जायेगी।

पंचायतों में जागरूकता फैलाने के लिए मुखिया से की अपील

डीएम ने जिले के सभी पंचायतों के मुखिया से अपने-अपने पंचायतों में पराली नहीं जलाने के लिए किसानों को जागरूक करने की अपील की है। उन्होंने मुखिया से ग्राम स्तर पर सभा आयोजित कर किसानों को फसल प्रबंधन पर चर्चा कर पराली नहीं जलाने का संकल्प दिलाते हुए जागरुक करने की बात कही। उन्होंने कहा कि मुखिया किसानों को बताए कि खेतों में पराली जलाने से किस तरह मिट्टी की उर्वरा शक्ति घट रही है तथा इससे पर्यावरण को किस कदर नुकसान पहुंच रहा है। आगे उन्होंने कहा कि फसल अवशेष प्रबंधन हेतु जिला स्तर पर अंतर्विभागीय कार्य-समूह में जुड़े सभी पदाधिकारी अपने-अपने विभाग द्वारा फसल अवशेष पर कार्य करना सुनिश्चित करेंगे। जिला कृषि पदाधिकारी मनोज कुमार ने कहा कि प्रदेश में बक्सर जिला का तापमान अव्वल दर्जे पर है। इस परिस्थिति में पराली जलाना भीषण तबाही को न्योता देना है। इसके लिए विभाग द्वारा जागरुकता के लिए प्रचार-प्रसार, योजनाओं में प्रोत्साहन, दण्डात्मक कार्रवाई, फसल अवशेष को मूल्य संवर्धन इत्यादि कार्य किये जा रहे हैं। 

क्या है एसएमएस

एसएमएस यानी स्ट्रा मैनेजेमेंट सिस्टम वह उपकरण है जिसके माध्यम से फसलों की कटाई करने पर फसल अवशेष इकट्ठा होते रहते हैं। यह यंत्र फसलों को छोटे-छोटे टुकड़े में काटता है, जिससे किसान इसे जलाए बिना अगली फसल की बुवाई कर सकता है। इसके विपरित बिना एसएमएस के हार्वेस्टर से कटाई करने पर फसल अवशेष को बाहर खेत में ही फेकती चलती है। इससे किसान उन्हें इकट्ठा करने के बजाय खेतों में आग लगा देते हैं।