जन्माष्टमी के अगले दिन मनाया जाता है 'गोपालकाला ' जाने क्या है कारण

भगवान कृष्ण का जन्म भाद्रपद महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हुआ था।इसी दिन कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है।

जन्माष्टमी के अगले दिन मनाया जाता है 'गोपालकाला ' जाने क्या है कारण
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केटी न्यूज़/दिल्ली

भगवान कृष्ण का जन्म भाद्रपद महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हुआ था।इसी दिन कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है।इसके बाद अगले दिन देश के कई हिस्सों में दही हांडी का पर्व  मनाया जाता है।इसे गोपालकाला या उत्तोत्सवम भी कहा जाता है, यह कृष्ण जन्माष्टमी के अगले दिन मनाया जाता है, जो भगवान कृष्ण के जन्म का उत्सव है।दही हांडी उत्सव के दौरान, दूध, दही, मक्खन या अन्य डेयरी उत्पादों से भरा एक मिट्टी का बर्तन कई मंजिलों की ऊँचाई पर लटकाया जाता है,फिर इसे जन मिनार बनाकर फोड़ा जाता है। 

कान्हा को दही, दूध और माखन बहुत प्रिय थे। वो अपने दोस्तों के साथ अड़ोस पड़ोस के घरों से माखन चुराकर खा जाते थे।इसलिए उन्हें माखन चोर भी कहा जाता है।इतना ही नहीं कान्हा गोपियों की मटकियां भी फोड़ देते थे।जिससे तंग आकर गोपियों ने माखन और दही की हांडियों को ऊंचाई पर टांगना शुरू कर दिया था, लेकिन वो नाकाम ही रहीं। कान्हा इतने नटखट थे कि अपने सखाओं की मदद से हांडी को फोड़कर माखन और दही खा जाते थे।भगवान कृष्ण की इन्हीं बाल लीलाओं को याद करते हुए दही हांडी का उत्सव मनाने की शुरुआत हुई थी।

जन्माष्टमी पर दही हांडी का खास महत्व होता है। भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं की झांकिया दर्शाने के लिए दही हांडी पर्व मनाया जाता है। हिंदु धर्म में मान्यता है कि घर में माखन चोरी के लिए मटकी फोड़ने से घर के दुख दूर हो जाते हैं और घर में खुशियों का वास होता है।महाराष्ट्र, यूपी के मथुरा, वृंदावन और गोकुल में इसकी अलग ही धूम देखने को मिलती है।द्वापर युग से शुरू हुआ ये पर्व अब भी धूमधाम से मनाया जाता है।