72 घंटे तक अंधेरे में डूबा रहा मुकुंदपुर गांव, डीएम के निर्देश पर मिली बिजली

पिछले 72 घंटे से सिमरी अंचल का मुकुदपुर गांव अंधेरे में डूबा था। गुरूवार की शाम डीएम अंशुल अग्रवाल के निर्देश पर बिजली कंपनी ने आूपर्ति बहाल किया। तब जाकर ग्रामीणों ने चैन की सांस ली। इसके पहले दिन में ग्रामीणों ने बैठक कर कंपनी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था तथा आंदोलन की चेतावनी दी थी।

72 घंटे तक अंधेरे में डूबा रहा मुकुंदपुर गांव, डीएम के निर्देश पर मिली बिजली

- स्मार्ट मीटर के विरोध पर कंपनी ने काट दी थी पूरे गांव की बिजली, 

-  पूरी रात अंधेर में गुजर बसर को मजबूर हुए ग्रामीण, ग्रामीणों ने दी आंदोलन की चेतावनी

केटी न्यूज/सिमरी

पिछले 72 घंटे से सिमरी अंचल का मुकुदपुर गांव अंधेरे में डूबा था। गुरूवार की शाम डीएम अंशुल अग्रवाल के निर्देश पर बिजली कंपनी ने आूपर्ति बहाल किया। तब जाकर ग्रामीणों ने चैन की सांस ली। इसके पहले दिन में ग्रामीणों ने बैठक कर कंपनी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था तथा आंदोलन की चेतावनी दी थी। ग्रामीणों का नेतृत्व कर रहे बिट्टू यादव तथा शिक्षा विभाग के रिटायर्ड डीपीओ रहे परशुराम सिंह ने बताया कि सोमवार से ही लो वोल्टेज के कारण उनके गांव में बिजली आपूर्ति बाधित थी। लो वोल्टेज के कारण दो दिनों तक बिजली रहने के बाद भी उसका लाभ नहीं मिला था। इधर बुधवार को बिजली कंपनी के जेई चंदन कुमार पूरे लाव लश्कर के साथ गांव में स्मॉर्ट मीटर लगाने पहुंच गए, जिसका ग्रामीणों ने जमकर विरोध किया। ग्रामीणों के विरोध के कारण बिजली कंपनी की टीम को बैरंग लौटना पड़ा। हालांकि, गांव से जाने के दौरान कंपनी कर्मियों ने पूरे गांव की लाइन काटने की चेतावनी दी थी और गांव से बाहर आते ही जंफर से तार छोड़ा लाइन काट दिया, जिससे गांव अंधेरे में डूब गया। बिजली के अभाव में ग्रामीणों की दिनचर्या गड़बड़ा गई थी। यहां तक कि उन्हें मोबाईल चार्ज करने के लिए भी दूसरे गांव में जाना पड़ा जबकि पेयजल के लिए भारी फजीहत का सामना करना पड़ा। 

ग्रामीणों ने बैठक कर आंदोलन का लिया निर्णय

इस गंभीर समस्या क प्रति गुरूवा को ग्रामीणों ने एकजुट हो बैठक किया तथा बिजली कंपनी के खिलाफ आंदोलन का ऐलान भी किया। हालांकि, इसी दौरान कुछ ग्रामीणों ने सिमरी मध्य के जिला पार्षद केदार यादव को फोन कर यह जानकारी दी कि बिजली कंपनी ने पूरे गांव की बिजली काट दी है। इसके बाद जिप सदस्य ने तत्काल बिजली कंपनी के कार्यपालक पदाधिकारी से बात किया, लेकिन वे उन्हें कोई स्पष्ट जबाव नहीं दिए बल्कि टाल मटोल करने लगे। इसके बाद जिप सदस्य ने डीएम अंशुल अग्रवाल को फोन कर पूरे गांव की बिजली काटने की जानकारी दी। यह सुनते ही डीएम सख्त हो गए तथा तत्काल बिजली कंपनी के एजक्यूटिव ऑफिसर को तलब किए तथा उन्हें अविलंब गांव की लाइन जोड़ने का निर्देश दिए। डीएम के निर्देश के बाद बिजली कंपनी में शाम करीब पौने छह बजे आपूर्ति बहाल किया। आपूर्ति बहाल होने के बाद ग्रामीणों ने चैन की सांस ली। 

राजस्व वसूली के लक्ष्य को पूरा करने के लिए लगाया जा रहा है स्मॉर्ट मीटर - जेई

इस संबंध में बिजली कंपनी नया भोजपुर प्रशाखा के जेई चंदन कुमार ने बताया कि मुकुंदपुर गांव के ग्रामीण विपत्र जमा नहीं करते है। उन्होंने कहा कि इस गांव के 20 प्रतिशत लोग भी विपत्र जमा नहीं कर रहे है। जिस कारण कंपनी को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। जेई ने कहा कि कई बार निर्देश देने के बाद भी अधिकांश ग्रामीण विपत्र जमा नहीं कर रहे थे। जिस कारण इस गांव में स्मॉर्ट मीटर लगाया जा रहा था, ताकी लोग जितनी बिजली का उपभोग करेंगे उसका पैसा पहले ही जमा कर देंगे। जेई ने कहा राजस्व वसूली के लक्ष्य को पूरा करने के लिए स्मॉर्ट मीटर लगाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि अब हर जगह स्मॉर्ट मीटर लगाया जा रहा है। ग्रामीणों को इस चीज को समझना चाहिए।

बोले ग्रामीण, अधिकांश लोगों के पास नहीं है स्मॉर्ट फोन, कैसे होगा मीटर रिचार्ज

वही बैठक में मौजूद ग्रामीण बिट्टू यादव, रिटायर्ड डीपीओ परशुराम सिंह, अकबर अली, रमेश यादव, बजरंगबली यादव, सुनील यादव, मोहन यादव के अलावे दर्जनों ग्रामीणों ने बताया कि उनके गांव में सभी के पास स्मॉर्ट फोन तक नहीं है। गांव आज भी काफी पिछड़ा है तथा गांव के अधिकांश लोगों के जीविकोपार्जन का साधन मजदूरी है। ऐसे में लोग कैसे स्मॉर्ट मीटर का रिचार्ज करेंगे। बिट्टू ने कहा कि बिजली कंपनी के कार्यालयों से लेकर सभी सरकारी दफ्तरों में पुराना मीटर ही लगा है, जबकि उपभोक्ताओं से आर्थिक दोहन की नियत से स्मॉर्ट मीटर लगाने की साजिश रची जा रही है। ग्रामीणों ने कहा कि यदि कंपनी ने अपने इरादे नहीं बदले तो ग्रामीण उग्र आंदोलन को बाध्य होंगे। 

पुलिसिया जुल्म का शिकार रहा है गांव

बता दें कि वर्ष 2009 में इस गांव में सिमरी पुलिस ने तांडव मचाया था। पुलिस पर हमले के खिलाफ रात में पहुंची पुलिस टीम ने ग्रामीणों को बेरहमी से पिटा था। इसकी गूंज बिहार विधानसभा तक सुनाई पड़ी थी। इसके बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को आना पड़ा था। तब यह गांव वर्षों तक सुर्खियों में रहा था। वही एक बार फिर से पूरे गांव की बिजली आपूर्ति ठप होने के बाद गांव चर्चा में आ गया है।