छोटे किसानों के लिए आधुनिक खेती बनी आसान
चौसा प्रखंड के चुन्नी और पवनी पंचायत के विभिन्न गांवों में आयोजित किसान चौपाल में कृषि विभाग के विशेषज्ञों ने आधुनिक कृषि तकनीकों को अपनाने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि बदलते समय के साथ खेती पद्धति में सुधार आवश्यक है, ताकि छोटे व कमजोर किसान भी कम लागत में अधिक उत्पादन कर सकें। चौपाल में किसानों को ड्रोन तकनीक, मिट्टी परीक्षण, जैविक खेती और यंत्रीकरण से जुड़ी विस्तृत जानकारी दी गई।
-- ड्रोन तकनीक से लेकर जैविक उत्पादन तक, किसान चौपाल में विशेषज्ञों ने दिए नए सुझाव
केटी न्यूज/चौसा
चौसा प्रखंड के चुन्नी और पवनी पंचायत के विभिन्न गांवों में आयोजित किसान चौपाल में कृषि विभाग के विशेषज्ञों ने आधुनिक कृषि तकनीकों को अपनाने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि बदलते समय के साथ खेती पद्धति में सुधार आवश्यक है, ताकि छोटे व कमजोर किसान भी कम लागत में अधिक उत्पादन कर सकें। चौपाल में किसानों को ड्रोन तकनीक, मिट्टी परीक्षण, जैविक खेती और यंत्रीकरण से जुड़ी विस्तृत जानकारी दी गई।

चौपाल को संबोधित करते हुए प्रखंड तकनीकी प्रबंधक अमृता सिंह ने कहा कि कृषि यंत्रीकरण अब केवल बड़े किसानों तक सीमित नहीं रहा। विभाग द्वारा उपलब्ध कराई जा रही सब्सिडी योजनाओं के कारण छोटे किसान भी आधुनिक उपकरणों का उपयोग कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि समय-समय पर प्रशिक्षण देकर किसानों को नए कृषि मॉडल से जोड़ा जा रहा है, जिससे फसल की उत्पादकता बढ़ेगी और आमदनी में भी इजाफा होगा।
वहीं कृषि समन्वयक प्रमोद कुमार सिंह ने बताया कि कृषि विभाग अब ड्रोन तकनीक को तेजी से प्रोत्साहित कर रहा है। ड्रोन के माध्यम से खाद और दवाओं का छिड़काव पूरी तरह वैज्ञानिक तरीके से होता है, जिससे लागत कम होने के साथ समय की भी बचत होती है। उन्होंने कहा कि भले ही ड्रोन मशीनें आर्थिक रूप से मजबूत किसान ही खरीद सकें, लेकिन छोटे और सीमांत किसान भी सेवा शुल्क पर इनका उपयोग कर सकेंगे। इसके लिए विभाग द्वारा समूह आधारित मॉडल को बढ़ावा दिया जा रहा है, ताकि हर किसान आधुनिक तकनीक से लाभान्वित हो सके।
उन्होंने यह भी कहा कि जनसंख्या बढ़ने और खेतों के आकार घटने के कारण छोटे कृषि यंत्रों की मांग तेजी से बढ़ी है। कई आधुनिक उपकरण अब ऑनलाइन भी उपलब्ध हैं, जिससे किसानों को खरीदारी में सुविधा मिल रही है। विभाग की ओर से ड्रोन सहित अनेक यंत्रों पर सब्सिडी दिए जाने की वजह से आधुनिक खेती छोटे किसानों की पहुंच में आ रही है।
सहायक तकनीक प्रबंधक जितेंद्र सिंह ने मिट्टी परीक्षण को खेती की पहली जरूरत बताया। उन्होंने कहा कि बिना जांच के उर्वरक या कीटनाशक का उपयोग कई बार फसल को नुकसान पहुंचाता है। इसलिए बीजोपचार, मिट्टी परीक्षण और जैविक खाद के उपयोग को आदत में शामिल करना चाहिए। उन्होंने किसानों को पराली नहीं जलाने की सख्त सलाह देते हुए कहा कि पराली जलाने से भूमि की उर्वरता घटती है और पर्यावरण को भी नुकसान होता है।

चौपाल में उपस्थित किसान सलाहकारों ने भी आधुनिक खेती के अनुभव साझा किए। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में किसान शामिल हुए और विभागीय योजनाओं से जुड़े महत्वपूर्ण सवाल पूछे। विशेषज्ञों ने किसानों को आश्वासन दिया कि आधुनिक कृषि तकनीक और यंत्रीकरण ही भविष्य की खेती को लाभकारी बना सकता है।
