मऊ: महिला उत्पीड़न और घरेलू हिंसा के खिलाफ जागरूकता कार्यक्रम आयोजित

मऊ में महिला कल्याण विभाग द्वारा बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना के तहत महिला उत्पीड़न, घरेलू हिंसा और इससे जुड़े कानूनों के बारे में जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन नगर पालिका कम्युनिटी हाल में किया गया।

मऊ: महिला उत्पीड़न और घरेलू हिंसा के खिलाफ जागरूकता कार्यक्रम आयोजित

केटी न्यूज/मऊ

मऊ में महिला कल्याण विभाग द्वारा बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना के तहत महिला उत्पीड़न, घरेलू हिंसा और इससे जुड़े कानूनों के बारे में जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन नगर पालिका कम्युनिटी हाल में किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य विकास अधिकारी प्रशांत नागर ने दीप प्रज्वलित कर की।

मुख्य विकास अधिकारी ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि महिला ग्राम प्रधानों को इस कार्यक्रम में बुलाने का उद्देश्य यह है कि महिलाएं अपने अधिकारों के बारे में जान सकें और अपनी ग्राम पंचायत में हो रही हिंसा, भेदभाव, दहेज उत्पीड़न, बाल विवाह जैसे मुद्दों के प्रति जागरूक हो सकें। इसके साथ ही उन्हें सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न जन कल्याणकारी योजनाओं के बारे में जानकारी मिल सके, ताकि वे जरूरतमंदों को इन योजनाओं का लाभ दिला सकें।

प्रभारी जिला पंचायत राज अधिकारी सुमित सिंह ने कहा कि महिला ग्राम प्रधानों को अपनी ग्राम पंचायत में महिलाओं को जागरूक करना चाहिए और किसी भी प्रकार की हिंसा से जुड़े मामलों की जानकारी सरकार द्वारा जारी टोल फ्री नंबरों पर देनी चाहिए, ताकि समय रहते कार्रवाई की जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि अगर किसी महिला से संबंधित कोई मामला हो तो वह उन्हें सीधे जानकारी दें, ताकि वे अपने स्तर पर कार्यवाही कर सकें।

संयुक्त निदेशक अभियोजन ने महिलाओं के खिलाफ हिंसा और नए कानूनों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि भारत में महिलाओं के खिलाफ हिंसा के सामान्य रूपों में घरेलू हिंसा, हत्या, कन्या भ्रूण हत्या और एसिड अटैक जैसे कृत्य शामिल हैं। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार 2011 में महिलाओं के खिलाफ अपराध की 2,28,650 घटनाएं दर्ज की गईं, जबकि 2021 में यह आंकड़ा बढ़कर 4,28,278 हो गया, जो 87% की वृद्धि दर्शाता है।

उन्होंने महिला सुरक्षा से संबंधित विभिन्न कानूनों की जानकारी दी, जैसे कि प्रसव पूर्व निदान तकनीकी अधिनियम 1994, जो भ्रूण लिंग परीक्षण और उसके दुरुपयोग को रोकने के लिए है, और घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम 2005, जो किसी भी महिला को घरेलू हिंसा से बचाने का प्रावधान करता है।

जिला प्रोवेशन अधिकारी डॉ. श्वेता त्रिपाठी ने महिला जागरूकता के दृष्टिकोण से बताया कि महिला ग्राम प्रधानों को अपने अधिकारों के बारे में जानने की आवश्यकता है। उन्होंने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के तहत महिलाओं के सशक्तिकरण और उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने के लिए संगोष्ठी का आयोजन किया और महिलाओं से जुड़े कानूनों के बारे में भी जानकारी दी।

कार्यक्रम में 11वीं कक्षा की छात्रा अनामिका चौरसिया ने भाषण और गीत प्रस्तुत किया, और कार्यक्रम के अंत में उन्होंने शपथ भी दिलाई कि "मैं भारत के जिम्मेदार नागरिक के रूप में महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करूंगी और समाज में हो रही हिंसा के खिलाफ आवाज उठाऊंगी।"

इस कार्यक्रम के जरिए महिलाओं को उनके अधिकारों और सुरक्षा के बारे में जागरूक किया गया और उन्हें समाज में होने वाली हिंसा और भेदभाव के खिलाफ लड़ने के लिए प्रेरित किया गया।