गणेशोत्सव पर घर ला रहें है मूर्ति तो कैसे पहचाने मिट्टी और पीओपी की मूर्ति में अंतर
गणेशोत्सव में अब सिर्फ एक दिन ही रह गया है मार्केट में भगवान गणेश की एक से बढ़कर एक प्रतिमा भी देखने को मिल रही है।
केटी न्यूज़/दिल्ली
गणेशोत्सव में अब सिर्फ एक दिन ही रह गया है मार्केट में भगवान गणेश की एक से बढ़कर एक प्रतिमा भी देखने को मिल रही है। लेकिन अगर आप मिट्टी के गणपति की मूर्ति खरीदना चाहते हैं। तो मिट्टी और पीओपी की प्रतिमा में फर्क समझे।
गणेश उत्सव की धूम महाराष्ट्र के साथ ही पूरे देश में भी देखने को मिलती है। हर गली-मोहल्ले और घरों में गणपति बप्पा के जयकारे भी गूजेंगे। गणेश चतुर्थी पर कई लोग अपने घर में बप्पा की मूर्ति की स्थापना करते हैं। पीओपी यानि प्लास्टर ऑफ पेरिस से पर्यावरण को होते नुकसान को ध्यान में रखते हुए अब मिट्टी की मूर्ति को तवज्जो दी जा रही हैं। मिट्टी के गणपति की बढ़ती डिमांड को देखकर कई बार दुकानदार पीओपी को ईको फ्रेंडली गणेश प्रतिमा बताकर बेच देते हैं। ऐसे में दोनों मूर्ति में फर्क समझना बहुत जरूरी है।
- मिट्टी की मूर्ति हमेशा पीओपी यानि की प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी प्रतिमा से ज्यादा भारी होती है। दरअसल मिट्टी की मूर्ति के अंदर चारा और मिट्टी भरी होती है। इसलिए यह अंदर से ठोस होती है जबकि पीओपी की मूर्ति अंदर से खोखली होती है क्योंकि इसे सांचे की मदद से बनाया जाता है।
- पीओपी से बनी गणेश जी की मूर्ति चमकदार होती है। सांचे का इस्तेमाल होने के कारण इन मूर्तियों में मिट्टी की मूर्तियों की तुलना ज्यादा फिनिशिंग होती है। वहीं मिट्टी की प्रतिमा पर चारों ओर रंग देखने को मिलेगा
- प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी गणेश भगवान की प्रतिमा को उंगली से हल्का ठोकने पर खनक की आवाज आती है। जबकि मिट्टी की मूर्ति के साथ इसका विपरीत होता है। ठोस प्रतिमा होने से आवाज नहीं आती है।
मिट्टी की मूर्ति से विसर्जन के लिए आसानी होती है।मिट्टी की मूर्ति पानी में आसानी से घुल जाती है।गणपति की स्थापना के बाद घर में ही विसर्जन के लिए लोग अब मिट्टी के गणेश जी की स्थापना करने को प्राथमिकता दे रहे हैं।